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कोरोना काल में चौतरफा मार झेल रहे आम मरीज, BP और शुगर समेत कई दवाइयां 10 फीसदी तक हो गईं महंगी

कोरोना के कारण संक्रमित मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ ही रही है। दूसरी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की भी मुसीबत बढ़ गई है। कोरोना का असर आम उपभोक्ताओं और अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों पर भी पड़ रहा है।...

Malay Ojha पटना, हिन्दुस्तान टीम, Tue, 29 Sep 2020 03:43 PM
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कोरोना के कारण संक्रमित मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ ही रही है। दूसरी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की भी मुसीबत बढ़ गई है। कोरोना का असर आम उपभोक्ताओं और अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों पर भी पड़ रहा है। एक ओर खाने पीने वाली सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है तो दूसरी तरफ जरूरी दवाइयों की कीमतें भी बढ़ी हैं। बुखार की दवा पैरासिटामोल हो चाहे शुगर की दवा, सर्दी-खांसी, गंभीर बीमारियों में काम आने वाली दवाइयों से  लेकर माउथ वाश तक की कीमत पांच से 10 प्रतिशत तक बढ़ गई है।

बताया जा रहा है कि दवाओं  की कीमत में सरकारी स्तर पर बढ़ोतरी की गई है। इसमें जीएसटी का अलग से भुगतान ग्राहकों को करना पड़ता है। बीपी और शुगर जैसी दवाओं को ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर से केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्रालय ने बाहर कर दिया है। इस कारण अभी इन दवाओं की कीमतों में वृद्धि हो रही है। 
बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष परसन कुमार सिंह ने बताया की दवा कंपनियों से बढ़ोतरी नहीं की है। यह बढ़ोतरी सरकार के स्तर पर ही हुई है। जरूरी दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी का निर्णय अब नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइस कंट्रोल अथॉरिटी (एनपीपीए ) द्वारा की गई है। 

20 अगस्त से लगभग 21 प्रकार की दवाओं के दाम बढ़ गए हैं। इनमें बुखार, सर्दी-खांसी, डायबिटीज, बीपी, कई प्रकार के एंटीबायोटिक से लेकर गंभीर बीमारियों की दवाइयां भी शामिल हैं। यहां तक कि माउथवाश के दाम में भी बढ़ोतरी की गई है। कोरोना काल के शुरुआती दिनों में कच्चे माल की उपलब्धता में कुछ कमी आई थी। कई कंपनियों को कच्चे माल के लिए यूरोपीय देशों का सहारा लेना पड़ रहा है। इससे उनका लागत खर्च कुछ बढ़ गया है। यही कारण है कि उपरोक्त दवाइयों के दाम में हल्की बढ़ोतरी की गई है। इससे ग्राहकों की जेब ढीली करनी पड़ रही है।

खुदरा दवा विक्रेता बोले 
बोरिंग रोड के सुपर औषधि के संचालक सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि साधारण दर्द निवारक गोलियां, डायरिया, उल्टी, बुखार और थायराइड आदि की दवाइयों की कीमतों में कुछ बढ़ोतरी हुई है। पहले जो दवा 50 रुपए में मिलती थी, उसकी कीमत अब 55 से 57 तक रुपए तक हो गई है।

एक अन्य खुदरा दवा दुकान मेडिकाना के संचालक उमेश प्रसाद ने बताया कि कोरोना काल के शुरुआती समय में डिटॉल की उपलब्धता में घोर कमी आ गई थी। उसकी किल्लत अब भी बरकरार है। राज्य के ड्रग कंट्रोलर से लेकर ड्रग इंस्पेक्टरों की टीम पूरे कोरोना काल में काफी सक्रिय रही। इस कारण दवाओं की कालाबाजारी नहीं हो पाई। सर्दी-खांसी की दवाओं की मांग जरूर बढ़ी थी लेकिन उनकी कमी सिर्फ शुरुआती दिनों में रही। बीपी और शुगर की दवा में जरूर कुछ ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। कोरोना के शुरुआती दौर को छोड़ कभी भी दवा की आपूर्ति में कोई बाधा नहीं पहुंची है। सभी प्रकार की दवाओं की उपलब्धता बाजार में है। उन्होंने बताया कि उन दवाओं की कीमतों में  कुछ बढ़ोतरी हुई है, जो ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर के दायरे से बाहर है। 

दवाओं के थोक विक्रेता बोले
थोक विक्रेता परसन कुमार सिंह ने बताया कि पहली बार लॉकडाउन में राज्य में दवाओं की उपलब्धता में कुछ कमी आई थी। उस समय ट्रांसपोर्ट गतिविधियां पूरी तरह बंद होने से कुछ दिनों के लिए दवाओं की आपूर्ति बाधित थी। बाद उपलब्धता में  कोई कमी नहीं हुई। पिछले साल जुलाई से सितंबर के बीच दवाओं की जो कीमत थी, उसमें इस साल जुलाई से सितंबर के बीच बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है। सरकार के तय नियम के अनुसार ही दवाओं के दाम बढ़े हैं। 

थोक दवा व्यवसायी प्रदीप चौरसिया ने बताया कि कोरोना काल में कुछ ही दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है । अधिकांश दवाइयां पूर्व की भांति अपने कीमत पर स्थिर हैं।  कुछ कंपनियों ने मल्टीविटामिन अथवा शुगर की दवाओं में कुछ अन्य विटामिन जिंक आदि का मिश्रण कर उनके दामों में बढ़ोतरी की है।

 ज्यादा महंगी होने वाली पांच आवश्यक दवाइयां
1-बीपी की दवाइयां
2- शुगर की दवाइयां
3- थायराइड की थायरोक्सिन
4-  बुखार की पेरासिटामोल 
5- सर्दी-खांसी व एंटीबायोटिक्स दवाइयां 

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