Hindi Newsबिहार न्यूज़Drought crisis in Bihar 60 percent less rain 55 paddy sowing will farmers 2000 crores at stake

बिहार पर सूखे का संकट; 60 फीसदी बारिश कम, 55 प्रतिशत रोपनी, किसानों के 2 हजार करोड़ पर डूबेंगे?

सरकार किसानों को राहत देने के लिए डीजल अनुदान दे रही है। हालांकि यह नाकाफी साबित हो रहा है। जलस्तर नीचे जाने से कई जगहों पर मोटरपंप भी जवाब दे रहे हैं। गर्मी में डीजल से सिंचाई में ज्यादा खर्च हो रहा।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, पटनाThu, 1 Aug 2024 06:07 AM
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मानसून की बेरुखी से बिहार में सावन महीना का भी सूखा बीत रहा है। अबतक औसत से 60 प्रतिशक कम बारिश हुई है। पानी नहीं मिलने से सूबे के खेतों में अब दरारें पड़ने लगी हैं। 31 जुलाई के बाद भी सूबे में सिर्फ 55 फीसदी रोपनी हुई है। सिंचाई के अभाव में बिचड़ा और धान बचाना किसानों के लिए चुनौती बन रही है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि आगे एक सप्ताह और बारिश नहीं हुई तो 20 फीसदी तक उत्पादन गिरने की आशंका है। इससे किसानों को करीब 2 हजार करोड़ की चपत लग सकती है।

एक जून से 31 जुलाई तक राज्य में सामान्य से 37 फीसदी कम बारिश हुई। इस कारण पूरे राज्य में रोपनी की रफ्तार सुस्त रही। कृषि विभाग ने इस वर्ष 36.56 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा है। अभी तक लगभग 22 लाख हेक्टेयर में रोपनी हुई है।

दक्षिण के जिलों में 50 फीसदी से कम रोपनी सबसे ज्यादा प्रभावित दक्षिण बिहार है। यहां के ज्यादातर जिलों में 12 से 40 फीसदी ही रोपनी हो सकी है। इसमें जमुई, बांका, गया, मुंगेर, लखीसराय, अरवल, औरंगाबाद, नवादा, शेखपुरा, जहानाबाद और भागलपुर शामिल है। वहीं, पटना, भोजपुर, सारण और नालंदा जिले में 40 से 50 फीसदी तक रोपनी हुई है। मुजफ्फरपुर, बक्सर, रोहतास, कैमूर में 50 से 60 फीसदी क्षेत्र में धान रोपनी हो चुकी है। कोसी और उत्तर बिहार की स्थिति थोड़ी ठीक है। मधेपुरा, सीवान, मधुबनी, दरभंगा, खगड़िया, बेगूसराय, समस्तीपुर और वैशाली में 60 से 80 फीसदी रोपनी हुई है। पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, कटिहार, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, शिवहर, गोपालगंज, सीतामढ़ी, सुपौल और सहरसा में 85 से 95 फीसदी तक रोपनी हो गई है। किशनगंज, अररिया, सुपौल में 90 फीसदी से ऊपर रोपनी हुई है।

सरकार किसानों को राहत देने के लिए डीजल अनुदान दे रही है। हालांकि यह नाकाफी साबित हो रहा है। जलस्तर नीचे जाने से कई जगहों पर मोटरपंप भी जवाब दे रहे हैं। वहीं, भीषण गर्मी में डीजल से सिंचाई में ज्यादा खर्च आ रहा है।

सरकार दे रही अनुदान

वर्तमान में किसानों को डीजल अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन लिए जा रहे हैं। 30 अक्टूबर 2024 तक खरीफ फसलों की सिंचाई के लिए डीजल अनुदान का लाभ लिया जा सकता है। कृषि विभाग की वेबसाइट dbtagriculture. bihar. gov.in पर डीजल अनुदान के लिए किसान आवेदन कर सकते हैं। प्रति एकड़ एक सिंचाई लिए 10 लीटर डीजल पर 75 रुपये की दर से 750 रुपये अनुदान का प्रावधान है।

कहते हैं एक्सपर्ट

बिहार में रोपनी की स्थिति बेहद खराब है। अभी तक लगभग 60 फीसदी ही रोपनी हो सकी है। ऐसे में कम से कम 20 फीसदी उत्पादन घटना तय है। यह बढ़ भी सकता है। -डॉ. उज्ज्वल कुमार, विभागाध्यक्ष प्रसार शिक्षा, आईसीएआर पटना

 किसानों को लग सकती है दो हजार करोड़ तक की चपत

जून में बारिश नहीं होने से समय पर किसान बीज नहीं गिरा सके। बारिश नहीं होने के कारण बीज गिराए एक माह से अधिक हो गए। ज्यादा दिनों के बिचड़ा का असर रोपनी पर पड़ता है। उत्पादन गिरने लगता है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि 31 जुलाई तक शत प्रतिशत रोपनी होने पर उत्पादन बेहतर होता है। इसके बाद दस दिन की भी देरी हो तो 20 फीसदी तक उत्पादन घट सकता है। इससे किसानों को लगभग 1500 से 2000 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान है।

आगे भी पड़ेगा असर देर से रोपनी पर कटनी भी देर से होगी। ऐसे में रबी फसल भी किसान देर से ही खेतों में बुआई कर पाते हैं। इससे रबी का उत्पादन भी प्रभावित होने की आशंका है। नवंबर अंत तक गेहूं, चना सहित रबी फसलों की बुआई पर बेहतर उत्पादन मिलता है।


 

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