लोकसभा चुनाव से पहले आनंद मोहन को बड़ी राहत, कोर्ट ने 28 साल पुराने केस में बरी किया
1996 में 10 अप्रैल को मिठनपुरा थाना में समस्तीपुर जिले के ताजपुर थाना के मर्चा निवासी अशोक कुमार मिश्रा ने FIR कराई थी। इसमें पूर्व सांसद आनंद मोहन, पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला को भी आरोपित किया गया था
Anand Mohan: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मुजफ्फरपुर कोर्ट ने बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन को बड़ी राहत दिया है। जेल में बंद सजायफ्ता कैदी के साथ मारपीट मामले में पूर्व सांसद आनंद मोहन को कोर्ट ने बरी कर दिया है। प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी पूर्वी के कोर्ट में पूर्व सांसद उपस्थित हुए। केस अभी तक बहस पर चल रहा था। बचाव पक्ष सह पूर्व सांसद के अधिवक्ता मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि पूर्व सांसद को कोर्ट ने बरी कर दिया है। आईएएस अफसर जी कृष्णैया हत्याकांड में नीतीश सरकार ने जेल कानून में बदलाव करके आजीवन कारावास की सजा से मुक्त कराया। उनकी पत्नी लवली आनंद जेडीयू में शामिल हो चुकी हैं और चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं।
जानकारी हो कि, इस केस में पूर्व सांसद आनंद मोहन के अलावा पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला, रामू ठाकुर, बबलू श्रीवास्तव और एक अज्ञात कैदी को आरोपित बनाया गया था। इसमें रामू ठाकुर और बबलू श्रीवास्तव की मौत हो चुकी है। जबकि पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला को कोर्ट बरी कर चुका है। इस केस में 1997 में 11 अप्रैल को पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी।
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यह है मामला
1996 में 10 अप्रैल को मिठनपुरा थाना में समस्तीपुर जिले के ताजपुर थाना के मर्चा निवासी अशोक कुमार मिश्रा ने एफआईआर कराई थी। इसमें पूर्व सांसद आनंद मोहन, रामू ठाकुर, पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला, बबलू श्रीवास्तव और एक अज्ञात कैदी को आरोपित किया था। पुलिस को दी जानकारी में आरोप लगाया था कि वह शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में आजीवन सजायफ्ता कैदी है। 1989 में 3 अक्टूबर से वह बंद है। सभी आरोपित जेल में रंगदारी करते है। इसका वह विरोध करते थे। जिसके कारण उनके साथ मारपीट की गई है।
कोर्ट का यह फैसला आनंद मोहन के लिए बहुत माकूल है। लोकसभा चुनाव सिर पर है। उनकी पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद ने जेडीयू की सदस्यता ले ली है। कहा जा रहा है कि लवली आनंद शिवहर सीट से चुनाव लड़ने वाली हैं। इसीलिए बीजेपी ने अपनी यह सीट जेडीयू को दिया है। आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद शिवहर से विधायक हैं। विश्वासमत के दौरान उन्होंने भी लालू यादव की पार्टी छोड़कर नीतीश कुमार का दामन थाम लिया।