बिहारः सरकार मरीजों को नहीं दे रही है पूरी दवाएं, BMSICL सप्लाई में फेल; कट रही गरीब की जेब
नवम्बर 22 की रिपोर्ट के अनुसार सभी जिलों से निगम को 8744 प्रकार की दवाओं की मांग की गई। इनमें 4990 यानी मात्र 57.07 फीसदी दवा ही अस्प्तालों को मिल सकी। 3773 तरह की दवाओं की आपूर्ति नहीं की जा सकी।
बिहार के सरकारी अस्पतालों में मात्र 57 फीसदी दवाओं की ही आपूर्ति हो रही है। बीएमएसआईसीएल (बिहार मेडिकल सर्विसेज इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड) अस्पतालों से मिली सूची के बाद शत-प्रतिशत दवाओं की आपूर्ति नहीं कर पा रहा है। निगम की ओर से दवा नहीं मिलने के बाद अधिकतर अस्पताल अपने स्तर से दवा की खरीदारी नहीं कर रहे हैं। इस कारण अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीज बाजार से दवा लेने को विवश हैं।
नवम्बर 22 की रिपोर्ट के अनुसार सभी जिलों से निगम को 8744 प्रकार की दवाओं की मांग की गई। इनमें 4990 यानी मात्र 57.07 फीसदी दवा ही अस्प्तालों को मिल सकी। 3773 तरह की दवाओं की आपूर्ति नहीं की जा सकी। 2776 दवाओं की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए निगम ने अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया। जबकि 997 दवाओं यानी 11.40 फीसदी दवाओं के उपलब्ध या अनुपलब्ध पर निगम ने कुछ नहीं कहा। निगम मुख्यालय में ही यह मामला लंबित रहा। इसमें 958 दवाओं का रेट तय कर दिया गया ताकि अस्पताल प्रशासन उसकी खरीदारी कर सके लेकिन 39 दवाओं के लिए दर भी तय नहीं की जा सकी।इसी तरह सर्जिकल आइटम में कुल 3102 प्रकार की दवाओं की मांग निगम से अस्पताल प्रशासन ने की। इनमें से मात्र 1233 यानी 39.75 फीसदी ही आइटम की आपूर्ति की गई। 1869 सर्जिकल आइटम की आपूर्ति नहीं की जा सकी। इनमें से 524 में अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किए गए। 1345 आइटम निगम कार्यालय में ही लंबित रह गए।
हो रहा है यह काम
निगम से दवा नहीं मिलने के बाद अस्पताल व मेडिकल कॉलेजों को पांच लाख रुपये तक की दवा खरीदने का अधिकार प्राप्त है। लेकिन इसके लिए निविदा जारी करनी पड़ती है। दवा खरीद में अक्सर घपला-घोटाला की बात सामने आते रहती है। इसलिए सिविल सर्जन या अस्पताल अधीक्षक निविदा से दवा खरीदने से परहेज करते हैं और निगम की ओर से जो दवा मिलती है, उसी का वितरण किया करते हैं।
आवश्यक की सूची में 386 प्रकार की दवाएं हैं शामिल
सरकार की प्राथमिकताओं में से एक यह भी है कि अस्पताल में आने वाले सभी मरीजों को निशुल्क आवश्यक दवाएं मिले। मरीजों को अनिवार्य रूप से दवाएं उपलब्ध कराने का जिम्मा वर्ष 2013 में जिलाधिकारियों को दिया जा चुका है। विकास आयुक्त ने सभी डीएम को यह भी कहा था कि हरेक सोमवार को वे अस्पतालों में मिल रही दवाओं की उपलब्धता की निगरानी करें। बिहार में 386 प्रकार की दवाएं ईडीएल (आवश्यक दवाओं की सूची) में शामिल है। जबकि बीएमएसआईसीएल ने दवा कंपनियों से 253 प्रकार की दवाओं के मूल्य का अनुबंध कर रखा है।
स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर करने पर चल रहा मंथन
राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के लिए पीजीआई चंडीगढ़ में मंथन चल रहा है। बिहार से इस कार्यशाला में डॉ. अभिषेक कुमार सिन्हा, डॉ. अनुपम कुमार, डॉ. मुकेश कुमार सिंह और डॉ. कुमार अभिमन्यु शामिल हो रहे हैं। कार्यशाला में देश भर के चिकित्सा विशेषज्ञ और मेडिकल के छात्र स्वास्थ्य व्यवस्था को और बेहतर करने पर मंथन कर रहे हैं।