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पटना के अस्‍पतालों में 500 डॉक्‍टर संक्रमित, गंभीर मरीजों का इलाज हुआ मुश्किल 

केस 1- आरा के संजय सिंह को ब्रेन हैमरेज हुआ। उनके परिजन उन्हें लेकर शनिवार की शाम को आईजीआईएमएस इमरजेंसी में पहुंचे लेकिन उन्हें भर्ती नहीं लिया गया। बताया गया कि यहां कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों का...

Ajay Singh वरीय संवाददाता , पटना Tue, 18 Jan 2022 01:11 PM
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केस 1- आरा के संजय सिंह को ब्रेन हैमरेज हुआ। उनके परिजन उन्हें लेकर शनिवार की शाम को आईजीआईएमएस इमरजेंसी में पहुंचे लेकिन उन्हें भर्ती नहीं लिया गया। बताया गया कि यहां कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों का ही इमरजेंसी में भर्ती लिया जाएगा। साथ ही यह भी बताया गया कि मरीज के लिए आईसीयू में बेड की उपलब्धता नहीं है। ऐसे में परिजन उन्हें पाटलिपुत्र कॉलोनी के निजी अस्पताल में ले गए।

केस 2- रेलवे में टीटीई का कार्य करने वाले डीपी सिंह (बदला नाम) राजेंद्र नगर के एक न्यूरोलॉजी के विशेषज्ञ चिकित्सक से अपना इलाज करा रहे थे। तीन दिन पहले अचानक उनके सिर में तेज दर्द हुआ। जब वे उस डॉक्टर के पास पहुंचे तो पहले रैपिड एंटीजन किट से कोरोना जांच की गई। उसमें वे संक्रमित पाए गए। सिर दर्द से वे लगभग बेहोशी की अवस्था में थे। बावजूद संक्रमण के भय से डॉक्टर ने उन्हें देखने से इंकार कर दिया और कोविड अस्पताल ले जाने की सलाह दी। ऐसा तब है जब वे पिछले एक साल से उस डॉक्टर की देखरेख में ही अपना इलाज करा रहे थे।

केस 3- पटना एम्स के सर्जरी वार्ड में तीन माह का बच्चा सिर में पानी की बीमारी से ग्रसित होकर भर्ती था। उसके ऑपरेशन की तिथि तय कर दी गयी थी। इसके एक दिन पहले उसके ऑपरेशन को एक सप्ताह के लिए टालने की सूचना परिजनों को दी गई। बताया गया कि कोरोना संक्रमण के कारण अभी ऑपरेशन संभव नहीं है। यह तब की स्थिति है जब उस बच्चे का सिर का फूला हुआ हिस्सा तेजी से बड़ा हो रहा था।

निजी हो या कुछ बड़े सरकारी अस्पताल, कोरोना काल में गंभीर मरीजों को वहां इलाज कराने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ डॉक्टर संक्रमण के भय से ऑपरेशन टाल रहे हैं तो कुछ संक्रमित होने के कारण ऑपरेशन नहीं कर पा रहे हैं। तीसरी लहर के दौरान अभी तक पटना के चार मेडिकल कालेजों के करीब 500 डॉक्‍टर कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। 

इस स्थिति में मरीजों की हालत खराब हो रही है। कई मरीजों की बीमारी समय पर इलाज नहीं होने के कारण बढ़ भी जा रही है। पीएमसीएच के स्त्रत्त्ी व प्रसूति रोग विभाग में कई ऐसी गर्भवती महिलाएं भी लगातार पहुंच रही हैं, जिनको किसी निजी डॉक्टर ने संक्रमण होने के भय से डिलिवरी नहीं कराई थी। पीएमसीएच की स्त्री व प्रसूति रोग विभाग की वरीय चिकित्सक डॉ. अमृता राय ने बताया कि पीएमसीएच में प्रतिदिन दो से तीन संक्रमित महिलाएं दूसरी जगह से रेफर होकर पहुंच रही हैं। उनकी नॉर्मल डिलिवरी के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर सिजेरियन किया जा रहा है। किसी भी मरीज को पीएमसीएच से लौटाया नहीं जा रहा है। सबका इलाज किया जा रहा है।

पीएमसीएच, एनएमसीएच में गंभीर अथवा सामान्य संक्रमित मरीजों को बिना इलाज के नहीं लौटाया जाता। वहां सभी प्रकार के मरीजों को जरूरत के अनुसार भर्ती व सर्जरी जारी है। वहीं, आईजीआईएमएस और एम्स में सिर्फ ऐसे ऑपरेशन को टाला जा रहा है जिससे जान का खतरा नहीं हो और जिसके टालने से मरीजों की बीमारी और ज्यादा नहीं बढ़े। इसके अलावा कुछ बुजुर्ग डॉक्टरों को छोड़ दें तो निजी क्षेत्र के ज्यादातर क्लीनिकों व शहर के लभग सभी बड़े अस्पतालों में मरीजों का ऑपरेशन व इलाज जारी है।

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