तिरहुत एमएलसी उपचुनाव के लिए RJD ने उतारा प्रत्याशी, लालू यादव ने गोपी किशन पर चला दांव
तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के लिए होने वाले एमएलसी उपचुनाव के लिए आरजेडी ने गोपी किशन को प्रत्याशी बनाया है। जिसकी जानकारी राजद ने प्रेस रिलीज जारी करके दी। इस सीट पर जेडीयू ने अभिषेक झा को कैंडिडेट बनाया है। देवेश चंद्र ठाकुर के सांसद बनने के बाद ये सीट खाली हुई थी।
लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के एमएलसी चुनाव के लिए प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया है। राजद ने गोपी किशन को कैंडिडेट बनाया है। जिसकी जानकारी आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने मीडिया से साझा की।
जारी प्रेस रिलीज में कहा गया कि राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के निर्देशानुसार, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव की सहमति के बाद तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से आरजेडी के अधिकृत उम्मीदवार गोपी किशन को बनाया गया है।
आपको बता दें इस सीट से जेडीयू के देवेंद्र चंद्र ठाकुर विधान परिषद के सदस्य थे। सीतामढ़ी लोकसभा सीट से जीत हासिल करने के बाद तिरहुत स्नातक कोटे की ये सीट खाली हो गई थी। बीते दो दशकों से इस सीट पर जेडीयू का कब्जा है।
नीतीश कुमार की जदयू ने अभिषेक झा को एनडीए समर्थित प्रत्याशी बनाया है। वहीं आरजेडी के गोपी किशन महागठबंधन समर्थित कैंडिडेट हैं। जेडीयू और आरजेडी दोनों के ही प्रत्याशी युवा हैं। ऐसे में इस सीट पर एक बार फिर से एनडीए बनाम महागठबंधन की लड़ाई देखने को मिलेगी।
आपको बता दें विधान परिषद में तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के खाली पद को भरने के लिए कवायद शुरू हो गई है। इस सीट के लिए मतदाता सूची तैयार करने से संबंधित विस्तृत कार्ययोजना भारतीय निर्वाचन आयोग ने जारी कर दी है। मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया 29 जुलाई से शुरू हो चुकी है। 13 अगस्त को पहली बार जबकि 23 को दोबारा इससे संबंधित नोटिस प्रकाशित होगा। फॉर्म 18 और 19 पर 3 सितंबर तक आवेदन की अंतिम तारीख होगी।
24 सितंबर से 15 अक्टूबर तक दावा एवं आपत्ति ली जाएगी। 30 अक्टूबर तक सभी दावा आपत्ति के आधार पर मामलों का निपटारा करके इसका प्रकाशन किया जाएगा। 6 नवंबर तक मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होगा। मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।
गौरतलब है कि विधान परिषद के तत्कालीन सभापति देवेश चंद्र ठाकुर के सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र से सांसद बनने के बाद यह पद रिक्त हुआ है। नियमानुसार, पद रिक्त होने के छह महीने के अंदर तक निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी कर लेनी है। छह माह की अवधि 14 दिसंबर को पूरी हो रही है। इससे पहले चुनाव कराने से संबंधित प्रक्रिया निर्वाचन आयोग के स्तर से शुरू कर दी गई है।
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