खगड़िया के ध्यानार्थ : जान पर खतरा नहीं, फिर भी देना होगा आर्म्स लाइसेंस : कोर्ट
पटना हाई कोर्ट ने कहा है कि जान पर खतरा न होने पर भी आर्म्स लाइसेंस देने से मना नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने मुंगेर आयुक्त और खगड़िया डीएम के आदेश को रद्द करते हुए डीएम को आवेदक का पक्ष सुनकर 12 सप्ताह...
पटना हाई कोर्ट ने अपने एक फैसला में कहा है कि जान पर खतरा नहीं होने के बावजूद आर्म्स लाइसेंस देने से इनकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने मुंगेर के आयुक्त और खगड़िया डीएम के आदेश को निरस्त करते हुए डीएम को फिर से आवेदक का पक्ष सुन आर्म्स लाइसेंस देने के बारे में कार्रवाई करने को कहा है। कोर्ट ने डीएम को 12 सप्ताह के भीतर आर्म्स नियमावली और हाईकोर्ट के खंडपीठ के फैसले के आलोक में आर्म्स लाइसेंस जारी करने पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की एकलपीठ ने पूर्व सैनिक और पेट्रोल पंप मालिक रंजन कुमार मंडल की अर्जी पर सुनवाई के बाद यह फैसला दिया। आवेदक की ओर से कोर्ट को बताया गया कि 2013 में आर्म्स लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। जांच के बाद डीएम ने आवेदन यह कहते हुए रद्द कर दिया कि पिछले तीन वर्षों में आवेदक के जान माल पर खतरा होने की सूचना नहीं है। डीएम के आदेश को मुंगेर आयुक्त के यहां अपील दायर कर चुनौती दी, लेकिन आयुक्त ने भी किसी प्रकार का खतरा और धमकी नहीं होने के आधार पर अपील खारिज कर दी। दोनों आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर चुनौती दी गई। अर्जी का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि आवेदक का आवेदन कानून के तहत रद्द किया गया है। उनके खिलाफ किसी प्रकार का धमकी और खतरा नहीं है। कोर्ट ने दोनों पक्षों का दलील सुनने के बाद आर्म्स नियमावली के नियम 12 का हवाला देते हुए कहा कि किसी के खिलाफ कोई खतरा और धमकी नहीं होने के बावजूद आर्म्स लाइसेंस देना है।
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