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शराबबंदी: जीविका दीदियों की किस्मत बदल रहा है नीरा, बस्कर में खुले 13 नए संग्रहण और बिक्री केंद्र; पहले दिन हुई 35 लीटर की बिक्री

बिहार में शराबबंदी और ताड़ी की बिक्री पर पाबंदी के बाद नीरा के कारोबार ने जीविका दीदियों की किस्मत बदल दी है। बक्सर में 13 नए संग्रहण और बिक्री केंद्र खुले हैं। नीरा से रोजगार के अवसर बढ़े हैं।

Sneha Baluni नीरज पाठक, बक्सरSun, 24 April 2022 01:32 PM
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शराबबंदी और ताड़ी की बिक्री पर पाबंदी के बाद नीरा के कारोबार से जीविका दीदियों की तकदीर बदल रही है। बक्सर जिले में कुल दो नीरा उत्पादक समूह खोला जा चुका है, एक समूह में 28 सदस्य नीरा उत्पादन के लिए जुड़ी हुई हैं। सिमरी और ब्रहमपुर में नीरा उत्पादक समूह खोलने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। नीरा उत्पादन सह बिक्री केंद्र भी सभी प्रखंडों में क्रमवार खोलने का काम जारी है। डुमरांव में सात और नावानगर में छह नीरा संग्रहण सह बिक्री केंद्र बनाए गए हैं।

वैकल्पिक रोजगार के तहत हो रहा कारोबार

जीविका के कृषि प्रबंधक चंदन कुमार के अनुसार शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी नीरा की बिक्री जीविका दीदियों ने शुरू कर दी है। वैकल्पिक व्यवसाय के तहत नीरा के कारोबार से मुनाफे की ओर अग्रसर हैं। रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। ग्राहकों को शुद्ध, पौष्टिक व स्वास्थ्य्वार्धक पेय नीरा मिलने लगा है, इसके लिए जीविका लगातार प्रयासरत हैं। बक्सर जिले में डुमरांव व नावानगर के बाद जिला मुख्यालय में भी नीरा का स्टॉल खुल गया है।

पहले दिन ही 35 लीटर की हुई बिक्री

नीरा के प्रति ग्राहक अपनी रूचि भी दिखा रहे हैं। पहले ही दिन पैंतीस लीटर से ज्यादा नीरा की बिक्री अकेले समाहरणालय गेट के पास हुई है, राम पूजन बताते हैं कि नीरा के बारे में काफी सुना था। आज देखा भी और दो ग्लास पी भी लिय, स्वाद में तो बढ़िया है ही इसके पीने से कई बीमारियों से बचा भी जा सकता है। जीविकोपार्जन विशेषज्ञ जीविका संजय सिंह पटेल का कहना है कि स्वाद में मीठा और सफेद रंग वाला नीरा सेहत के लिए ठीक है। ताड़ और खजूर के पेड़ से जो ताजा रस निकलता है, उसे नीरा कहते है। इसमें 84 फीसदी पानी के अलावा कैल्शियम, पोटेशियम, फॉस्फोतरस, आयरन, जिंक, विटामिन बी, विटामिन बी कॉम्पलेक्स जैसे कई पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर को बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।

नीरा की बनी गुड़ और मिठाई भी आ रही पसंद

संचार प्रबंधक रौशन कुमार ने बताया कि नीरा से बनी मिठाइयां, गुड़ आदि लोगों को खूब पसंद आ रहा है। जिले में नीरा के उपयोग व उत्पादन को लेकर लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। बक्सर जिले में भी गुड़ और मिठाई बनाने के लिए प्रयास चल रहा है। नीरा संग्रहण सह बिक्री केंद्र ने जीविका दीदियों के लिए स्वरोजगार की राह आसान कर दी है, शराब एवं ताड़ी पर पाबंदी के बाद नीरा के कारोबार ने वैकल्पिक व्यवसाय की राह दिखाई है, जीविका इस कार्य में लोगों को संबल प्रदान कर रहा है।

जीविका के जिला परियोजना प्रबंधक अरुण कुमार ने कहा, 'आने वाले दिनों में ज्यादा से ज्यादा नीरा संग्रहण सह बिक्री केंद्र जिले में खोलने की प्रक्रिया जारी है, अभीतक दो प्रखंडों में संग्रहण सह बिक्री केंद्र शुरू हो गए हैं। जिला मुख्यालय में भी अब मिलने लगा है। अन्य तीन प्रखंडों में इसे करने के लिए प्रयास चल रहा है।'

पांच प्रखंडों में ही होगा नीरा का कारोबार

बक्सर जिले के पांच प्रखंडों में ही नीरा का कारोबार किया जा सकता है। बक्सर जिले में डुमरांव, सिमरी, नावानगर, ब्रह्मपुर और सदर प्रखंड में ही ताड़ के पेड़ पाए जाते हैं। इसलिए , इन प्रखंडों में ही यह कारोबार जीविका दीदी के माध्यम से किया जा सकता है।

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