छठ के बाद वापस दिल्ली-मुंबई लौट रहे लोग, टिकट कन्फर्म न होने से बढ़ी मुश्किलें, ट्रेन का किराया सबसे सस्ता
बिहार में सोमवार सुबह सूरज को अर्घ्य के साथ छठ पूजा का समापन हो गया। बिहार के लोग अब फिर से दिल्ली मुंबई में वापस काम पर लौट रहे हैं लेकिन ट्रेन टिकट कन्फर्म न हो पाने से लोगों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं
अपनी माटी में लौटकर व जड़ों से जुड़कर छठ करने की चाहत में पटना लौटे परदेसी फिर से वापस होने लगे हैं। छठ बीतने के बाद अब दो जून की रोटी के लिए फिर से दिल्ली समेत अन्य शहरों में लोगों की वापसी होने लगी है। सबसे अधिक संख्या पटना से दिल्ली जाने वालों की की है। छठ के अगले दिन जहां पटना से दिल्ली की फ्लाइट का किराया तीन गुना से अधिक रहा, वहीं, ट्रेन या सड़क मार्ग से जाना अपेक्षाकृत बहुत अधिक सस्ता है। पटना से नई दिल्ली जाने के लिए ट्रेन में स्लीपर का किराया महज 510 रुपए है। जबकि थर्ड एसी में 1350 रुपए, सेकेंड एसी में 1910 रुपए और फर्स्ट एसी में 3225 रुपए है। हालांकि, तेजस, राजधानी एक्सप्रेस का पटना से दिल्ली का किराया थोड़ा अधिक है। तेजस राजधानी के फर्स्ट एसी का किराया 4115 रुपए है।
सड़क मार्ग से दिल्ली जाने की सुविधा उपलब्ध
सड़क मार्ग से भी पटना से नई दिल्ली का सफर जनता तय कर रही है। जिन लोगों को फ्लाइट या ट्रेनों में सीट नहीं मिल पा रही है, उनके लिए बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की ओर से चलाई जा रही वॉल्वो बस सेवा बढ़िया विकल्प है। निगम से मिली जानकारी के अनुसार पटना के उत्तरी गांधी मैदान स्थित बांकीपुर बस अड्डे से रोजाना बस खुल रही है। पटना से दिल्ली का सीटिंग बस का किराया 1650 रुपए है। जबकि स्लीपर की सीट के लिए किराया 1900 रुपए निर्धारित किया गया है। पटना से खुलने वाली बस आनंदविहार के समीप कौशांबी बस स्टैंड पहुंचती है और वहीं से पटना के लिए खुलती है।
पटना राज्य परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक अरविंद कुमार ने बताया कि बस संचालन कि स्थिति ठीक है। लोग पटना से दिल्ली तक आसानी से सफर तय कर रहे हैं। अभी पटना से दिल्ली के लिए बुकिंग फुल चल रही है। उधर, कुछ निजी बस संचालक भी पटना से नई दिल्ली के लिए बस चला रहे हैं। जबकि सड़क मार्ग से पटना से नई दिल्ली के लिए चार पहिया वाहन (फोर सीटर) द्वारा 15 से 20 हजार किराया की मांग की जा रही है।
पूजा स्पेशल ट्रेनों के परिचालन के बावजूद ट्रेनों में लोगों की भीड़ लगी हुई है। टिकट कन्फर्म न होने के चलते ट्रेनों में लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में बस एक बेहतर विकल्प है।