रामायण, बौद्ध, सूफी की तर्ज पर बिहार में शिव सर्किट; इन मंदिरों को जोड़ने का प्लान
पर्यटन विभाग का प्रयास ज्यादा से ज्यादा प्राचीन शिवमंदिरों को सर्किट से जोड़ने का है। इसके लिए 12 जिलों के जिलाधिकारी से सुझाव भी मांगे गए।

बौद्ध, जैन, सूफी और रामायण सर्किट की तरह राज्य में शिव सर्किट विकसित करने की तैयारी चल रही है। पहले चरण के सर्वे के बाद चुनिंदा नौ प्राचीन शिव मंदिरों के आसपास करीब 278 पर्यटकीय सुविधाएं विकसित करने की घोषणा कर दी गई है। दो शिवमंदिर के लिए योजना बन रही है। अन्य शिवालयों को भी जल्द शिवसर्किट के नक्शे पर लाया जाएगा। राज्य में कई प्राचीन और ऐतिहासिक शिव मंदिर है। रामायण और महाभारत काल से इनका संबंध है।
इन शिवालयों का महात्म्य पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। कई मंदिरों में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू माने जाते हैं। बावजूद अभी तक इन सभी शिवमंदिरों को पर्यटन के नक्शे पर लाया नहीं जा सका है। पर्यटन विभाग ने पिछले वर्ष यह काम शुरू किया। जिसके चलते अब राज्य में शिव सर्किट आकार लेने लगा है। पर्यटन विभाग का प्रयास ज्यादा से ज्यादा प्राचीन शिवमंदिरों को सर्किट से जोड़ने का है। इसके लिए 12 जिलों के जिलाधिकारी से सुझाव भी मांगे गए। हालांकि अभी सभी जिलों से सुझाव आना बाकी है।
काशी की तर्ज पर हरिहरनाथ कॉरिडोर
बाबा हरिहरनाथ मंदिर क्षेत्र का भी समग्र विकास किया जा रहा है। इसके लिए परामर्शी का चयन कर लिया गया है। जल्द ही यहां भी काम शुरू होगा। श्रावणी मेले में शिवभक्तों की सुविधा के लिए भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में जहाज घाट के नजदीक रेलवे की 17 एकड़ 47 डिसिमल भूमि हस्तांतरण की जा रही है। यहां भी अजगैबीनाथ मंदिर परिसर के विकास के लिए पर्यटन विभाग ने योजना बनाई है।
राज्य के अन्य प्रमुख शिवालय
गरीबनाथ मंदिर, मुजफ्फरपुर। कपिलेश्वर स्थान, मधुबनी। भैरवस्थान शिव मंदिर, मुजफ्फरपुर। बाबा कोटेश्वर नाथ, गया। बाबा सिद्धेश्वरनाथ, बराबर, जहानाबाद। बाबा बटेश्वरनाथ मंदिर, बिहटा। गौरीशंकर बैकुंठ धाम, बैकठपुर, खुसरूपुर। बूढ़ानाथ मंदिर, भागलपुर। भूतनाथ मंदिर, भागलपुर। गिद्धेश्वर महादेव, जमुई। शृंगीऋषि महादेव, लखीसराय। फुलेश्वरनाथ महादेव, खगड़िया। बटेश्वरनाथ मंदिर, कहलगांव, भागलपुर। महेंद्रनाथ शिवमंदिर, सीवान। केसरनाथ केसरिया, पूर्वी चंपारण। इन सभी मंदिरों को शिव सर्किट पर लाया जाएगा।
मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा के बाद पर्यटन विभाग ने नौ शिवालयों के लिए 278 रुपये की योजना की स्वीकृति दी है। इनमें सबसे ज्यादा मधेपुरा के सिंहेश्वर स्थान के लिए करीब 90.27 करोड़ रुपये है। इसके अलावा श्रीसोमेश्वर नाथ मंदिर, पूर्वी चंपारण परिसर के विकास पर 70 करोड़, बाबा कुशेश्वर स्थान, दरभंगा के लिए 44 करोड़, गोरखनाथ धाम, कटिहार के लिए 14.25 करोड़, बाबा तिलेश्वरनाथ मंदिर, सुपौल के लिए 7.52 करोड़, पटना जिले के उमानाथ मंदिर बाढ़ के लिए करीब 14 करोड़, लखीसराय के अशोक धाम के लिए 14 करोड़ दिये गए हैं। जमुई के पतनेश्वर धाम के लिए 9.89 करोड़ और अररिया के सुंदरनाथ धाम के लिए 14 करोड़ दिये गए हैं। मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने सुंदरनाथ धाम में शिव की अराधना की थी।