साजिश या लापरवाही? छपरा में तीसरा पुल गिरा, 15 दिनों में बिहार का 10वां ब्रीज टूटा; सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
बिहार में मानसून की बारिश शरू होते ही पुल पुलिया के ध्वस्त होने की झड़ी लग गई है। गुरुवार को भी राज्य के छपरा में पुल गिरने की घटना हुई। राज्य में 15 दिनों में 10 पुल गिर चुके हैं।
बिहार में मानसून की बारिश शरू होते ही पुल पुलिया के ध्वस्त होने की झड़ी लग गई है। बारिश से पहले भी कई पुल गिर चुके हैं। बरसात में रफ्तार तेज हो गई है। एक दिन में पांच पांच पुल क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। गुरुवार को भी राज्य के छपरा में पुल गिरने की घटना हुई। बुधवार को जनता बाजार में पुल नदी की बहने की चर्चा अभी शान्त भी नहीं हुई रि गुरुवार की सुबह बनियापुर के सरेया में बना ग्रामीण पुल का पाया व पुल का बीच का हिस्सा धंस गया। इसकी जानकारी मिलते ही नई चर्चा शुरू हो गयी है। दरअसल बिहार में 15 दिनों में 10 पुल टूट चुके हैं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी इसे साजिश बताते हुए जांच कराने की मांग करते हैं।
छपरा के बनियापुर में ध्वस्त पुल सतुआ और सरेया पंचायत को जोड़ने वाली ग्रामीण सेतु है। जिसका निर्माण वर्ष 2019 में लगभग 7.5 लाख की लागत से की गई थी। पुल निर्माण से दोनो पंचायतो के अलावा कई गांवों को आवाजाही में सहूलियत हुई थी। हालांकि स्थानीय जमीनी बिवाद के कारण पुल के निकट सड़क निर्माण को रोक दिया गया था। गुरुवार को पुल के धंस जाने के बाद लोग परेशान दिख रहे हैं। बताया जाता है कि पुल गंडकी नदी पर बनी है। कुछ दिनों पूर्व नदी की सफाई की गई है। इसी दौरान मिट्टी को काटा गया है। जिससे पुल के पाया के पास की मिट्टी भी हट गई है। वहीं कुछ लोग मानक के अनुरूप पुल नहीं बनाए जाने का दावा कर रहे हैं।
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इससे पहले सारण(छपरा) में बुधवार को दो पुल ध्वस्त हो गए। लहलादपुर प्रखंड के बाबा ढोढ़नाथ मंदिर के ठीक समीप स्थित गंडकी नदी पर बना पुल बुधवार की दोपहर ध्वस्त हो गई। गनीमत रही कि जिस समय यह घटना घटी, उस समय स्थानीय लोगों ने पुल पर आवागमन बंद कर दिया था। इससे जान माल का नुकसान नहीं हुआ। लहलादपुर प्रखंड की दो पंचायतों किशुनपुर लौआर व पुरुषोत्तमपुर का प्रखंड मुख्यालय से सीधा संबंध भंग हो गया है। ग्रामीणों की मानें तब इस पुलिया के निर्माण पर करीब बीस लाख रुपये खर्च हुये थे। इससे सीवान जिले के भगवानपुर प्रखंड के दर्जनों गांव के लोग रोजाना बाजार करने जनता बाजार आते थे। इसके ध्वस्त होने के बाद यह संपर्क भंग हो गया है। यह महज संयोग है कि ब्रिटिश कालीन पुलिया के जर्जर होने के बाद साल 2004 में इसी के समानांतर नई पुलिया का निर्माण किया गया। आज नई पुलिया गिर गई जबकि ब्रिटिश कालीन पुलिया सुरक्षित है। स्थानीय लोगों का कहना था कि सूबे में आजकल कई जगह पुल गिर रहे हैं। सारण जिले में भी यह पुलिया ढह गई। लोगों को इससे काफी परेशानी होगी।
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उधर जनता बाजार थाने के सारण गांव स्थित गंडकी नदी पर बनी पुलिया भी बुधवार को ढह गयी। ब्रिटिशकालीन यह पुलियां करीब सौ साल पुरानी बतायी जाती है। इस पुलिया के गिरने से आधा दर्जन गांवों का संपर्क टूट गया है। लोगों का आरोप है कि हाल ही में नदी से गाद की सफाई के दौरान पुल के पायों के पास से भी मिट्टी काट दी गयी। इस कारण पानी के बहाव को पाये सह नहीं सके। इस पुल के गिरने की जांच जिला प्रशासन की ओर से शुरू कर दी गयी है। इसमें लापरवाही की बात सामने आई है कि पुलों की मरम्मती नहीं हो रही पर गाद हटाने के नाम पर पीलर के करीब से बेरोक टोक कटाई की जा रही है।
