47 स्थानों पर कटाव रोकने के लिए भेजा प्रस्ताव, मात्र 7 स्थानों को ही मंजूरी मिली
-पप्पू यादव ने सर्किट हाउस में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के साथ की समीक्षा बैठक पूर्णिया, वरीय संवाददाता। सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कोसी
4पूर्णिया, वरीय संवाददाता। सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कोसी और सीमांचल में हो रहे कटाव की समस्या को लेकर सर्किट हाउस में बैठक की। बैठक में जल संसाधन विभाग सह जल निस्सरण विभाग पूर्णिया के मुख्य अभियंता (कटिहार, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, भागलपुर, बांका और मुंगेर), अधीक्षण अभियंता, कार्यपालक अभियंता, स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण कार्यकारी अभियंता,आरडब्ल्यूडी एई (एसडीओ) और आरडब्ल्यूडी कनिष्ठ अभियंता समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे। इस दौरान सांसद ने नदियों से हो रहे कटाव और सरकार द्वारा इसके रोकथाम के उपायों पर चर्चा की और विभागीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। पप्पू यादव ने कहा कि सीमांचल के कई जिले गंभीर कटाव की चपेट में हैं। सौरा, परमान, कनकई, कोसी, महानंदा और गंडक नदियों के किनारे बसे गांव खतरे में हैं। खासकर कटिहार, किशनगंज, अररिया और पूर्णिया के कुछ हिस्से बुरी तरह प्रभावित हैं। सांसद ने कहा कि सरकार और विपक्ष दोनों इस समस्या पर मौन हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जनता की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है और विपक्ष भी सिर्फ बयानबाजी में व्यस्त है। सांसद ने कटाव रोकथाम के लिए किए गए प्रयासों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि विभागीय अधिकारियों ने कुल 47 स्थानों पर कटाव रोकने के लिए जल संसाधन विभाग को प्रस्ताव भेजे थे, लेकिन उनमें से मात्र 7 स्थानों को ही मंजूरी मिली है। वह भी आधे-अधूरे उपायों के साथ। सांसद ने कहा कि कोसी और सीमांचल की जनता इस भीषण समस्या से जूझ रही है, लेकिन सरकार उनके प्रति उदासीन है। बाढ़ की स्थिति से बिहार के 17 जिलों की जनता बेहाल है। लोगों को खाना, बिजली, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं। फसलें बर्बाद हो गई हैं, मवेशियों का नुकसान हुआ है, लेकिन सरकार और विपक्ष अपनी-अपनी धुन में मस्त हैं। पप्पू यादव ने पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के के० नगर प्रखंड के बेला रिकाबगंज पंचायत के जोका जलेय गांव वार्ड 11 और 12 का दौरा किया, जहां सौरा नदी में आई बाढ़ और कटाव से लोगों को काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने बाढ़ प्रभावित लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनीं और जिनके घर नदी कटाव में ढह गए, उन्हें अपनी ओर से आर्थिक सहायता प्रदान की। उन्होंने जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर कटाव रोकने के निर्देश दिए।
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