बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी का निधन, कैंसर से थे पीड़ित; एम्स दिल्ली में ली अंतिम सांस
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी का सोमवार की रात निधन हो गया। कैंसर से पीड़ित सुशील मोदी का एम्स दिल्ली में डॉक्टर अमलेश सेठ के नेतृत्व में इलाज चल रहा इलाज था।
लगभग ढाई दशक से बिहार भाजपा की धूरी रहे बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का निधन सोमवार को हो गया। वे कैँसर की बीमारी से जूझ रहे थे। दिल्ली में उपचार के दौरान सोमवार की देर रात उनका निधन हो गया। मंगलवार को उनका पार्थिव शरीर पटना लाया जाएगा। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सह उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी सहित बिहार भाजपा के तमाम नेताओं ने उनके निधन को पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति बताई है। वहीं पूर्व मंत्री और आरजेडी नेता तेज प्रताप यादव ने भी सुशील मोदी के निधन पर शोक जताया है।
सुशील मोदी पिछले छह महीने से गले के कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। लेकिन उन्होंने इसी वर्ष तीन अप्रैल को अपनी इस बीमारी को सार्वजनिक किया था। बीमारी सार्वजनिक होने के बाद वे सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं रहे। उस समय उन्होंने कहा था कि पीएम को अपनी बीमारी के बारे में बता दिया है कि वे लोकसभा चुनाव में प्रचार नहीं करेंगे। पार्टी ने 40 स्टार प्रचारकों में से एक सुशील मोदी को भी शामिल किया था। एक्स पर किए ट्वीट में उन्होंने कहा था कि पिछले छह माह से कैंसर से संघर्ष कर रहा हूं। अब लगा कि लोगों को बताने का समय आ गया है। लोकसभा चुनाव में कुछ कर नहीं पाऊंगा। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सब कुछ बता दिया है। देश, बिहार और पार्टी का सदा आभार और सदैव समर्पित रहूंगा। उनके इस ट्वीट के बाद उम्मीद की जा रही थी कि बेहतर उपचार से स्वस्थ होकर वह राजनीति में फिर से सक्रिय होंगे। लेकिन सोमवार को अचानक से उनके निधन की खबर आ गई।
सुशील मोदी को कैंसर निकला, दिल्ली एम्स से जांच के बाद पटना लौटे, लोकसभा चुनाव में प्रचार नहीं करेंगे
सुशील मोदी ने पटना यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव से राजनीति में कदम रखा था और जब वो महासचिव चुने गए थे तब उनके धुर राजनीतिक विरोधी लालू यादव उसके अध्यक्ष पद पर जीते थे। जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति के आह्वान पर सुशील मोदी आंदोलन में कूद गए और गिरफ्तारी के बाद 19 महीने तक जेल में रहे। मोदी ने इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लाए गए मीसा कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और उसकी एक दमनकारी धारा को हटवाने में कामयाब हुए थे।