जब्त इथेनॉल को नष्ट करने पर सरकार को देना होगा 45 लाख
पटना हाईकोर्ट ने अधिकारियों द्वारा पद का दुरुपयोग करने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही का आदेश दिया है। सरकार को 45,44,800 रुपये का भुगतान करने और बेवजह मुकदमा दायर करने पर एक लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने...
पटना हाईकोर्ट ने पद का दुरुपयोग किये जाने पर सरकार को दोषी कर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का आदेश दिया। वहीं सरकार को 45,44,800 रुपये देने का आदेश दिया है। साथ में बेवजह केस दायर करने के लिए क्षतिपूर्ति के रूप एक लाख रुपये देने का भी आदेश सुनाया। न्यायमूर्ति पीबी बजंथरी और न्यायमूर्ति शशि भूषण प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने राउल निर्माण प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि अधिकारी ने अपनी शक्ति और पद का दुरुपयोग किया और कथित गलत कार्यों से राज्य के खजाने को हानि हुई है। कोर्ट ने आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से छह माह के भीतर दोषी कर्मियों के खिलाफ आरोप तय कर अनुशासनात्मक कार्यवाही आरंभ कर समाप्त करने का आदेश भी दिया। यही नहीं छह माह बाद कर्मियों के खिलाफ की गई कार्रवाई की पूरी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करना होगा। कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 16 जून 2025 तय की।
क्या था मामला
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने मुजफ्फरपुर स्थित भारत ऊर्जा डिस्टिलरीज प्राइवेट लिमिटेड से इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम के तहत लगभग साठ हजार लीटर 'इथेनॉल' खरीदी थी। जिसे मोतिहारी स्थित इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन तक ले जाना था। सारी कागजी खानापूर्ति होने के बाद पंजीकृत दो टैंकरों में सामग्री अपलोड कर दी गई। प्रत्येक टैंकर में तीस हजार लीटर 'इथेनॉल' भरा हुआ था। जब यह जा रहा था, तो वाहन को तीन घंटे के भीतर पिपरा कोठी पुलिस ने जब्त कर लिया और थाना कांड संख्या 88/2024 दर्ज किया गया। एक अन्य वाहन अर्बन क्रूजर, चार पहिया वाहन को भी पुलिस अधिकारियों ने जब्त कर लिया और बताया कि चार पहिया वाहन से 155 लीटर कच्ची स्प्रीट बरामद की गई है।
आवेदकों की ओर से दोनों टैंकरों को छोड़ने और पिपरा कोठी थाना में दर्ज प्राथमिकी में किसी प्रकार का कार्रवाई नहीं करने की गुहार कोर्ट से लगाई गई। कोर्ट ने माना कि इथेनॉल ले जाने में किसी तरह की कोई कानूनी अड़चने नहीं थी। इसके बावजूद अधिकारियों ने अपने पद और शक्ति का दुरुपयोग कर टैंकरों को जब्त किया और साठ हजार लीटर इथेनॉल को नष्ट कर दिया। जिसे वापस नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने सरकार को आठ सप्ताह के भीतर निपटाए गए इथेनॉल के मूल्य 45,44,800 रुपये चुकाने का आदेश दिया। साथ ही आवेदक को अनुचित कठिनाई और मानसिक पीड़ा पहुंचाने व बेवजह मुकदमे बाजी करने के लिए बतौर क्षतिपूर्ति एक लाख रुपये का भुगतान इथेनॉल के मूल्य के साथ करने का आदेश दिया। कोर्ट ने दोनों टैंकरों को आवेदक के पक्ष में तुरंत छोड़ने का आदेश दिया।
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