बाईपास थानेदार को मिली हाई कोर्ट से बड़ी राहत
पटना,विधि संवाददाता। पटना हाई कोर्ट ने बाईपास थाना के निलंबित थानेदार महेश कुमार पासवान
पटना,विधि संवाददाता। पटना हाई कोर्ट ने बाईपास थाना के निलंबित थानेदार महेश कुमार पासवान को एक बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनके निलंबन आदेश को निरस्त कर दिया। न्यायमूर्ति पूर्णेन्दु सिंह की एकलपीठ ने निलंबित थानेदार की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई के बाद डीजीपी के आदेश को निरस्त कर दिया। आवेदक की ओर से कोर्ट को बताया गया कि थाने से 500 मीटर की दूरी पर उत्पाद विभाग ने छापेमारी कर करीब चार लाख रुपये का विदेशी शराब जप्त किया था।उनका कहना था कि शराब बरामदगी पर थनेदार एंव चौकीदार को सेवा से निलंबित कर दिया गया।साथ ही थानेदार मुकेश को इन्स्पेक्टर से सबइंस्पेक्टर बना दिया गया।
कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी की।कोर्ट का कहना था कि जब पूरे राज्य में शराबबंदी कानून लागू है तो फिर कैसे राज्य में शराब की बरामदगी हो रही हैं।शराब से जुड़ा कोई भी काम गैरकानूनी है। शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करने के लिए और दोषियों को कठोर सजा देने का प्रावधान है।इसके बावजूद शराब को लेकर लोग गिरफ्तार हो रहे हैं।न्यायालयों में शराब को लेकर केस बढ़ता जा रहा है।
दरअसल, पटना हाईकोर्ट में बाईपास थाने के थानेदार ने अपनी निलम्बन को अर्जी दायर कर चुनोती दी।डीजीपी ने कर्मी को दोषी करार देते हुए आवेदक को थानेदार से सब इंस्पेक्टर बना दिया।
कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के बाद डिमोशन आदेश को रद्द करते हुए बिहार में लागू शराबबंदी कानून पर गंभीर टिप्पणियां की हैं। कोर्ट ने अपने 24 पन्ने के फैसले में कहा कि जब बिहार में शराबबंदी कानून लागू हैं।तो फिर कैसे बिहार में शराब का अवैध तस्करी हो रहा है।
कोर्ट का कहना था कि राज्य में शराबबंदी कानून लागू करने के समय कहा गया कि राज्य सरकार नागरिकों के जीवन स्तर और सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुधारने के उद्देश्य से इस कानून को लागू कर रही हैं।लेकिन यह कानून कई कारणों से गलत दिशा में चला गया है।कोर्ट ने कहा कि "पुलिस, एक्साइज, राज्य वाणिज्यिक कर और परिवहन विभागों के अधिकारी इस शराबबंदी का स्वागत करते हैं, क्योंकि उनके लिए यह कमाई का जरिया बन गया है। शराब तस्करी में शामिल बड़े व्यक्तियों और सिंडिकेट ऑपरेटरों के खिलाफ कम मामले दर्ज होते हैं।वही इस कानून का सबसे ज्यादा असर शराब पीने वाले गरीबों या नकली शराब के शिकार हुए लोगों पर देखा जा रहा था।हालात यह हो गया है कि यह कानून मुख्य रूप से राज्य के गरीब लोगों के लिए ही मुसीबत का कारण बन गया है।कोर्ट ने कहा कि शराबबंदी कानून की कड़ी शर्तें पुलिस के लिए एक सुविधाजनक उपकरण बन गई हैं। पुलिस और शराब तस्करों के बीच मिलीभगत की बात सामने आती हैं।कानून से बचने के लिए नए नए तरीके विकसित किए गए हैं।कोर्ट ने डीजीपी और पटना एसएसपी के आदेश को निरस्त कर दिया।
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