सोमवार को नहाय खाय के संग जितिया शुरू
महिषी में जीमूतवाहन (जितिया) पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ हुई। यह पर्व आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। महिलाएं निर्जला व्रत रखकर जीमूतवाहन देव की पूजा करती हैं। पर्व की समाप्ति...
महिषी एक संवाददाता । प्रखंड के विभिन्न गांवों में जीमूतवाहन ( जितिया ) पर्व सोमवार को नहाय खाय के संग श्रद्धा और भक्ति के साथ शुरू हो गया है। आश्विन कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व के बारे में कई तरह की कहानियां कही जाती है। कई जानकारों के अनुसार इसकी शुरुआत महाभारत काल बताया जाता है। इसके अतिरिक्त चील और सियार से भी इस त्योहार की कहानी जुड़ी होने की चर्चा की जाती है। मिथिलांचल में लगभग सभी विवाहित महिलाएं जीवित्पुत्रिका नाम से जाने जाने वाले इस पर्व में निर्जला व्रत रखती है। महिला जीमूतवाहन देव का पूजन कर पुत्र प्राप्ति सहित पुत्र के दीर्घायु, स्वस्थ और कल्याण करने की कामना करती है। सोमवार को नहाय खाय होगा। मंगलवार की सुबह से शुरू जितिया व्रत की समाप्ति बुधवार की शाम को 5 बजकर 5 मिनट के बाद होगी। मिथिलांचल में नहाय खाय के दिन मरुआ की रोटी और मछली खाने की पुरानी परंपरा का आज भी निर्वहन परम्परागत तरीके से किया जाता है। ओठघन में चूड़ा दही चीनी के भोजन की परंपरा का निर्वहन पौराणिक काल से आज तक किया जा रहा है। मंगलवार को व्रतियों द्वारा फलों सहित बांस और जियल के पत्तों से डाली भरा जाता है, जिसको उनके संतानों द्वारा व्रत समाप्ति से कुछ देर पहले खोला जाता है। इस पर्व में नोनी साग भी काफी महत्त्वपूर्ण होता है। सोमवार एवं मंगलवार को डाली भरने वाले सामानों की खरीददारी करने के लिए बाजारों में लोगों की भीड़ लगी रही।
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