छह महीने से कैंसर से जूझ रहे थे बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी, पिछले महीने दिल्ली एम्स में हुए थे भर्ती
भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी पिछले छह महीने से कैंसर से जूझ रहे थे। जिसके चलते पिछले महीने ही उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी पिछले छह महीने से कैंसर से जूझ रहे थे। जिसके चलते पिछले महीने ही उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। कैंसर के इलाज के चलते ही सुशील मोदी ने इस बार लोकसभा चुनाव से भी दूरी बना रखी थी। इसको लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट भी लिखा था। 40 दिन बाद सोमवार को उनका निधन हो गया। सुशील मोदी बिहार में भाजपा के दिग्गज नेता माने जाते हैं। इसी साल उनकी राज्यसभा की सदस्यता खत्म हुई थी। बीजेपी ने उन्हें दोबारा राज्यसभा सांसद नहीं बनाया तो उनके लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर अटकलें चलने लगीं थीं। लेकिन बीमारी के चलते उन्होंने इस बार लोकसभा चुनाव से दूरियां बना लीं। बीमारी के चलते वह पिछले कुछ महीनों से सार्वजनिक मंचों भी नजर नहीं आए थे। लेकिन वह सोशल मीडिया पर पूरी तरह से एक्टिव थे।
छात्रसंघ चुनाव से रखा राजनीतिक कदम
सुशील मोदी ने पटना यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव से राजनीति में कदम रखा और जब वो महासचिव चुने गए थे तब उनके धुर राजनीतिक विरोधी लालू यादव उसके अध्यक्ष पद पर जीते थे। जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति के आह्वान पर सुशील मोदी आंदोलन में कूद गए और गिरफ्तारी के बाद 19 महीने तक जेल में रहे। मोदी ने इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लाए गए मीसा कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और उसकी एक दमनकारी धारा को हटवाने में कामयाब हुए। इमरजेंसी के बाद सुशील मोदी को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का राज्य सचिव बनाया गया। 1990 में वो पहली बार पटना मध्य विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और लगातार तीन बार जीते।
बिहार विधानसभा में नेता विपक्ष भी रह चुके थे सुशील
1996 से 2004 तक सुशील मोदी बिहार विधानसभा में भाजपा के नेता और नेता विपक्ष रहे। लालू यादव पर पशुपालन विभाग में चारा घोटाला का केस सुशील मोदी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका के जरिए दायर किया था जिसमें बाद में लालू बुरी तरह उलझ गए। 2004 में सुशील मोदी पहली बार संसद पहुंचे जब भागलपुर लोकसभा सीट से वो लड़े और जीते। सुशील मोदी बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने के बाद मंत्री और फिर डिप्टी सीएम बने। 2020 तक जब भी नीतीश एनडीए में रहे, वो उनकी सरकार डिप्टी सीएम रहे। इस दौरान सुशील मोदी विधान परिषद के सदस्य बनते रहे। 2020 में सुशील मोदी को भाजपा ने बिहार से हटाकर राज्यसभा भेज दिया। कभी लालकृष्ण आडवाणी के करीबी रहे सुशील मोदी की केंद्र सरकार में मंत्री बनने की अटकलें कई बार लगीं लेकिन मौका नहीं मिला