जिले में 10 हजार हेक्टेयर गेहूं की खेती का रकबा बढ़ाने की तैयारी
समस्तीपुर में कृषि विभाग ने रबी फसल की खेती को लेकर सक्रियता दिखाई है। इस वर्ष गेहूं की बुआई का लक्ष्य 89 हजार 527 हेक्टेयर रखा गया है। 18,000 हेक्टेयर में अन्य फसलों की खेती होगी। जीरो टिलेज विधि से...
समस्तीपुर। रबी फसल की खेती को लेकर कृषि विभाग सक्रिय हो गया है। समय पर किसानों की खेती हो सके इसको लेकर मुक्कमल व्यवस्था की जा रही है। इस बार गेंहू की फसल का दायरा भी बढ़ाया गया है। पहले 79 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बुआई होती थी, लेकिन इस वर्ष रबी मौसम में कृषि विभाग ने 89 हजार 527 हेक्टेयर भूमि में गेहूं की खेती कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। हालांकि इसमें और वृद्धि हो सकती है। वही करीब 18000 हेक्टेयर भूमि में चना, मसूर, मक्का, खेसारी, सरसों, तीसी आदि फसलों की खेती होगी। किसानों को रबी फसल की खेती के दौरान किसी तरह की असुविधा नहीं हो, इसको लेकर विभाग हर स्तर पर पहले से तैयारी कर रहा है। जिले में इस साल खरीफ फसल की बेहतर खेती पर संशय बना हुआ है। मौसम के साथ नहीं देने से किसान अपनी बदौलत खेत में डटे हुए है। खेतों में लगे धान के पौधों में अब बालिया निकलने लगी हैं। जबकि कुछ विलंब से तैयार होने वाली धान की प्रजाति भी खेतों में लगी हुई है। कृषि विभाग के अफसर की माने तो अक्टूबर माह के अंत व नवंबर माह के शुरुआती दौर से धान की कटनी का कार्य किसान प्रारंभ कर देंगे। धान की कटनी के साथ जिले के किसान रबी फसल की बुआई का काम भी प्रारंभ कर देंगे। पहले धान रोपने वाले किसानों के खेत पहले खाली हो जाएंगे। इसलिए वह रबी फसल की बुआई पहले कर लेंगे। विभाग द्वारा जारी निर्देश के आलोक में रबी फसल की खेती की विभागीय तैयारी प्रारंभ कर दी गई है। इसको लेकर गेहूं, दलहन तथा तेलहन फसल की खेती के लिए प्रखंड द्वारा लक्ष्य निर्धारित किया जा रहा है। विभाग के निर्देश पर मोटे अनाज को बढ़ावा के लिए जौ, मक्का आदि की खेती भी कराई जाएगी।
1000 हेक्टेयर में जीरो टिलेज विधि से होंगी खेती : कृषि विभाग इस वर्ष करीब 1000 हेक्टेयर भूमि में जीरो टिलेज विधि से अपनी देखरेख में गेहूं की खेती कराएगा। जिला कृषि कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, जीरो टिलेज विधि से खेती करने के लिए विभाग द्वारा किसानों को खाद बीज कीटनाशक दवा आदि मुहैया कराई जाएगी। विभागीय अफसर ने बताया कि कृषि समन्वयक, किसान सलाहकार, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, कृषि वैज्ञानिक किसानों के खेतों पर पहुंचकर किसानों को वैज्ञानिक तरीके से कम लागत में अधिक उपज के लिए खेती करने की जानकारी देंगे।
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