जलजमाव ने दूषित किया पटना का पानी
भारतीय मानक ब्यूरो ने भले ही पटना के पानी को पीने लायक नहीं बताया है लेकिन नगर निगम का दावा है कि पेयजल को जलजमाव ने दूषित किया है। जलजमाव के पहले अप्रैल माह में छज्जूबाग स्थित राज्यस्तरीय लेबोरेट्री...
भारतीय मानक ब्यूरो ने भले ही पटना के पानी को पीने लायक नहीं बताया है लेकिन नगर निगम का दावा है कि पेयजल को जलजमाव ने दूषित किया है। जलजमाव के पहले अप्रैल माह में छज्जूबाग स्थित राज्यस्तरीय लेबोरेट्री (एसएलडब्यूटीएल) में करायी गई जांच में शहर का पानी पूरी तरह पीने लायक बताया गया था। तब पानी की गुणवत्ता (फीजिको-केमिकल) और पानी में बैक्टीरिया जांच में कोई ऐसी खामी नजर नहीं आयी।
भारतीय मानक ब्यूरो की रिपोर्ट के बाद पटना के पेयजल को लेकर हाय-तौबा मची हुई है। मानक ब्यूरो ने पटना के पानी को पीने लायक नहीं बताया है। विशेषज्ञों का मानना है कि मानक ब्यूरो ने जलजमाव के ठीक बाद पानी का सैंपल लिया है। तब पटना का पानी सचमुच खराब हो गया था। जलजमाव से पहले अप्रैल में निगम ने अपने सभी 118 पंपों से आपूर्ति होने वाले पानी के सैंपल की जांच करायी थी। निगम अधिकारियों ने बताया कि छज्जूबाग स्थित लेबोरेट्री (एसएलडब्यूटीएल) में करायी गई जांच में पानी मानक पर खरा उतरा था। जलापूर्ति शाखा के कार्यपालक अभियंता राज बल्लभ साह ने कहा कि जलजमाव के बाद भी पटना के विभिन्न इलाकों से पानी का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया है। इसकी रिपोर्ट के लिए पीएचईडी को दो बार ‘रिमाइंडर भी भेजा गया है। त्वरित रिपोर्ट प्राप्ति के लिए फिर से प्रयास किया जाएगा।
वहीं, निगम में केंद्रीय मानक ब्यूरो द्वारा सैंपल की जांच में पेयजल को खराब घोषित होने के बाद खलबली मच गई है। निगम के अधिकारी बताते हैं कि नगर विकास विभाग ने भी पेयजल की रिपोर्ट मांगी है।
16 मानकों पर हुई थी जांच
पटना नगर निगम के विभिन्न इलाकों से लिये गए पानी के सैंपल को एसएलडब्ल्यूटीएल द्वारा 16 मानकों पर जांचा गया। इनमें अम्लीयता, सल्फेट, फ्लोराइड, टोटल कॉलिफॉम, फिकल कॉलिफॉम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, क्लोरीन, अल्काइन, आयरन, नाइट्रेट, मिनरल्स आदि शामिल हैं। बोरिंग रोड स्थित एएन कॉलेज के पास लिये गए पानी के सैंपल का पीएच वैल्यू 7.86 आंका गया, जबकि पानी का पीएच वैल्यू 8.5 तक ठीक माना जाता है। इसी तरह टीडीएस 283, कैल्शियम 67.3 मिलीग्राम प्रति लीटर(एमजी/एल), मैग्नीशियम 12.5 एमजी/एल, क्लोरीन 28 एमजी/एल, आयरन 0.10 एमजी/एल, नाइट्रेट 3.2 एमजी/एल पाया गया। यह सभी पानी के डिजायरेबल लिमिट से भी नीचे है।
नई रिपोर्ट का है इंतजार
निगम महापौर सीता साहू ने कहा कि जलजमाव के बाद निगम क्षेत्र से पानी के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। अब तक निगम को जांच रिपोर्ट प्राप्त नहीं हो सकी है। निगम में बड़े पैमाने पर सप्लाई पाइप लाइन को बदला जाएगा। निगम क्षेत्र में ज्यादातर इलाकों में बेहद पुरानी पाइपलाइन लगी हुई है, जो पानी का प्रेशर पड़ने से फट जाती है। निगम की तरफ से नगर विकास विभाग को जर्जर पाइपलाइन बदलने का प्रस्ताव भेजा गया है। अगले कुछ सालों में पाइपलाइन बदलने के बाद जलापूर्ति व्यवस्था में और सुधार होगा।
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