बिहारः तेजस्वी के विभाग में मानकों का पालन नहीं, BMSICL ने दवा आपूर्ति की 34 एजेंसियों को थमाया नोटिस
एक महीने के अंदर इन कंपनियों से जवाब मांगा गया है। संतोषप्रद जवाब नहीं होने पर इन कंपनियों को काली सूची में डाला जा सकता है। साथ ही इनसे दवा आपूर्ति का अधिकार भी छीना जा सकता है।
बिहार के सरकारी अस्पतालों में दवा आपूर्ति में गड़बड़ी उजागर हुई है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से निर्धारित मानकों के अनुसार दवा आपूर्ति नहीं करने वाली 34 एजेंसियों को नोटिस दिया गया है। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इस विभाग के मंत्री हैं। बिहार मेडिकल सर्विसेज इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी लिमिटेड (बीएमएसआईसीएल) ने इन्हें नोटिस दिया है। अधिकतम एक महीने के अंदर इन कंपनियों से जवाब मांगा गया है। संतोषप्रद जवाब नहीं होने पर इन कंपनियों को काली सूची में डाला जा सकता है। साथ ही इनसे दवा आपूर्ति का अधिकार भी छीना जा सकता है।
निगम के वरीय अधिकारियों के अनुसार इतनी संख्या में पहली बार एजेंसियों को नोटिस दिया गया है। नोटिस देने के पहले निगम की आंतरिक समीक्षा बैठक हुई। पाया गया कि 34 एजेंसियों की ओर से की जा रही दवा आपूर्ति में मानक का पालन नहीं किया जा रहा है। दवा की मांग करने के बाद इन कंपनियों की ओर से समय पर उसकी आपूर्ति भी नहीं की जा रही है। कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जो दवा की तिथि समाप्त होने पर उसको लौटाने में आनाकानी कर रही हैं। चूंकि बिहार सरकार अस्पतालों में उपचार कराने वाले मरीजों को 611 प्रकार की दवा नि:शुल्क आपूर्ति कर रही है। ऐसे में यह जरूरी है कि इन एजेंसियों की ओर से ससमय दवा की आपूर्ति की जाए। इसी के आलोक में तय हुआ कि दवा आपूर्ति में मानकों का ख्याल नहीं रखने वाली कंपनियों से जवाब मांगा जाए और 34 कंपनियों से स्पष्टीकरण की मांग की गई।
आगे होगा क्या
निगम कंपनियों के जवाब का इंतजार कर रहा है। हरेक कंपनी के जवाब की गहन समीक्षा की जाएगी। देखा जाएगा कि इन कंपनियों ने मानक का ख्याल नहीं रखने पर भविष्य में क्या करने की बात कही है। साथ ही एक्सपायर्ड दवा के लेन-देन पर इन कंपनियों का क्या रुख है। अगर जवाब लोकहित से जुड़े हुए नहीं रहे तो इनके खिलाफ कार्रवाई तय है। अधिकारियों के अनुसार इन कंपनियों ने जिस स्तर की लापरवाही बरती है, ऐसे में अधिकतर के खिलाफ कार्रवाई तय है।
100 तरह की दवाएं आपूर्ति करती हैं
इन सभी एजेंसियों के खिलाफ अगर कार्रवाई की गई तो अस्पतालों में दवा आपूर्ति में कुछ समय के लिए परेशानी हो सकती है। दरअसल इन 34 एजेंसियों की ओर से लगभग 100 तरह की दवाएं आपूर्ति की जाती है। ऐसे में इनको काली सूची में डाला गया तो फिर से नई एजेंसियों के साथ निगम को करार करना होगा। इस कार्य में एकाध महीने लग सकते हैं। इस अवधि में अस्पतालों में की जाने वाली दवा आपूर्ति की प्रक्रिया बाधित हो सकती है।