Hindi Newsबिहार न्यूज़सीवानWomen Observe Jivitputrika Vrat for Sons Well-being in Siswaan District

पुत्र की सलामती के लिए व्रत रख माताओं ने सुनी चील- सियारिन कथा

सिसवन/ रघुनाथपुर, एक संवाददाता।र को उमड़ी हुई थी। माताओं ने बताया कि यह व्रत संतान की लंबी उम्र व खुशहाली के लिए रखती हैं। इस व्रत में भगवान जीमूतवाहन की विधिवत पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में जितिया...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीवानThu, 26 Sep 2024 12:52 PM
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सिसवन/ रघुनाथपुर, एक संवाददाता। शहर समेत पूरे जिले में आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि बुधवार को विधि-विधान से माताओं ने जीवित्पुत्रिका व्रत की। इस दौरान पुत्र की सलामती के लिए नदी-पोखरा में स्नान कर पारंपरिक रूप से व्रत की कथा सुनीं। नदी तट से ले मंदिर परिसर तक जिउतिया पूजा-कथा के लिए महिलाओं की भीड़ बुधवार को उमड़ी हुई थी। माताओं ने बताया कि यह व्रत संतान की लंबी उम्र व खुशहाली के लिए रखती हैं। इस व्रत में भगवान जीमूतवाहन की विधिवत पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में जितिया व्रत को कठोर व्रतों में से एक माना गया है। दो दिवसीय इस व्रत में 24 घंटे तक माताएं निर्जला व निराहार रखती हैं। इस व्रत में भगवान जीमूतवाहन की विधिवत पूजा करने के बाद व्रत कथा सुनने का विधान है। बुधवार को दिन भर निर्जला उपवास रहने के बाद माताओं ने नदी-पोखर में स्नान करने के बाद चील और सियारिन से जुड़ी जिउतिया की कथा सुनीं। जो महिलाएं नदी या पोखर में स्नान करने नहीं गईं, वे घर पर ही स्नान की। इस दौरान महिलाओं ने अपने संतान के नाम से बनी हुई जिउतिया का माला भी पहनी। धागे से बने माला में सोने और चांदी से बने संतान के नाम तरह-तरह के डिजाइन जिउतिया के गहने पहन रखीं थी। गुरुवार की सुबह फिर से स्नान करने के बाद पूजा-अर्चना कर पारण करेंगी। चील व सियारिन ने भी थी जिउतिया का व्रत धार्मिक कथाओं के अनुसार, एक विशाल पाकड़ के पेड़ पर एक चील रहती थी। उसी पेड़ के नीचे एक सियारिन भी रहा करती थी। दोनों पक्की सहेलियां थीं। दोनों ने कुछ महिलाओं को देख जिउतिया व्रत करने का संकल्प लिया और भगवान जीमूतवाहन पूजा करने का प्रण लिया। लेकिन जिस दिन दोनों को व्रत रखना था, उसी दिन शहर के एक बड़े व्यापारी का निधन हो गया था। इधर, जिउतिया व्रत रखीं सियारिन को अब भूख लगने लगी थी। व्यापारी की मृत्यु देखकर वह खुद को रोक न सकी और उसका व्रत टूट गया। लेकिन, चील ने संयम रखा और भक्ति-भाव से नियमपूर्वक व्रत करने के बाद अगले दिन व्रत पूरी होने पर पारण किया। अगले जन्म में दोनों सहेलियों ने एक ब्राह्मण परिवार में पुत्री के रूप में जन्म लिया। उनके पिता का नाम भास्कर था। चील बड़ी बहन बनी और सियारिन छोटी बहन के रूप में जन्मीं थी। चील का नाम शीलवती रखा गया। जिसकी शादी बुद्धिसेन के साथ हुई। जबकि सियारिन का जन्म कपुरावती रखा गया और उसका विवाह उस नगर के राजा मलायकेतु के साथ हुआ। जिउतिया व्रत पर महिलाओं ने किया उपवास सिसवन। जिउतिया के व्रत के लिए महिलाओं ने मंगलवार की सुबह सरयू नदी के विभिन्न घाटों पर स्नान के साथ ही व्रत की शुरुआत की। व्रति महिलाओं ने सुबह में सरयू नदी के विभिन्न घाटों पर स्नान करने के बाद उनकी पूजा अर्चना की व अपने पुत्रों की लंबी आयु के लिए जिउतिया की पूजा-अर्चना की। बुधवार को व्रती महिलाओं ने निर्जला व्रत रहकर शाम में चिल्ह सियारिन व जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनने के बाद अपने पुत्रों के लंबी आयु की कामना के साथी उपवास रखीं। गुरुवार की सुबह पूजा अर्चना के बाद महिलाएं पारण करेंगी। जिउतिया व्रत के लिए महिलाओं ने अपने घरों में पकवान बनाया व अपने पूर्वजों को याद किया। कई व्रती महिलाओं ने बताया कि रात में अपने अपने पितरों के साथ ही चिल्ह सियारिन के लिए भी बने हुए पकवान को रखतीं हैं। पुत्र के दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा निर्जला उपवास हसनपुरा। प्रखंड क्षेत्र के सभी गांवों में महिलाओं ने अपने पुत्र की सुख-समृद्धि व लंबी आयु की कामना के लिए बुधवार को जिउतिया पर्व पर निर्जला व्रत रखा। दो दिवसीय इस अनुष्ठान में व्रत करने वाली माताएं मंगलवार को स्नान-ध्यान कर भगवान की आराधना की। वहीं रात्रि में सरगही की। उसके बाद बुधवार को पूरे दिन निर्जला उपवास रखकर माताएं अपने पुत्र के दीर्घायु की कामना की। गुरुवार को सुबह पारन के साथ यह अनुष्ठान समाप्त होगा। प्रखंड के उसरी, हसनपुरा, अरंडा, करमासी, पियाउर, बसंतनगर, गायघाट, झौंवा व रजनपुरा समेत अन्य गांवों के तालाब व दाहा नदी में बुधवार की शाम स्नान ध्यान कर पूजा अर्चना कर पुत्रों की दीर्घायु की कामना की।

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