पीपीयू: वरीय प्रोफेसर स्थानांतरण के डर से नहीं बनना चाहते प्रभारी प्राचार्य
पाटलिपुत्र विवि में प्रोफेसर रैंक के शिक्षकों ने प्राभारी प्राचार्य बनने के लिए स्वीकृति दी है, लेकिन अधिकांश शिक्षक इस जिम्मेदारी से बच रहे हैं। मुख्य कारण कॉलेज स्थानांतरण और एचआरए में कमी है। कुछ...
पाटलिपुत्र विवि में प्रोफेसर रैंक के एक दर्जन वरीय शिक्षकों ने प्राभारी प्राचार्य बनने के लिए स्वीकृति प्रदान की है। राजभवन के आदेश के बाद वरीय प्रोफेसरों को कॉलेजों में प्रोफेसर इनचार्ज बनाने की कवायद की जा रही है। आवेदनों की स्क्रूटनी होनी अभी शेष है। शर्तों के हिसाब से प्रोफेसर रैंक के वरीय शिक्षक अपनी पसंद के कॉलेज में जाना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में उस कॉलेज की वरीयता भी देखी जाएगी। हालांकि ज्यादातर प्रोफेसर रैंक के शिक्षक इस जिम्मेदारी से दूर भाग रहे हैं। दो दिनों की बैठक में कम ही लोगों ने प्रोफेसर इनजार्च बनने की स्वीकृति प्रदान की है। इसका सबसे कारण है कि जिन प्रोफेसर को कॉलेज में प्रोफेसर इनचार्ज बनाया जाएगा। वहीं उनका स्थानांतरण कर दिया जाएगा। पटना के कॉलेजों के लिए कुछ प्रोफेसरों ने हामी भरी है। लेकिन ग्रामीण इलाके से दूर भाग रहे हैं। जब बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग की ओर से स्थायी प्राचार्यों की नियुक्ति कर दी जाएगी तब उन प्रोफेसर इनचार्ज को उसी कॉलेज में रहना होगा। ऐसा नहीं है कि वे पुन: पटना के कॉलेज में वापस आएंगे। यह एक बड़ी वजह है, जिसके कारण वरीय शिक्षक प्रोफेसर इनचार्ज नहीं बनाना चाह रहे हैं।
दूसरी बड़ी वजह अगर वे जिस ग्रामीण कॉलेज में चले जाएंगे, प्रोफेसर इनचार्ज के पद से हटने के बाद उन्हें उसी कॉलेज में रहना होगा। वैसे में शिक्षकों का एचआरए भी घट जाएगा। यह स्थायी होगा। ऐसी स्थिति में पटना से अधिक एचआरए का लाभ छोड़ कर दूसरे कॉलेज का प्रोफेसर इनचार्ज बनने से कतरा रहे हैं। इन्हीं कारणों से अभी तक ज्यादा प्रोफेसर रैंक के शिक्षकों ने स्वीकृति प्रदान नहीं की है। हालांकि कुछ कॉलेजों में वरीय महिला शिक्षक ही प्रोफेसर इनचार्ज हैं। ऐसी स्थिति में कुछ कॉलेजों में बदलाव नहीं होगा। ज्यादातर प्रोफेसर रैंक के शिक्षक एन कॉलेज और कॉलेज ऑफ कॉमर्स, टीपीएस, बीडी कॉलेज और जेडी वीमेंस कॉलेज से हैं। वहीं इस मामले पर कुलसचिव प्रो एनके झा ने बताया कि कुछ वरीय प्रोफेसर रैंक के शिक्षकों ने स्वीकृति दी है। हालांकि इसकी स्क्रूटनी के बाद ही पता चलेगा कितने शिक्षक दूसरी जगह जाने को तैयार है। प्राप्त आवेदनों की संख्या कम है। अगर प्रोफेसर रैंक के शिक्षक नहीं मिलेंगे तो वहां एसोसिएट प्रोफेसर को भेजा जाएगा।
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