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आयुर्वेद में कड़ाके की ठंड में होनेवाली बीमारियों से बचाव के उपाय : डॉ. दिनेश्वर

भीषण ठंड के कारण लोग सर्दी, खांसी, बुखार, दमा, निमोनिया जैसी बीमारियों से परेशान हैं। पटना आयुर्वेदिक कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. दिनेश्वर प्रसाद ने कहा कि यह बीमारियाँ गलत खान-पान और रहन-सहन के कारण...

Newswrap हिन्दुस्तान, पटनाThu, 2 Jan 2025 08:21 PM
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भीषण ठंड के कारण में लोग घर में सर्दी, खांसी, बुखार, दमा, निमोनिया, डायरिया (दस्त या आंव) अनपच, हाई ब्लड प्रेशर इत्यादि बीमारियों का प्रकोप अचानक बढ़ गया है। किसी-किसी परिवार में लगभग सभी सदस्य ठंड जनित बीमारियों से परेशान हैं। आसपास के दवा दुकानदारों से राय लेकर दवाइयों का सेवन कर रहे हैं। यह उनके स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। ये बातें पटना आयुर्वेदिक कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. दिनेश्वर प्रसाद ने राजा बाजार में स्थित अमृत आयुर्वेद में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में कही। डॉ. दिनेश्वर प्रसाद ने कहा कि इस मौसम में होने वाले बीमारियों का मुख्य कारण आयुर्वेद या पूर्वजों द्वारा बताए गए खान-पान, रहन-सहन या ऋतु चर्या के विपरीत आचरण एवं खान-पान है। पूर्व के जमाने में जब भी इस तरह का ठंढ के कारण इस तरह की बीमारियां होती थीं तो पूर्वज आयुर्वेद में बताए उपायों का पालन ठंढ आने के पहले से ही करने लगते थे। फलस्वरुप या तो इस तरह का रोग होता ही नहीं था या होते भी था तो घरेलू उपायों या उपचारों से जल्दी ठीक हो जाता था। रोगों एवं पाचन को ध्यान में रखते हुए सोंठ, हल्दी, तिसी, गोंद, तिल इत्यादि से बने लड्डू या हलवा नियमित रूप से थोड़ी थोड़ी मात्रा में गरम पानी से लेने या आजवाइन, लौंग, अदरख, काली मिर्च के पाउडर को एक लिटर पानी में आधा चम्मच डालकर उबालना चाहिए। इसको पीने से इन बीमारियों से राहत मिलती है। दूसरे त्रिकुटा, पंचकोल डालकर उबाला हुआ पानी या काढा़, सितोपलादि चूर्ण, च्यवनप्राश, चित्रक हरितकी को एक एक चमच्च सुबह-शाम हल्का गर्म पानी के साथ सेवन करने, नहाते समय सरसों अथवा तिल के तेल का मालिश करने से भी ठंड जनित बीमारियों से राहत मिलती है।

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