साइबर क्राइम पर शिकंजा! सिपाही से लेकर थानेदार और DSP तक, सबको मिलेगी ट्रेनिंग
इस ट्रेनिंग प्रारूप में मुख्य रूप से साइबर अपराध के जटिल तथ्यों को सुलझाने के लिए कई आधुनिक तरह उपकरण और एप (एप्लीकेशन) के प्रयोग की जानकारी दी जाएगी। इनका उपयोग प्रभावी तरीके से करके जल्द से जल्द अपराधियों के बिछाए जाल को भेदने में कामयाबी मिलेगी।
साइबर अपराधी दिन-ब-दिन हाईटेक होते जा रहे हैं। तेजी से बदलते आयामों को ध्यान में रखते हुए पुलिसकर्मियों के लिए विशेष ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार किया गया है। 10 दिवसीय ट्रेनिंग कार्यक्रम में सभी रैंक के पुलिस कर्मियों को साइबर अपराध से जुड़ी सभी मूलभूत बातों खासकर इसके बदले स्वरूप के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। सी-डैक (सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग) के पटना केंद्र की देखरेख में तैयार किए गए इस विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम में साइबर अपराध में रोजाना हो रहे नए प्रयोगों या हथकंडों से लड़ने के गुर सीखाए जाएंगे। इससे साइबर अपराधियों को दबोचने में काफी मदद मिलेगी।
यह ट्रेनिंग कार्यक्रम दुर्गापूजा के बाद से शुरू होने जा रहा है। शुरुआत आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के सभी कर्मियों से होगी। पहले चरण में दारोगा एवं इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। क्योंकि आईटी एक्ट में इंस्पेक्टर रैंक से नीचे से पदाधिकारियों को मामले की जांच का अधिकार नहीं है। इसके बाद डीएसपी से ऊपर रैंक के पदाधिकारियों तथा बाद में जमादार से सिपाही तक के पदाधिकारियों को चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसकी पूरी तैयारी ईओयू के स्तर से कर ली गई है।
पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग की यह खास बातें
इस ट्रेनिंग प्रारूप में मुख्य रूप से साइबर अपराध के जटिल तथ्यों को सुलझाने के लिए कई आधुनिक तरह उपकरण और एप (एप्लीकेशन) के प्रयोग की जानकारी दी जाएगी। इनका उपयोग प्रभावी तरीके से करके जल्द से जल्द अपराधियों के बिछाए जाल को भेदने में कामयाबी मिलेगी। इसके अलावा साइबर अपराधियों के स्तर से रोजाना बिछाए जाने वाले नए हथकंडों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी जाएगी। 1 जुलाई से नए कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के लागू होने के बाद साइबर अपराध के अनुसंधान में आए बदलावों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। क्रिप्टो करेंसी, वैलेट, डिजिटल ट्रांसफर आदि की बारीकी जानेंगे।