राधा माधव मंदिर के तर्ज पर बेला में बन रहा पूजा पंडाल
बेला थाना के सामने दुर्गा मंदिर में हर वर्ष धूमधाम से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है। यह पूजा 150 वर्ष पुरानी परंपरा है, जिसे स्थानीय लोगों ने हैजा महामारी के समाप्त होने की मन्नत के बाद शुरू किया...
परिहार। प्रखंड क्षेत्र के इंडो-नेपाल सीमा पर अवस्थित बेला थाना के सामने दुर्गा मंदिर में प्रत्येक वर्ष बड़ी ही धूमधाम से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है। आजादी से पूर्व से ही यहां पर दुर्गा पूजा मनाया जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां के लोगों ने संक्रामक बीमारी हैजा बंद हो जाने को लेकर दुर्गा पूजा का आयोजन की मन्नत किया था। हैजा बंद होने पर बेला मच्छपकौनी के लोगों ने हर्षोल्लास के साथ पूजा मनाना शुरू कर दिया। शुरूआती दौर में ग्रामीणों के द्वारा पूजा का आयोजन किया जा रहा था। ग्रामीणों के द्वारा वर्षों तक पूजा मनाया गया। जब लोग गरीबी से तंग होने लगे तब बेला थाना परिवार की ओर से पूजा मनाया जाने लगा। 2008 से पुनः ग्रामीणों के द्वारा कमिटी गठित कर मनाया जा रहा है। डेढ़ सौ वर्ष पहले से ही पूजा का आयोजन हो रहा है। पूजा में अध्यक्ष मनोज कुमार, कोषाध्यक्ष सियाशरण साह, सचिव कामेश्वर चौधरी समेत 21 सदस्यीय कमिटी गठित कर अपना सहयोग निभाते हैं। इस संदर्भ में पूजा समिति के अध्यक्ष मनोज कुमार ने बताया कि इस वर्ष भी पूजा को लेकर विभिन्न तरह की तैयारियां जोरों पर चल रही है। 17 लाख की लागत से पूजा का आयोजन किया जाएगा। शुरूआत में पहली बार दूसरे जगह से मूर्तिकार को बुलाया जाता था। जो पड़ोसी राष्ट्र नेपाल कोल्हुआ बहेरा के मूर्तिकार ने मूर्ति बनाना शुरू किया। इस बार नेपाल के कोल्हुआ बहेरा के मूर्तिकार रामकृष्ण पंडित एवं चंदन कुमार पंडित मूर्ति का निर्माण कर रहे हैं। वहीं पिछले वर्ष पूजा समिति के द्वारा केदारनाथ मंदिर के तर्ज पर पंडाल का निर्माण कराया गया था। इस वर्ष पश्चिम बंगाल राज्य के हावड़ा स्थित प्रसिद्ध राधा माधव मंदिर के तर्ज पर पंडाल का निर्माण किया जाएगा। रंग बिरंगी रौशनी से पूरे इलाके को जगमगा दिया जाएगा। उक्त तैयारी स्थानीय कारीगर द्वारा ही किया जा रहा है। षष्ठी के दिन बेल न्योतन पर शोभायात्रा निकाला जाता है। शोभायात्रा में भाड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुटती है। संध्या आरती में हर रोज हजारों दिप श्रद्धालुओं द्वारा जलाया जाता है। पूजा में मां दुर्गा की भव्य मूर्ति, पंडाल, दिपोत्सव इलाके में आकर्षण का केंद्र बना रहता है। बॉर्डर इलाका सटे होने के कारण नेपाल के लोग भी मां दुर्गा के पट खुलने के बाद दर्शन करने आते हैं। वहीं दोनों देश के सीमा पर अवस्थित गांव के बाड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा में शामिल होते हैं। पूजा समिति द्वारा लोगों द्वारा स्वेच्छा से दिए गए सहयोग राशि से किया जाता है। पूजा में विधि व्यवस्था के मद्देनजर दंडाधिकारी के साथ भाड़ी संख्या में पुलिस तैनाती होती है।
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