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Hindi Newsबिहार न्यूज़fight against corruption in Bihar action has not started on more than 100 Clerk some have even retired

Hindustan Special: ऐसे हो रही है बिहार में भ्रष्टाचार से लड़ाई, 100 से अधिक बाबुओं पर शुरू ही नहीं हुई कार्यवाही, कुछ तो रिटायर भी हो गए

पिछले 10 वर्ष में 100 से अधिक ऐसे सरकारी कर्मी जिन पर जांच एजेंसियों के स्तर से कार्रवाई की गई, लेकिन संबंधित विभागों ने इनके खिलाफ कार्यवाही शुरू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

Malay Ojha हिन्दुस्तान, पटनाWed, 23 Aug 2023 03:27 PM
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बिहार में भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ जांच एजेंसियां निगरानी ब्यूरो, आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) और विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) की तरफ से कार्रवाई की जाती है, लेकिन इनमें बड़ी संख्या में ऐसे कर्मी हैं, जिनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू तक नहीं हो पाती है और ये कर्मी आराम से अपने विभाग में नौकरी करते रहते हैं। पिछले 10 वर्ष में 100 से अधिक ऐसे सरकारी कर्मी जिन पर जांच एजेंसियों के स्तर से कार्रवाई की गई, लेकिन संबंधित विभागों ने इनके खिलाफ कार्यवाही शुरू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

निगरानी विभाग ने संबंधित विभागों को इन आरोपी कर्मियों के खिलाफ लंबित विभागीय कार्यवाही को जल्द समाप्त करने को कहा है। आंकड़ों के अनुसार, निगरानी ब्यूरो के 38, ईओयू के 42 और एसवीयू के 20 मामले अलग-अलग विभागों में संबंधित कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही के लिए लंबित पड़े हैं। इन्हें जांच एजेंसियों ने रिश्वत लेते या आय से अधिक (डीए) संपत्ति या पद के दुरुपयोग में पकड़ा है। इसमें क्लर्क से लेकर प्रखंड, जिला स्तरीय विभिन्न रैंक के पदाधिकारी और अधीक्षण अभियंता तक शामिल हैं। कुछ एक तो सेवानिवृत्त तक हो गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा डीए केस से जुड़े पदाधिकारियों के मामले शामिल हैं। इनके ठिकानों पर जांच एजेंसियों की छापेमारी होने के बाद भी इनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू नहीं होने से, अगर ये निलंबित हो भी गए, तो कुछ दिनों बाद फिर से निलंबन मुक्त होकर पूर्व की तरह यथावत विभागीय कार्य कर रहे हैं। कुछ की तो दोबारा में अच्छे स्थान पर पोस्टिंग भी हो गई है। अलग-अलग विभागों में कार्रवाई के इंतजार में पड़े 5 से 10 वर्ष तक के पुराने मामलों की संख्या 150 से अधिक है।

राज्य की तीनों जांच एजेंसियां सरकारी कर्मियों को ट्रैप के जरिए घूस लेते रंगे हाथ पकड़े जाने या आय से अधिक संपत्ति (डीए) या पद के दुरुपयोग (एओपी) से संबंधित मामलों में कार्रवाई करती है। हर वर्ष औसतन 150 सरकारी कर्मियों पर कार्रवाई की जाती है। ट्रैप के मामले में तो संबंधित कर्मी की तुरंत गिरफ्तारी हो जाती है। अधिकतर मामलों में विभागीय स्तर पर वे निलंबित भी कर दिए जाते हैं। कुछ समय बाद इन्हें बेल मिल जाता है और लंबे समय तक मुकदमा चलता रहता है। परंतु विभागीय कार्यवाही शुरू नहीं होने या लंबे समय तक केस चलते रहने से ये काम करते रहते हैं।

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