शिवदीप लांडे: गहराया सस्पेंस का धुंध
-एक दशक बाद सीमांचल लौटे, दो सप्ताह में इस्तीफा पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। बिहार पुलिस में सुपरकॉप के रूप चर्चित शिवदीप वामन राव लांडे बतौर पु
पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। बिहार पुलिस में सुपरकॉप के रूप चर्चित शिवदीप वामन राव लांडे बतौर पुलिस अधिकारी एक दशक बाद सीमांचल लौटे। दो सप्ताह तक पूर्णिया रेंज के आईजी का कार्यभार संभाला। इन दो सप्ताह में उन्होंने सीमांचल के तीन जिलों अररिया, किशनगंज एवं कटिहार का दौरा किया एवं वहां अपराध के ट्रेंड से वाकिफ हुए। इसी बीच सीमांचल में जड़ जमा चुके स्मैक के कारोबार के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए रणनीति भी बनाने लगे थे। सीमांचल के लोग आशा भरी निगाह से लांडे को निहारने लगे, लेकिन अचानक से इस्तीफा देकर उन्होंने सबको चौंका दिया। लांडे के इस्तीफे से लगाए जा रहे उनके राजनीति में एंट्री के कयास पर लगाए गए विराम के बाद सस्पेंस का धुंध और गहरा गया है। दरअसल गुरूवार को इस्तीफे के बाद सोशल मीडिया पर डाले गए पोस्ट में बिहार को लेकर अगला जो प्लान उन्होंने बताया था, उससे उनके राजनीति में कदम रखने की अटकलें तेज हो गई थी। लोग तो उन्हें पीके इफेक्ट के साथ जनसुराज से जोड़ कर भी देखने लगे थे। परन्तु शुक्रवार को राजनीति से दूर- दूर तक वास्ता नहीं रखने के संदेश के साथ लांडे के एक अलग पोस्ट ने सस्पेंस को और बढ़ा दिया। सस्पेंस इस मायने में कि महाराष्ट्र में जन्मे एवं पले- बढ़े लांडे की इच्छा राजनीति में जाने की नहीं है तो फिर बिहार को कर्मभूमि बताने के पीछे उनका क्या उद्देश्य है? कहीं उनकी मंशा बिहार में अपनी कोई संस्था खड़ा कर यहां के युवाओं में रोजगार के अवसर पैदा करने की तो नहीं है।
-यादगार है एसपी के रूप में उनकी कार्यशैली:- एक दशक पूर्व लांडे सीमांचल के अररिया के एसपी बनाए गए थे। उसी वक्त उन्हें किशनगंज एवं पूर्णिया का अतिरिक्त प्रभार मिला था। इससे पहले पटना के सिटी एसपी रहते उन्होंने राह चलते स्कूल- कालेज की छात्राओं पर फब्ती कसने वाले शोहदों की ऐसी खैर- खबर ली थी कि वह चर्चा के केन्द्र में आ गए थे। पूर्णिया के एसपी का प्रभार लेते उन्होंने अवैध कारोबारियों की नकेल कसना शुरू कर दिया था। मरंगा में वर्षों से चल रहे एक अवैध बैरियर को तोड़कर वे यहां चर्चित हुए थे। कहते हैं इस बैरियर को राजनीतिक एवं प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त था। सफेदपोश अवैध कारोबारियो को बेनकाब करने की उनकी कार्यशैली से पूर्णिया में खलबली मच गयी थी। पुलिसिंग की उनकी इसी अदा के कारण आईजी के रूप में उनकी पदस्थापना से सीमांचल में लोगों को एक आशा जगी थी।
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