हिन्दुस्तान स्पेशलः जरूरतमंद बच्चों के लिए मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना जीवनदायिनी, मुफ्त इलाज के अलावा मिलती है राशि
राज्य सरकार छह वर्ष से कम उम्र के बच्चे के साथ मां के अतिरिक्त एक और परिजन के परिवहन का खर्च भी वहन करती है। राज्य के बाहर के चिन्हित अस्पताल में चिकित्सा के लिए आने-जाने का खर्च भी देती है।
मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना जन्म से हृदय में छेद वाले बच्चों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है। वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 में हृदय में छेद वाले 637 बच्चों की इस योजना के तहत सफल सर्जरी की जा चुकी है। स्क्रीनिंग के उपरांत वर्ष 2021-22 में 395 बच्चे श्रीसत्य साईं अस्पताल, अहमदाबाद ऑपरेशन के लिए भेजे गए थे और इनमें 312 बच्चों की सफल सर्जरी हुई। वहीं 2022-23 में 420 बच्चे अहमदाबाद भेजे गए। इनमें 325 बच्चों का ऑपरेशन हुआ।
राज्य सरकार छह वर्ष से कम उम्र के बच्चे के साथ मां के अतिरिक्त एक और परिजन के परिवहन का खर्च भी वहन करती है। राज्य के बाहर के चिन्हित चैरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल/निजी अस्पताल में चिकित्सा के लिए आने-जाने के लिए परिवहन भाड़े के रूप में बाल हृदय रोगी के लिए 5,000 रुपए एवं अटेंडेंट के लिए अधिकतम धन राशि भी 5,000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए कर दिया गया है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. श्रीनिवासन प्रसाद ने कहा कि पिछले 2 सालों में 637 बच्चों की निःशुल्क हृदय की सर्जरी एक बड़ी उपलब्धि है। ये ऐसे बच्चे हैं जिनकी आर्थिक स्थिति इस लायक नहीं थी कि उनके माता-पिता निजी अस्पताल में सर्जरी करा सकें। उन्होंने कहा कि बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों में हृदय में छेद होना एक गंभीर समस्या है।
सुशासन के कार्यक्रम के तहत सात निश्चय-2 के तहत हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों के नि:शुल्क उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु बाल हृदय योजना की 5 जनवरी, 2021 को मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृति दी गई है। इसके लिए 13 फरवरी, 2020 को बिहार सरकार ने प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च फाउंडेशन के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किया था। प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च फाउंडेशन राजकोट एवं अहमदाबाद आधारित एक चैरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल है तथा इसके द्वारा बाल हृदय रोगियों की पहचान कर मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। जबकि बच्चों की प्रारंभिक स्क्रीनिंग से लेकर बच्चों के आने-जाने का खर्च बिहार सरकार वहन करती है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के राज्य समन्वयक मोहम्मद इम्तियाजुद्दीन ने कहा कि पटना स्थित इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में भी जन्म से दिल में छेद से ग्रसित बच्चों की सर्जरी की जा रही है। अस्पताल में हर महीने कैंप लगाकर स्क्रीनिंग के उपरांत 25-30 बच्चों की सर्जरी करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि एक अध्ययन के अनुसार जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में से 9 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित होते हैं, जिनमें से लगभग 25 प्रतिशत नवजात बच्चों को प्रथम वर्ष में शल्य चिकित्सा की आवश्यकता होती है।