अब क्राइम कंट्रोल में जनप्रतिनिधियों का होगा रोल,बिहार पुलिस का नया एक्शन प्लान जानें
नए कानून लागू होने के बाद देखा गया है कि पुलिस की छापेमारी के समय अक्सर घटनास्थल पर स्थानीय लोग गवाह बनने के लिए तैयार नहीं होते हैं। नई पहल से अब ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर छापेमारी में शामिल पुलिस अधिकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों को सूचना देंगे।
बिहार पुलिस समाज में पनप रहे नए अपराध और अपराधियों पर लगाम लगाने के लए नई पहल कर रही है। अब थानेदार हर 15 दिन पर जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर अपराध नियंत्रण को उनसे फीडबैक लेंगे। इस बैठक में पुलिस जनप्रतिनिधियों से क्षेत्र में अपराध और अपराधियों के संबंध में विचार-विमर्श करेगी। इस आधार पर आगे की कार्रवाई को रणनीति बनेगी। इस संबंध में मुख्यालय ने जिलों को निर्देश जारी किया है। बिहार पुलिस मुख्यालय के आदेश पर सभी जिलों में इस पर प्रैक्टिश भी शुरू हो गया है।
अब तक पुलिस मुखबिरों और चौकीदारों की सूचना पर अपराध नियंत्रण के लिए कार्रवाई करती रही है। कई बार जनप्रतिनिधियों और पुलिस के बीच टकराव की स्थिति भी बनती रही है। उल्लेखनीय है कि नए कानून के तहत छापेमारी और अवैध सामान की जब्ती के समय गवाह के तौर पर जनप्रतिनिधियों को भी मौके पर बुलाने का प्रावधान है। कार्रवाई पारदर्शी तरीके से करने के लिहाज से भी पुलिस व जनप्रतिनिधियों के बीच समन्वय करने को कहा गया है।
नए कानून लागू होने के बाद देखा गया है कि पुलिस की छापेमारी के समय अक्सर घटनास्थल पर स्थानीय लोग गवाह बनने के लिए तैयार नहीं होते हैं। नई पहल से अब ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर छापेमारी में शामिल पुलिस अधिकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों को सूचना देंगे और उनकी मौजूदगी में तलाशी शुरू कर अवैध सामान की जब्ती करेंगे। जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी को कार्रवाई के लेखा जोखा में भी शामिल होगा।
जनप्रितिनिधियों की अपराध नियंत्रण में अहम भूमिका होगी। खासकर हथियार, मादक पदार्थ या इस तरह की अन्य जब्तियों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को स्वतंत्र गवाह बनने के लिए बुलाने के लिए पुलिस संपर्क करेगी। इसका जिक्र भी केस के रिकॉर्ड में किया जाएगा। उनकी मदद से अपराधियों को सलाखों के अंदर भेजा जाएगा और उन्हें कोर्ट से सजा दिलाई जाएगी।