Hindi Newsबिहार न्यूज़bihar Health department is not confirming death due to corona in munger statement came from civil surgeon

बिहार में कोरोना से हुई मौत की पुष्टि नहीं कर रहा स्वास्थ्य विभाग, सिविल सर्जन की ओर से आया ये बयान

स्वास्थ्य विभाग के कुछ चिकित्सक तथा पदाधिकारी इसी तरह से कोरोना मरीज की मौत के मामले को छिपाने का काम रहे हैं, जिसने बीते वर्ष कोरोना की दूसरे लहर में कोविड सेंटर में इलाज के दौरान अपना दम तोड़ दिया।

Malay Ojha हिन्दुस्तान, मुंगेरMon, 1 Aug 2022 12:42 PM
share Share

बिहार के मुंगेर जिले में कोरोना के मरीजों के मौत के आंकड़ों को छिपाये जाने का मामला किसी से अब छिपा नहीं रह गया है। स्वास्थ्य विभाग के कुछ चिकित्सक तथा पदाधिकारी इसी तरह से कोरोना मरीज की मौत के मामले को छिपाने का काम रहे हैं, जिसने बीते वर्ष कोरोना की दूसरे लहर में कोविड सेंटर में इलाज के दौरान अपना दम तोड़ दिया।

ऐसा ही एक मामला बेलन बाजार निवासी शांतनु कुमार सिंह के साथ भी हुआ है। शांतनु कुमार ने बताया कि उनके पिता 80 वर्षीय गिरीश नंदन प्रसाद सिंह बीते वर्ष कोरोना के दूसरे लहर के दौरान संक्रमित हो गये थे। जिसके बाद उन्हें गंभीर हालत में पूरबसरय स्थित जीएनएम स्कूल में बनाये गये कोविड केयर सेंटर में मरीज क्रमांक संख्या-12895 के रुप में 29 अप्रैल 2021 को भर्ती किया गया और ऑक्सीजन के अभाव में 30 अप्रैल की सुबह उनकी मौत हो गयी।

मौत के बाद जब परिजन शव को रिसिव करने गये तो उनके बॉडी को उनके भाई कंचन सिंह ने खुद से पीपीई किट पहनकर प्लास्टिक में पैक किया और अंतिम संस्कार के लिए ले गये। अंतिम संस्कार के बाद जब परिजनों ने वहां के नोडल पदाधिकारी से डेस्थ सर्टिफिकेट की मांग की, तो उसमें बताया गया कि उनकी मौत कोरोना से नहीं हुई है, उनकी मौत हृदय गति रुक जाने से हुई है। कोविड सेंटर से परिजनों को उनके कोरोना से मरने का ना तो कोई प्रमाण पत्र दिया गया और न ही वहां से उन्हें मरीज के बीएसटी की फोटो कॉपी दी गयी। 

बीएसटी की फोटो कॉपी मांगने पर बताया गया कि बीएसटी खो गयी है। शांतनु ने बताया कि उन्हें उनके पिता का कोविड से मौत का कोई प्रमाण-पत्र नहीं मिलने के कारण वे अब तक सरकार से मिलने वाली अनुग्रह अनुदान की राशि से वंचित हैं। गौरतलब है कि कोविड सेंटर में वैसे ही मरीज को भर्ती किया गया था, जिन्हें कोरोना संक्रमण हुआ था। उस वक्त स्वस्थ व्यक्ति भी यदि बिना एहतियात के कोविड सेंटर चले जाते थे तो उन्हें भी कोरोना संक्रमण हो जाता था। ऐसे में ग्रिस नंदन सिंह को अब तक कोविड मरीज क्यों नहीं घोषित किया गया है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें