हर खेत तक पहुंचाने की योजना सफल नहीं, किसान परेशान
रघुनाथपुर में किसानों को उचित सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी नलकूप खराब हो गए हैं और नहरों में पानी की अनुपलब्धता से खेतों की सिंचाई नहीं हो पा रही है।...
रघुनाथपुर, एक संवाददाता। हर खेत तक पानी पहुंचाने की नई योजना सफल नहीं होने से किसान परेशान हैं। समुचित सिचाई सुविधा के अभाव में किसान निजी नलकूप पर ही आश्रित हैं। रघुनाथपुर प्रखंड क्षेत्र के किसानों के लिए सरकारी नलकूप से खेत की सिंचाई होना अब सपना बनता जा रहा है। एक तरफ किसान रबी सीजन में खाद की अधिक कीमत से परेशान हैं। दूसरी ओर किसानों को सिचाई की चिता भी परेशान कर रही है। इसे बदकिस्मती कहें कि नहरों का जाल होते हुए भी किसान सिचाई के लिए हर वर्ष तरसते हैं। कभी-कभी नहरों में पानी रहते हुए भी किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाता है। वहीं दूसरी तरफ सरकार प्रदत्त सरकारी नलकूप, व्यवस्था की लापरवाही से शोभा की वस्तु बना मुंह चिढ़ा रहा है। प्रखंड के निखती कला व निखती खुर्द सहित आसपास के पंचायत में नलकूप तो खराब होकर बंद पड़े ही है। नहर में पानी भी नहीं आ रहा है कि प्रखंड के किसान अपने खाली खेतों का पटवन कर सके। रघुनाथपुर प्रखंड के संठी, निखती कला, राजपुर, निखती खुर्द व गभीरार आदि गांवों में सरकारी नलकूप लगाया गया है। लेकिन, किसानों को इससे कोई फायदा नहीं पहुंच रहा है। किसानों का कहना है कि लघु सिंचाई विभाग के तहत बनाये गए ये नलकूप शोभा के वस्तु बने हुए हैं। सिंचाई की व्यवस्था हो तो पंजाब से आगे होंगे हम स्थानीय किसान शम्भूनाथ राय, प्रताप सिंह, प्रह्लाद भगत, राम जीवन सिंह, चन्दीप मांझी, हरेन्द्र राम, रामजतन साह आदि ने कहा कि इस क्षेत्र के किसानों की समस्याओं पर ध्यान ही नहीं दिया जाता है। किसानों से मिलकर अगर उनकी समस्याओं का हल कर दिया जाए तो यहां के किसानों की किस्मत पूरी तरह से बदल जाएगी। कहा कि सिंचाई की समुचित व्यवस्था हो जाय तो हम पंजाब व हरियाणा को भी पीछे छोड़ देंगे। किसानों ने कहा कि व्यवस्था की लापरवाही एवं उपेक्षा के चलते गंडक नहर की चकरी-चांदपुर उपवितरणी नहर से निकली शाखाओं में पानी ही नहीं पहुंच रहा है। अकेले निखती कला पंचायत में 3 नलकूप है, लेकिन, 2 खराब स्थिति में है। इनका सुधि कोई नहीं लेनेवाला नहीं है। किसान अमरनाथ प्रसाद ने कहा कि किसानों को सबसे अधिक खर्च सिंचाई पर करना पड़ता है। हालांकि, हाट-बाजार में खाद-बीज भी महंगा ही बेचा जा रहा है। इसपर लगाम लगाने की जरूरत है।
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