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बुधवार को सीवान में भी तीन पुल गिरे। महाराजगंज प्रखंड में धमई नदी पर देवरिया, तेवथा व टेघड़ा पंचायत में ध्वस्त हुईं पुलिया 30-40 साल पुरानी थीं। वहीं तेवथा की पुलिया पूरी तरह धंसकर पानी में बह गयी। पुलिया धंसने की पहली घटना देवरिया में घटी। यहां पराईन टोला में गंडकी नदी पर बनी महाराजगंज-दरौंदा प्रखंड के साथ देवरिया व रामगढ़ा पंचायत को जोड़ने वाली पुलिया धंसी। यह वर्ष 2004 में बनी थी। वहीं, तेवथा पंचायत में नौतन व सिकंदरपुर गांव के बीच धमई नदी पर 90 के दशक में बनी पुलिया क्षतिग्रस्त हो गई। इससे सिकंदरपुर गांव का संपर्क प्रखंड व अनुमंडल मुख्यालय से भंग हो गया है। उधर, टेघड़ा पंचायत में टेघड़ा व तेवथा पंचायत को जोड़ने वाली धमई नदी पर बनी पुलिया धंसी। जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता ने कहा कि नदी की सफाई होने के बाद पानी का बहाव तेज होने से ईंट से बनी पुलिया धंस गई हैं।ी एक पुलिया 90 से 91 तो एक वर्ष 84- 85 में बनी थीं।
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दरअसल बिहार में पुल गिरने की घटनाओं पर सवाल उठने लगे हैं कि इसमें कोई साजिश तो नहीं है। राजनीति भी तेज हो गई है। बीते 15 दिनों में राज्य में 10 पुल गिर चुके हैं। तेजस्वी यादव ट्वीट करके बिहार के सीएम नीतीश कुमार और पीएम नरेंद्र मोदी कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं तो हम प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने इसके पीछे साजिश की आशंका जताई। उन्होंने पूछा की बिहार में 8 माह पहले पुल क्यों नहीं गिरते थे? जब से एनडीए की सरकार बनी उसके बाद पुल तेजी से क्यों गिर रहे हैं? जीतनराम मांझी ने इसके पीछे साजिश की आशंका जताते हुए कहा कि बिहार सरकार इसकी गहनता से जांच कराए। जो भी इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार पाए जाएं उन पर कार्रवाई की जाए। पुलों को गिरने से जनता का जो पैसा बर्बाद हुए उसकी वसूली भी दोषियों से की जाए।
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इस बीच बिहार में सिरियल पुल गिरने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। उच्चतम न्यायालय में इसके खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता ब्रजेश सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि बिहार में पुलों के गिरने का मामला गंभीर है। शीर्ष अदालत को इस पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा है कि 2 साल के भीतर कई बड़े और मध्यम दर्जे के निर्माणाधीन पुलल गिरकर तबाह हो गए। कुछ लोगों की मौत हुई कई घायल भी हुए। सरकार की लापरवाही और ठेकेदारों की एजेंसियों से भ्रष्ट गठजोड़ के कारण और भी कई घटनाएं हो सकती है। याचिका के माध्यम से मौजूदा निर्माणाधीन पुलों की उच्च स्तरीय स्ट्रक्चरल ऑडिट कराए जाने की मांग की गई है। कहा गया है कि पुराने और कमजोर फूलों को या तो गिरा दिया जाए या फिर से उनका निर्माण कराया जाए।
ग्रामीण कार्य विभाग भी पुलों की रखरखाव नीति बनाए
पुलों के लगातार गिरने की घटना को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने काफी गंभीरता से लिया है। बुधवार की शाम उन्होंने वरीय अधिकारियों के साथ 1 अणे मार्ग स्थित संकल्प में पथों एवं पुलों के रखरखाव को लेकर समीक्षा बैठक की। मुख्यमंत्री ने पथ निर्माण विभाग की तर्ज पर ग्रामीण कार्य विभाग को भी शीघ्र रख रखाव नीति तैयार करने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पथ निर्माण विभाग एवं ग्रामीण कार्य विभाग पुलों के रखरखाव के लिये एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार कर सभी पुलों का नियमित निरीक्षण सुनिश्चित कराएं। दोनों विभाग पथों एवं पुलों के रखरखाव को लेकर सतर्क रहें और लगातार निगरानी करते रहें। कार्यों में किसी प्रकार की शिथिलता बरतने पर जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाय।