स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में खेल? 197 करोड़ खर्च के बाद भी सुविधाओं का टोटा; RTI से बड़ा खुलासा
स्मार्ट सिटी परियोजना से भागलपुर के शहरी क्षेत्र में सिग्नल लाइट से ट्रैफिक कंट्रोल करने पर 197.62 करोड़ खर्च हुए। फिर भी करीब 20 प्रतिशत चौराहों पर ही लाल-हरी बत्ती जल रही है। कुछ प्रमुख चौराहों पर तो ट्रैफिक लोड को देखते हुए सिग्नल येलो लाइट पर छोड़ दिया गया है।
स्मार्ट सिटी परियोजना से भागलपुर के शहरी क्षेत्र में सिग्नल लाइट से ट्रैफिक कंट्रोल करने पर 197.62 करोड़ खर्च हुए। फिर भी करीब 20 प्रतिशत चौराहों पर ही लाल-हरी बत्ती जल रही है। कुछ प्रमुख चौराहों पर तो ट्रैफिक लोड को देखते हुए सिग्नल येलो लाइट पर छोड़ दिया गया है। यानी बेरोकटोक वाहनों की आवाजाही की इजाजत मिली है। सवाल यह है कि स्मार्ट सिटी परियोजना से 16 चौराहों पर लगाई गई 171 लाइट से शत-प्रतिशत ट्रैफिक कंट्रोल सफल नहीं हो रहा है। फिर क्यों पौने दो अरब रुपये इस परियोजना में फूंके गए। जनता की गाढ़ी कमाई की इस तरह हुई फिजूलखर्ची पर भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड (बीएसएसएल) के कामकाज पर उंगली उठनी शुरू हो गई है। खर्च का ब्योरा सामाजिक कार्यकर्ता मामून रसीद को सूचना का अधिकार अधिनियम के जवाब में दिया गया है।
तिलकामांझी चौक पर सिग्नल से भी नहीं संभलता ट्रैफिक
अभी जिन प्रमुख चौराहों पर सिग्नल लाइट से ट्रैफिक कंट्रोल हो रहा है। वहां भी स्थिति विकट है। तिलकामांझी चौक पर हैवी ट्रैफिक से प्रतिदिन स्थिति अनियंत्रित रहती है। सुबह दिहाड़ी मजदूरों की भीड़ के चलते चौक साढ़े नौ बजे तक जाम रहता है। सुबह 10 बजे जब पुलिस चौक पर आती है तो पीक आवर के चलते रेड सिग्नल के बाद भी वाहनों की आवाजाही जारी रहती है। बरारी और जेल रोड साइड का ट्रैफिक लोड खत्म होने से पहले मनाली और कचहरी साइड का लोड शुरू हो जाता है। हटिया रोड का भी ट्रैफिक लोड इस भीड़ में खलल डालता है। इस स्थिति से रूबरू जिलाधिकारी ने भी कई मर्तबा बीएसएसएल को सुधार का निर्देश दिया है। लेकिन दो-चार दिन बाद ढाक के तीन पात जैसी स्थिति रहती है।
शहर में कहां और किस जगह लगी हैं लाइट
जंक्शन कितनी लाइट लगी
मनाली चौक 11
कचहरी चौक 09
जीरोमाइल चौक 12
घंटाघर चौक 08
गुड़हट्टा चौक 09
अलीगंज चौक 10
नाथनगर चौक 08
भीखनपुर गुमटी 09
तातारपुर चौक 08
कोतवाली चौक 13
रेलवे स्टेशन 12
शीतलास्थान चौक 11
तिलकामांझी चौक 15
कोयला डिपो 11
खलीफाबाग चौक 12
आदमपुर चौक 13
क्या कहते हैं अधिकारी?
भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड इंस्टालेशन एजेंसी है। हमने काम पूरा कर प्रशासन को हैंडओवर कर दिया है। प्रशासनिक दृष्टिकोण से कुछ जगहों पर सिग्नल लाइट से ट्रैफिक कंट्रोल नहीं हो पा रहा है। - पंकज कुमार, पीआरओ, बीएसएसएल
व्यवस्था संभालने में हुए विफल तो नये स्थल पर इंस्टॉलेशन से तौबा
पहले चरण में 16 चौक-चौराहों पर लाखों रुपये खर्च करने के बाद सिग्नल लाइट से ट्रैफिक कमांड में विफलता मिलने के बाद बीएसएसएल ने नये स्थल पर इंस्टॉलेशन से तौबा कर लिया। जबकि दूसरे चरण में आधा दर्जन से अधिक जगहों पर इंस्टालेशन की योजना थी। दरअसल, प्रशासनिक मनाही के बाद प्रमुख चौराहों पर हुई असुविधा के बाद नये लोकेशन के लिए सर्वेक्षण का विचार स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अधिकारी ने त्याग दिया। अभी भी कुछ जगह ऐसे हैं जहां लाल बत्ती से परेशानी हो रही है। तातारपुर चौक उदाहरण है। यहां कम जगह होने से वाहनों को दिक्कत होती है। सिर्फ कोतवाली चौक ही ऐसा है, जहां यह सिस्टम सफल दिख रहा है।
कचहरी, खलीफाबाग, मनाली, घंटाघर व स्टेशन चौक पर बेअसर
बीएसएसएल की नाकामी का हश्र यह है कि कचहरी चौक, खलीफाबाग चौक, मनाली चौक, घंटाघर चौक व स्टेशन चौक पर ट्रैफिक लाइट सिस्टम से नहीं लाठी सिस्टम से नियंत्रित हो रही है। यहां पुलिस को नियंत्रण के लिए लाठी उठानी पड़ती है। हद यह कि इस नाकामी की वजह तक नहीं ढूंढी गई है। प्रमंडलीय आयुक्त से लेकर जिलाधिकारी तक की बैठक में बीएसएसएल के अधिकारियों से इस नाकामी की वजह पर चर्चा तक नहीं हुई है। सिस्टम क्यों फेल हुआ? क्या कमियां रह गईं? बगैर ट्रायल कैसे लाखों रुपये एक ट्रैफिक चौराहे पर खर्च हुए? अब तक इस सवालों का जवाब बीएसएसएल के जिम्मेदारों से नहीं पूछा गया है। बता दें कि सिग्नल लाइट लगाने का ठेका मेसर्स शापूरजी एंड पॉलोनजी प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था।