Hindi Newsबिहार न्यूज़Prashant Kishor Jan Suraaj Party candidate selection events to occupy voters mind debate in Assembly Elections

अमेरिका जैसा कैंडिडेट, रिकॉल; दिमाग पर छाने को प्रशांत किशोर साल भर चलाएंगे इवेंट का माइंडगेम

  • Prashant Kishor Jan Suraaj Party: प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी के सांगठनिक चुनाव और फिर बिहार विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार के चयन की ऐसी प्रक्रिया का ऐलान किया है जिससे चुनाव से पहले साल भर पार्टी एक के बाद एक इवेंट के जरिए वोटर के दिमाग और बहस में छाने की कोशिश करेगी।

Ritesh Verma लाइव हिन्दुस्तानFri, 4 Oct 2024 10:44 AM
share Share

दो साल की पदयात्रा के बाद जन सुराज अभियान को पार्टी में बदलकर प्रशांत किशोर बिहार को अगले एक साल चुनावी रणनीति और प्रबंधन के क्षेत्र में अपनी महारत और लोगों के दिमाग पर छा जाने के माइंडगेम का एक के बाद एक कई नमूना दिखाने वाले हैं। 2020 के चुनाव में पहले चरण का नामांकन 1 अक्टूबर से शुरू हो गया था। उस हिसाब से देखें तो चुनाव में अब एक साल से भी कम समय रह गया है। जन सुराज पार्टी स्थापना के दौरान प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने कार्यकारी अध्यक्ष मनोज भारती के नाम के ऐलान के साथ ही कहा था कि सांगठनिक चुनाव की प्रक्रिया मार्च तक पूरी होगी जब पहले पूर्णकालिक अध्यक्ष का चुनाव होगा। 

जन सुराज पार्टी का अध्यक्ष चुनने के बाद पार्टी में विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया शुरू होगी जो अमेरिका में राष्ट्रपति कैंडिडेट चुनने जैसी होगी। योजना स्पष्ट दिख रही है कि प्रशांत किशोर ने अगस्त-सितंबर तक पार्टी के लिए इवेंट दर इवेंट का ऐसा प्लान बनाया है जिस पर चर्चा और बहस करते-करते वोटर जन सुराज पार्टी को रेस में गिनने लगें। विज्ञापन क्षेत्र में इसे रिकॉल वैल्यू कहते हैं। ब्रांड रिकॉल के लिए कंपनियों करोड़ों रुपए खर्च करती है ताकि लोग उसे भूल ना जाएं। प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी को पहले चर्चा और आगे रेस में लाने के लिए जो प्लान बनाया है, उसे उनकी ही बातों से पहले समझिए।

जनसुराज रैली बिहार की सियासत में तीसरा कोना बनाने की बुनियाद, प्रशांत किशोर ने जीती एक जंग

प्रशांत किशोर ने कहा- “जन सुराज पार्टी पहला ऐसा दल होगा जहां उम्मीदवारों का चयन व्यक्ति नहीं करेगा, नेताओं का समूह नहीं करेगा। देश में पहली बार कैंडिडेट का चुनाव जनता करेगी। जैसा अमेरिका में आप देखते हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप को टिकट कौन दिया, कमला हैरिस को टिकट किसने दिया। किसी व्यक्ति ने नहीं दिया। कोई समूह नहीं देता। डेमोक्रेटिक या रिपब्लिकन पार्टी का अध्यक्ष नहीं देता। अमेरिका में जिसे चुनाव लड़ना है, वो पहले उम्मीदवारी रखता है। फिर छह-आठ महीना जनता के बीच जाता है, पार्टी के बीच जाता है। जनता जिसे चुनती है, कैंडिडेट बन जाता है। अमेरिका वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए ये कर रहे हैं।”

शराबबंदी जाएगी, नई शिक्षा नीति आएगी: जन सुराज पार्टी बनाकर बोले प्रशांत किशोर

दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में कैंडिडेट बनने की प्रक्रिया बताकर पीके जन सुराज पार्टी पर लौट आए और कहा- “लोकतंत्र की जननी बिहार से जन सुराज ये नया मापदंड तैयार करेगा। हर विधानसभा में जो लोग उम्मीदवारी चाहते हैं, उनका नाम चुना जाएगा और मार्च से पहले उनका नाम सार्वजनिक किया जाएगा। मार्च से नवंबर तक पार्टी के संस्थापक सदस्य और वोटर पांच-छह नेताओं को जांचने-परखने के बाद छह महीना में जिस पर मोहर लगा देंगे, वही जनता का और जन सुराज पार्टी का उम्मीदवार बन जाएगा.”

तेजस्वी के बाद निशाने पर आए चिराग, प्रशांत किशोर ने मनोज भारती को नेता बनाकर चला दलित कार्ड

प्रशांत किशोर ने खुद को और पार्टी नेताओं को टिकट देने-दिलाने के खेल से अलग दिखाते हुए ये भी कहा- “टिकट प्रशांत किशोर नहीं देंगे। हमारे आगे-पीछे घूमने से कुछ नहीं होगा। अध्यक्ष भी टिकट नहीं देंगे। टिकट देगी क्षेत्र की जनता। आपने अगर गरीब से गरीब बच्चे को भी चुन लिया तो आपके चुने उम्मीदवार के पास पैसा हो या ना हो, जाति की संख्या हो या ना हो, जीतने की व्यवस्था हो ना हो, अगर वो आदमी काबिल है तो पैसे की चिंता, चुनाव जीतने की चिंता, आप प्रशांत किशोर पर छोड़ दीजिए।”

प्रशांत किशोर यहीं नहीं रुके, उन्होंने जनप्रतिनिधि वापसी के अधिकार (राइट टू रिकॉल) की चर्चा भी की और कहा- “लोग कहता है कि कितना भी अच्छा चुन लीजिए, चुनने के बाद बिगड़ जाता है। जन सुराज संविधान में राइट टू रिकॉल लिख रहा है। टिकट आप दिए। आपसे टिकट और आपका वोट लेने के बाद कोई बदमाशी, भ्रष्टाचार चालू किया तो उसकी चाबी आपके हाथ में है। दो वर्ष का समय रहेगा। ढाई साल के बाद उसको वापस बुलाया जाएगा।”

दो साल से गांधी पर सवार प्रशांत किशोर को आंबेडकर की दरकार; जन सुराज पार्टी के झंडे में दोनों होंगे

अब समझिए प्रशांत किशोर ने जो कहा वो गांव-शहर में किस तरह इवेंट में बदलेगा। पहले पार्टी के संगठन का चुनाव होगा जिसे पीके जितना संभव हो, उतना लोकतांत्रिक बनाने और दिखाने की कोशिश करेंगे। पंचायत, प्रखंड, जिला होते हुए चुनाव पटना पहुंचेगा। लोकतांत्रिक चुनाव होगा तो लोग लड़ेंगे, मतदान होगा, कोई जीतेगा, कोई हारेगा। खबर छपेगी। वीडियो बनेंगे। चर्चा होगी। ये दिमाग में बने रहने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में छह महीने निकलेंगे। फिर नया अध्यक्ष जाएगा।

फिर शुरू होगी विधानसभा के लिए कैंडिडेट चुनने की पार्टी की आंतरिक प्रक्रिया लेकिन उसे इस तरह प्लान और पेश किया जाएगा कि लोकल पेपर और यूट्यूब चैनल पर उसकी खबर बनती रहे। मान लीजिए पार्टी ने किसी विधानसभा क्षेत्र के लिए मार्च-अप्रैल में 5 दावेदारों के नाम को जारी कर दिया और कहा कि अब आप पांच लोग क्षेत्र में जाकर समर्थन जुटाओ, जैसा अमेरिका में होता है। अब पीके की पार्टी के ये 5 कमांडर अगले छह महीने अपनी सीट के गांव-गांव को छान मारेंगे। ये अपने लिए समर्थन और जन सुराज पार्टी के लिए वोट मांगेंगे।

नवंबर 2024 में सेटल, 2025 में मुकम्मल; जन सुराज पार्टी लड़ेगी उपचुनाव, प्रशांत किशोर का ऐलान

वोटर धीरे-धीरे इन पांच कैंडिडेट की रेस में पहले मजा और बाद में रुचि लेंगे। फिर टिकट की रेस में कौन जीतेगा, कौन हारेगा, ये चर्चा चौक-चौराहों पर होने लगेगी। असली चुनाव से पहले एक पार्टी के कैंडिडेट का चयन चुनाव जैसा फील देगा। इसकी अंतिम नतीजा जो भी हो लेकिन असली चुनाव से पहले जन सुराज के कैंडिडेट का नाम और चेहरा चर्चा में आ चुका होगा। चुनाव लड़ने में एक विकल्प बन जाना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि कई बार वोटर पुराने अनुभव के कारण स्थापित नेताओं से चिढ़े होते हैं।

जानिए कौन हैं मनोज भारती जिनको प्रशांत किशोर ने बनाया जन सुराज पार्टी का पहला कार्यकारी अध्यक्ष

प्रशांत किशोर की सारी कोशिश और योजना, वोटर के सामने हर सीट पर एक ऐसा विकल्प देने की है जिसे लालू यादव, नीतीश कुमार, नरेंद्र मोदी को वोट नहीं देने की थोड़ी भी चाह रखने वाला लपक ले। यही बात पीके कह भी रहे हैं कि आपको सबने ठगा है, अब एक मौका उनकी पार्टी को मिलना चाहिए। और ये सारी बात वो लोगों से उनके बच्चे की पढ़ाई और रोजगार के नाम पर करते हैं। बच्चा और बेरोजगार तो हर घर-परिवार में है। प्रशांत किशोर का नाम है, जन सुराज पार्टी चर्चा से रेस तक बनी रहे तो मतदान के दिन बिहार में एक तीसरा विकल्प वोटर के सामने हो सकता है। यही प्रशांत किशोर की रणनीति है, यही उनकी योजना है। चर्चा में बने रहकर रेस में शामिल होना ही जन सुराज पार्टी की सबसे बड़ी चुनौती है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें