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चंद्रमा को अर्घ्य देकर पारंपरिक रूप से मनाया गया चौठचंद्र पर्व

सहरसा में शुक्रवार को चौरचन पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस दिन लोग चंद्रमा की पूजा करते हैं और मनोकामनाओं की प्राप्ति के लिए व्रत करते हैं। महिलाएं तीज पर्व भी मनाती हैं, जिसमें वे अपने पति की लंबी उम्र...

Newswrap हिन्दुस्तान, सहरसाSat, 7 Sep 2024 01:00 AM
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सहरसा। जिले में शुक्रवार को आस्था का पर्व चौरचन हर्षोल्लास से मनाया गया। इस पर्व की मान्यता है कि चौठ चंद्र व्रत की उपासना करने से मनोकामनाओं की प्राप्ति होती है। पर्व मनाने के लिए सुबह से घरों में तैयारी चल रही थी। प्रसाद तैयार किया गया। शाम में घरों के आंगन में, छत पर पूजन सामग्रियों से भरी डाली, दही आदि के साथ भगवान चंद्रमा की अराधना की गई। कच्चे चावल को पीसकर पिठार तैयार किया गया। घर के आंगन या छत पर पूजा स्थल को आकर्षक रंगोली से सजाने के बाद निष्ठा पूर्वक पूजा अर्चना की गई। पूजा-अर्चना के बाद व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण किया। पौराणिक कथाओं के अनुसार चंद्रमा को अपने सौंदर्य पर अभिमान हो गया था। उन्होंने भगवान गणेश जी का मजाक उड़ा दिया। भगवान गणेश जी ने क्रोधित होकर श्राप दिया कि उनकी सुंदरता चली जाए जिसके बाद धीरे-धीरे चंद्रमा की चमक कम होने लगी। भगवान ने यह भी श्राप दिया कि जो भी भाद्रपद शुक्ल की चतुर्थी तिथि को चंद्रमा के दर्शन करेगा, उस पर झूठे आरोप और कलंक लगेंगे। तब चंद्रदेव को अपनी गलती का एहसा हुआ और उन्होंने भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि को गणेशजी को मनाने के लिए पूजा-आराधना किया। । जिसके बाद गणेशजी ने आशीर्वाद दिया कि जो भी गणेश चतुर्थी को चंद्रदेव का दर्शन कर उनकी पूजा करेगा। उनका जीवन निष्कलंक रहेगा। इस दिन से ही चौरचन पूजा का पर्व भी मनाने की परंपरा शुरू हुई।

सोनवर्षा राजप्रखंड क्षेत्र में शुक्रवार को चौरचन व तीज पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। पर्व को लेकर बाजारों में काफी चहलप् ाहल बनी रही। तीज पर्व महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की सलामती के लिए करती है।

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