नीतीश ने पुल गिरने की जांच जिसे सौंपी, उस अफसर की जांच के लिए JDU विधायक ने खोला मोर्चा
नीतीश कुमार ने खगड़िया-अगुवानी-सुल्तानगंज के बीच निर्माणधीन महासेतु के सुपर स्ट्रक्चर के ऊपरी हिस्से के गिरने की जांच करने की जिम्मेदारी पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत को दी है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खगड़िया-अगुवानी-सुल्तानगंज के बीच निर्माणधीन महासेतु के सुपर स्ट्रक्चर के ऊपरी हिस्से के गिरने की जांच करने की जिम्मेदारी पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत को दी है। अब जेडीयू के वरिष्ठ नेता और परबत्ता विधायक डॉक्टर संजीव सिंह ने प्रत्यय अमृत के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा है कि इस जांच से प्रत्यय अमृत को अलग रखा जाए।
विधायक डॉक्टर संजीव सिंह ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि हमारे विधानसभा में गंगा नदी पर बन रहा पुल ध्वस्त हो गया, जो कि काफ़ी चिंता का विषय है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया है। हमको पहले से भी पुल के स्ट्रैक्चर को लेकर अंदेशा था। तेजस्वी यादव से मिलकर हमने बात कही थी और उन्होंने आश्वासन भी दिया था। इस मामले को सदन में भी उठाया था। जेडीयू विधायक ने इस घटना के लिए पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत जिम्मेदार ठहराया है। डॉक्टर संजीव ने इस मामले की जांच हाईकोर्ट जज से कराने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि हाईकोर्ट जज के नेतृत्व में टेक्निकल एक्सपर्ट की टीम मामले की जांच करें तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी इस तथ्य से अवगत कराएंगे। सरकार में शामिल दल के विधायक के द्वारा पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव पर आरोप लगाए जाने से प्रशासनिक व सियासी हलके में सनसनी मच गई है। डॉक्टर संजीव ने कहा कि जिस तरह से यह पुल गिरा है उसे साफ जाहिर होता है कि इसमें स्ट्रक्चर फॉल्ट था। बनाने में शुरू में ही गड़बड़ी हुई। सामान्य तौर पर पुल ऐसे नहीं गिरता है। इस पूरे प्रकरण में पदाधिकारियों की मिलीभगत जाहिर होती है। विधायक ने कहा कि पहले ही सदन के माध्यम से उन्होंने सरकार और पदाधिकारियों को खतरे की आशंका से अवगत कराया था। जो आशंका पहले जाहिर की सच साबित हो गई।
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मीडिया से बातचीत में विधायक ने कहा कि पहले ही प्रत्यय अमृत के संज्ञान में यह बात लाई गई थी। मैंने आशंका जताई थी कि पुल धराशाई हो सकता है। लेकिन प्रत्यय अमृत ओवर कॉन्फिडेंस में रहते हैं। उन्होंने एक विधायक की शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया। प्रत्यय अमृत की पूरी गलती है क्योंकि मैंने खुद का एक ही चीज उनको समझा कर बताया था लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। इस दुर्घटना के लिए डिपार्टमेंट के सर्वोच्च पदाधिकारी की जिम्मेदारी बनती है। इनके साथ डिपार्टमेंट के अन्य सारे पदाधिकारी, इंजीनियर और संवेतक की भूमिका की भी जांच कर कार्रवाई की जानी चाहिए। सभी इसके के लिए जिम्मेदार हैं जिससे बिहार की छवि खराब हुई है।
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संजीव कुमार ने कहा कि हमने पिलर में पड़े दरारों की तस्वीर लेकर प्रत्यय अमृत को दिखाया था। तब उन्होंने कहा था कि इस पिलर को तोड़कर हटा दिया जाएगा। लेकिन कैसे उसी पिलर पर पुल का निर्माण जारी रहा क्या जांच का विषय है। यह सब विभागीय मिली भगत की वजह से हुआ। इसके लिए प्रत्यय अमृत की जिम्मेदारी बनती है।
डॉक्टर संजीव ने कहा कि जिनके देखरेख में पुल बन रहा था और जिनके मार्गदर्शन में घटना घटी है उन्हें जांच से अलग रखना चाहिए। इसके लिए मैं मुख्यमंत्री से मिलकर आग्रह करूंगा कि प्रत्यय अमृत को इसकी जांच से दूर रखा जाए। पुल गिरने के दोनों घटनाओं की न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए। हाईकोर्ट के जज के माध्यम से इसकी जांच होनी चाहिए। जांच में एक टेक्निकल एक्सपर्ट की टीम भी लगाना जरूरी है।
सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पुल गिरने की घटना पर काफी आश्चर्य और दुख जताया। उन्होंने कहा कि जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। नीतीश कुमार ने कहा कि इस घटना से उन्हें व्यक्तिगत रूप से काफी तकलीफ हुई है। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है। वह चाहते हैं कि जल्दी से काम हो जाए और लोगों की सेवा में इस पुल को समर्पित कर दिया जाए। लेकिन बार-बार पुल का गिरना बताता है कि इसमें तरीके से काम नहीं हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कड़े शब्दों में दोषियों पर कठोर कार्रवाई की बात कही।