Hindi Newsबिहार न्यूज़सहरसाAgwanpur Hosts Farmer Prosperity Week and Climate-Smart Agriculture Workshop

कृषक स्वर्ण समृद्धि सप्ताह का आयोजन

कृषि विज्ञान केन्द्र अगवानपुर ने कृषक स्वर्ण समृद्धि सप्ताह और जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें किसानों को नई कृषि तकनीकों से अवगत कराया गया और महिलाओं की कृषि में भूमिका पर चर्चा की...

Newswrap हिन्दुस्तान, सहरसाSat, 28 Sep 2024 01:31 AM
share Share

सत्तर कटैया। ए.सं। कृषि विज्ञान केन्द्र अगवानपुर के द्वारा कृषक स्वर्ण समृद्धि सप्ताह एवम जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम अंतर्गत कार्यशाला सह प्रक्षेत्र भ्रमण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। केन्द्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डा. नित्यानंद ने सभी अतिथियों का स्वागत किया गया तथा अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उदघाटन किया। इस कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि मंडन भारती कृषि महाविद्यालय के सह अधिष्ठता सह प्राचार्य डा. अरुणिमा कुमारी ने किसानों को बताया कि कृषक स्वर्ण समृद्धि सप्ताह के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र के द्वारा जिले के किसानों को समृद्ध बनाने के लिए कई कार्यक्रम चलाया जा रहा है ताकि तकनीक के माध्यम से किसानों को खेती में होने वाले जोखिम, प्राकृतिक आपदा से होने वाले हानि को कम किया जा सके तथा किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिल सके। उन्होंने महिलाओं की कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ग्रामीण कृषि समुदायों में महिलायें रीढ़ की हड्डी हैं और जब हम उन्हें कौशल और संसाधनों से सशक्त करेंगे तो हमारे गांवों की समृद्धि निश्चित होगी। संयुक्त निदेशक सस्य सह जिला कृषि पदाधिकारी, सहरसा ने कहा कि किसान नवीनतम कृषि तकनीकों को अपनाकर अपनी उत्पादन क्षमता और स्थिरता को बढ़ा सकें। उन्होंने कहा खेती का भविष्य नवाचार में निहित है और हम चाहते हैं कि हमारे किसान हर संभव जानकारी और उपकरण से लैस हों ताकि वे सफलता प्राप्त कर सकें। क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान के सह निदेशक अनुसंधान डा. मनीष दत्त ओझा ने कहा कि पशु पालन से प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन मिलता है। इससे रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक आदि पर से भी निर्भरता को कम या पूरी तरह से प्राकृतिक खेती कर समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मौसम के बदलते परिवेश में ऐसी खेती करने से खेती में अनिश्चितता को दूर करने में आसानी होती है एवं आय में वृद्धि होती है। इस प्रकार की खेती को मिश्रित खेती भी कहते हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डा. नित्यानंद ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्रों के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में कृषक स्वर्ण समृद्धि सप्ताह का शुभारंभ किया गया। उन्होंने कहा कि भारत में प्रथम कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना वर्ष 1974 में पांडिचेरी में की गयी थी। देश में 731 कृषि विज्ञान केंद्र जिला स्तर पर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों के बीच में कृषि की नवीन तकनीकों का प्रचार प्रसार एवं जागरूकता फैलाना है। यह कार्यक्रम सहरसा जिले के विभिन्न गांवों एवम केन्द्र पर आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत किसानों को खेती के अलावा मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, मुर्गी पालन, पशु पालन के साथ उद्योगिक फसलों की खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे किसानों का अतिरिक्त आय का सृजन हो सके और अन्य लोगों को रोजगार का अवसर मिलता रहे। ईं. विमलेश कुमार पांडेय ने कृषि में प्रयुक्त होने वाले छोटे उपकरणों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। डा. पंकज कुमार राय ने सब्जियों के नर्सरी प्रबंधन तथा पुराने एवम अनुपयोगी बागों के जीर्णोद्वार के बारे में जानकारी दी। अमित शेखर ने धान के विभिन्न रोग एवम कीटो के पहचान एवम प्रबंधन के बारे में जानकारी दी। अशोक पंडित ने केंचुआ खाद उत्पादन एवं उससे उद्यमिता विकास तथा गेहूं की वैज्ञानिक खेती पर विस्तार से चर्चा की।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें