राजपूत, कुशवाहा, पासवान, मुसलमान; प्रशांत किशोर की फॉर्मूला राजनीति का श्रीगणेश हो गया है
- जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार की 4 विधानसभा सीटों के उप-चुनाव में ही जाति, धर्म और लिंग की फॉर्मूला राजनीति शुरू कर दी है। उपचुनाव में महागठबंधन के दलों ने किसी महिला को तो एनडीए दलों ने किसी मुसलमान को टिकट नहीं दिया है।
बिहार विधानसभा के लिए 2025 में होने वाले आम चुनाव में 40 महिला और 40 मुसलमानों को टिकट देने का ऐलान कर चुके प्रशांत किशोर ने चार सीटों के उपचुनाव में ही फॉर्मूला राजनीति का श्रीगणेश कर दिया है। तीन सप्ताह पहले जन सुराज पार्टी बनाने वाले प्रशांत किशोर को पहली परीक्षा में ही दो-दो सबक मिल गए। जन सुराज को पहले घोषित उम्मीदवार दो सीटों पर बदलना पड़ा। पीके ने चार सीटों के उपचुनाव से चुनावी राजनीति में दस्तक देने जा रही जन सुराज पार्टी के लिए करीने से एक राजपूत, एक कुशवाहा, एक पासवान और एक मुसलमान कैंडिडेट चुना है।
जन सुराज पार्टी की कैंडिडेट लिस्ट में सवर्ण, पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक सबके लिए जगह बनाई गई। प्रशांत के फॉर्मूला को सामने रखकर जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और इंडिया गठबंधन (महागठबंधन) के उम्मीदवारों की सूची देखते हैं तो कुछ चीजें साफ झलकती हैं। मुस्लिम वोटों के सबसे बड़े दावेदार महागठबंधन की लिस्ट में एक भी मुस्लिम कैंडिडेट नहीं है। जिस कुशवाहा वोट की नाराजगी के कारण एनडीए के हाथ से शाहाबाद और मगध क्षेत्र की कई सीटें निकल गईं, उस कोइरी जाति को राजग की लिस्ट में जगह नहीं मिल पाई।
शाहाबाद और मगध में दिखा था जोर लेकिन रामगढ़ में प्रशांत किशोर का कुशवाहा कार्ड कितना कारगर?
सीट दर सीट देखें तो भोजपुर (आरा) जिले की तरारी सीट पर यादव और भूमिहार के बीच प्रशांत ने राजपूत को लड़ाया है। यहां महागठबंधन से सीपीआई-माले ने राजू यादव को लड़ाया है जबकि एनडीए से बीजेपी ने विशाल प्रशांत उर्फ सुशील पांडेय को टिकट दिया है जो बाहुबली भूमिहार सुनील पांडेय के बेटे हैं। जन सुराज ने राजपूत जाति से किरण सिंह को उतारा है जो पहले घोषित कैंडिडेट और देश के पूर्व उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिंह की जगह ले रही हैं। ये सीट सुदामा प्रसाद के आरा से सांसद बनने के कारण खाली हुई है।
रामगढ़ में महागठबंधन से आरजेडी ने सुधाकर सिंह के भाई और जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह को लड़ाया है। भाजपा ने अशोक सिंह को टिकट दिया है। ये दोनों राजपूत हैं। मायावती की बसपा ने पिंटू यादव को सिंबल दिया है। प्रशांत किशोर ने यहां कोइरी सुशील सिंह कुशवाहा को लड़ा दिया है। रामगढ़ में कुशवाहा बहुत ज्यादा नहीं हैं लेकिन बाकी दलों की लिस्ट में कुशवाहा गायब देखकर पीके ने यह दांव चला है। ये सीट सुधाकर सिंह के बक्सर से सांसद बनने से रिक्त हुई है।
डिप्टी आर्मी चीफ रहे एसके सिंह जैसे ‘सही कैंडिडेट’ को तरारी में लड़ाने से कैसे चूक गए प्रशांत किशोर?
बेलागंज में महागठबंधन से आरजेडी ने सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ सिंह यादव को टिकट दिया है। एनडीए से जेडीयू ने मनोरमा देवी को लड़ाया है जो यादव हैं। दो यादव की लड़ाई में जन सुराज पार्टी ने एक मुसलमान मोहम्मद अमजद को उतारा है। प्रशांत किशोर ने यहां पहले एक रिटायर्ड प्रोफेसर खिलाफत हुसैन को टिकट दिया था लेकिन जिस सभा में यह घोषणा हुई वहां अमजद के समर्थकों ने कथित तौर पर हंगामा कर दिया था। ये सीट सुरेंद्र यादव के जहानाबाद से एमपी बनने के कारण खाली हुई है।
इमामगंज अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट है। जीतनराम मांझी की खाली की गई इस सीट से एनडीए में हम ने उनकी बहू और उनके मंत्री बेटे संतोष सुमन की पत्नी दीपा मांझी को लड़ाया है। महागठबंधन से आरजेडी ने भी एक महादलित राजेश मांझी को टिकट दिया है जो एक बार गया सीट से सांसद रह चुके हैं। इस सीट पर दो मांझी कैंडिडेट के बीच चिराग पासवान ने एक पासवान को टिकट दिया है। जन सुराज पार्टी के कैंडिडेट जितेंद्र प्रसाद स्थानीय डॉक्टर हैं।
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में जीतने का दम या वोट बिगाड़ने का? उपचुनाव से बिहार को पता चलेगा
2025 के फाइनल विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी के लिए चार सीटों का उपचुनाव सेमीफाइनल है। इसमें उनके डेटा, उनके फॉर्मूले, उनके वादे, दिखाए गए सपनों की पहली परीक्षा हो जाएगी। क्योंकि वो खुद कहते हैं- आप सही कैंडिडेट चुन लो, लड़ाना और जिताना मुझ पर छोड़ दो।