मौका मिला तो सेना में जाने को तैयार हैं शहीद की पत्नी अंजली
आशुतोष कुमार/राजीव सीवान। जीवनसाथी से बिछुड़ने का गम खाए जा रहा था, पर आंखों से आंसू छलके तो उनमें फख्र था। देश के लिए मर-मिटने की कसम खाकर घर बीते 10 अप्रैल से निकले आर्मी जवान रामबाबू सिंह के...

आशुतोष कुमार/राजीव सीवान। जीवनसाथी से बिछुड़ने का गम खाए जा रहा था, पर आंखों से आंसू छलके तो उनमें फख्र था। देश के लिए मर-मिटने की कसम खाकर घर बीते 10 अप्रैल से निकले आर्मी जवान रामबाबू सिंह के पार्थिव शरीर से तिरंगा हटाकर, शहीद की पत्नी अंजलि के हाथ में आर्मी के जवानों ने जब बुधवार को सौंपा। कदम जरूर लड़खड़ा रहे थे, लेकिन तिरंगा को उसने ने ऐसे जकड़ रखा था, जैसे अब इसी को रामबाबू की याद बनाकर रखेंगी। दो दिन से हिम्मत बांधे पत्नी अचानक शव के पास गिर पड़ी। घरवालों ने संभाला। मायके से आए पिता- मां ने संभालने की बहुत कोशिश की, लेकिन पत्नी यही कहती रही कि जल्द घर आने का वादा किया था, लेकिन अब बेजान शरीर पहुंचा है।
अंजलि ने बताया कि हमारे उनके बीच शादी के बाद से ही रिश्ता नहीं था। बल्कि यह रिश्ता आठ सालों का था। जब हम दोनों एक साथ दिल्ली में एनसीसी के आयोजित कैंप में शामिल हुए थे। गौर करने वाली बात है कि एनसीसी में बेहतर कैडेट्स के साथ एथलेक्टिस, बॉक्सिंग आदि खेल में उत्कर्ष प्रदर्शन करने को लेकर झारखंड की तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के हाथों गोल्ड मेडल मिला । अंजलि ने बताया कि मैं खुद डिफेंस की तैयारी कर रही हूं। अगर मौका मिलेगा तो मैं सेना की नौकरी करूंगी। बताते चलें कि दिसंबर 2024 में दोनों शादी के बंधन में बंधे थे। बदहवास मां पूछ रही थी, कहां है मेरा बेटा : पति के गुजर जाने के बाद दो बेटे के सहारे बचे दिन काट रही मां सुमित्रा देवी को यह नहीं पता था कि उसके बेटे को क्या हुआ है। वह बार-बार पूछती रही, मेरे बेटे को कहां गोली लगी है। उसे समझाने का प्रयास किया जाता तो वह जमीन पर सर पटक पटक कर रोने लगती। उसकी चीख सुनकर हर आंख नम हो गई। जब घर के चिराग की अंतिम यात्रा की तैयारी करने आर्मी के जवान आगे बढ़े तो मां ने कहा कि एक बार बेटे को देखने दे दे बाबू..। उस जवान ने मां को कलेजे से लगाया और कहा मां, जी भर के देख लो अपने लाल को, वह तो देश की रक्षा करने गया था। घटना के दिन 10 बजे पत्नी से रामबाबू ने की थी बात शहीद रामबाबू की पत्नी अंजलि ने कहा कि सोमवार को घटना के तीन घंटे पहले यानी 10 बजे सुबह में उनसे मोबाइल पर बात हुई थी। इसके बाद करीब डेढ़ बजे उनके यूनिट से मोबाइल पर फोन आया और उनकी डिटेल्स पूछी गई। बाद में जिस नंबर से कॉल आया था, उस नंबर पर अंजलि के पिता ने बात किया तो पता चला कि वे सिंदुर ऑपरेशन के दौरान शहीद हो गए। मैं बेड रेस्ट में घर पर ही रह रही थी। जब उनकी शहादत की खबर मिली तो मैं बेसुध हो गई। लेकिन अब मुझे गर्व है अपने पति पर।
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