बोले पटना : आउटसोर्स कर्मियों की भूमिका बढ़ी, पर वेतन-सुविधाएं नहीं
सरकारी और निजी संस्थानों में आउटसोर्स कर्मियों की संख्या बढ़ी है। ये कर्मी काम की जिम्मेदारी तो निभाते हैं, लेकिन वेतन और सुविधाएं कम मिलने से चिंतित हैं। अस्थायी नौकरी के कारण भविष्य की चिंता बनी...
किसी सेवा प्रदाता कंपनी के माध्यम से सरकारी या निजी संस्थानों में अस्थायी रूप से काम करने वाले कर्मियों को आउटसोर्स कर्मी कहते हैं। पिछले कुछ वर्षों से राज्य के सरकारी कार्यालयों या उपक्रमों में आउटसोर्स कर्मियों की तैनाती का चलन बढ़ा है। इन पर काम की जिम्मेवारी भी है। इनका कहना है कि उन्हें उनके काम व दायित्व के मुताबिक वेतन और अन्य सुविधाएं नहीं मिलतीं। वे सेवा वापसी को लेकर भी चिंतित रहते हैं। राज्य में पंचायत स्तर के कार्यालयों से लेकर सचिवालय तक में बड़ी संख्या में आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत हैं। इनकी सेवा शर्तें व इन्हें सरकार की ओर से देय सुविधाएं (वेतनादि) राज्य सरकार के कर्मचारियों से अलग होती हैं। यह अलग बात है कि वे एक ही दफ्तर में साथ बैठते हैं व सरकारी कार्यों का ही निष्पादन करते हैं। विभागों में खाली पदों को संविदा के आधार पर नियुक्त कर्मियों से भरने की परिपाटी जब से शुरू हुई, इसका चलन बढ़ा है। ऐसे पदों में डाटा इंट्री ऑपरेटर की संख्या सबसे ज्यादा है। आउटसोर्स कर्मियों को यह बात हमेशा खटकती है कि उन्हें राज्यकर्मियों की भांति वेतन या अन्य सुविधाएं नहीं मिलती हैं।
उनका कहना है कि अन्य नियमित व संविदाकर्मियों की तुलना में काम का बोझ उनपर अधिक रहता है। इसके बावजूद न तो नौकरी में स्थायित्व है और न ही कोई आर्थिक सुरक्षा है। हमेशा भविष्य को लेकर चिंता रहती है। किसी भी समय बगैर किसी पूर्व सूचना के काम से हटाये जाने का डर सताता रहता है। पुनर्नियुक्ति में भी पिछले अनुभव का कोई लाभ नहीं मिलता और नौकरी फिर से निचले पायदान से शुरू होती है।
सरकारी विभाग में आउटसोर्स कर्मी के तौर पर कार्यरत नीतीश झा कहते हैं कि हमारी भूमिका एवं हमारा दायित्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता चला जा रहा है। उत्तरदायित्व की भावना के साथ सभी आउटसोर्स कर्मी निष्ठापूर्वक अपनी सेवाएं भी दे रहे हैं। इसके बावजूद हमारे भविष्य के प्रति गंभीरता दिखाई नहीं देती। आउटसोर्सिंग व्यवस्था हमारे लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। इस व्यवस्था के कारण हमारे सामने विभिन्न प्रकार की कठिनाईयां उत्पन्न होती है। इनमें सबसे बड़ी समस्या हमारी सेवा वापसी है। इसके अलावा बढ़ती महंगाई के अनुपात में हम लोगों की मौजूदा तनख्वाह भी एक बड़ी चुनौती है। नीतीश झा चिंतित स्वर में कहते हैं कि काम के साथ हमारी आयु भी बढ़ रही। फिलहाल जो वेतन के रूप में मिलता है, उसमें बचत की कोई गुंजाईश नहीं रहती है। हमेशा चिंता बनी रहती है कि आखिर बुढ़ापा कैसे कटेगा? पेंशन की भी सुविधा नहीं है।
सरकारी विभागों के रीढ़ की हड्डी हैं आउटसोर्स कर्मी : डाटा इंट्री ऑपरेटर प्रियतोष कुमार बताते हैं कि आउटसोर्सिंग कर्मियों की सेवा राज्य सरकार के उपक्रम द्वारा निर्धारित परीक्षाओं में चयन के उपरांत विभाग को बेल्ट्रॉन द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है। ये अन्य स्रोतों से प्राप्त किए जाने वाले आउटसोर्सिंग सेवाओं से भिन्न हैं। बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान (बिपार्ड) द्वारा आउटसोर्सिंग कर्मियों को अन्य सरकारी सेवकों की तरह ही प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बेल्ट्रॉन के जरिए सचिवालय से लेकर पंचायत स्तर तक कर्मियों की बहाली की गयी है। प्रतिनियुक्त कर्मियों पर विभागीय कार्यों के निष्पादन के साथ-साथ कई विभागीय वेबसाइट जैसे सीएफएमएस-1.0, सीएफएमएस-2.0, एचआरएमएस, पीएफएमएस, सीसीटीएनएस, सीसीएमयू, सारथी परिवहन, वाहन पोर्टल आदि के अलावा भूमि अभिलेखों का कंप्यूटरीकरण एवं मॉडल रिकॉर्ड रूम, सामाजिक सुरक्षा अंतर्गत वृद्ध एवं दिव्यांगजन पेंशन, राज्य के किसानों एवं श्रमिकों के लिए चलाई जा रही योजनाएं, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना समेत जिलों में आपदा नियंत्रण कक्ष का संचालन का दायित्व है। प्रियतोष कहते हैं कि हमारा राज्य तेजी के साथ डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है, जिसमें पेपरलेस व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए ई-ऑफिस को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके परिचालन में डाटा इंट्री ऑपरेटर एवं प्रोग्रामरों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
शिकायतें
1. आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त कर्मियों को सरकारी कर्मियों की तुलना में वेतन बेहद कम
2. पक्ष रखने का अवसर दिये बगैर कभी भी सेवा वापसी का बना रहता है खतरा
3. बढ़ती महंगाई के अनुरूप वेतन बढ़ोतरी का प्रतिशत नहीं होने से आर्थिक संकट
4. अस्थायी नौकरी होने के कारण बुढ़ापे में गुजारे को लेकर सबसे बड़ी चिंता
5. नौकरी छोड़ने अथवा सेवा वापसी की स्थिति में कोई वित्तीय लाभ नहीं मिलना
सुझाव
1. आउटसोर्स के बजाय सीधे नियमित या संविदाकर्मी के तौर पर हो नियुक्ति
2. सेवा वापसी के पहले आउटसोर्स कर्मियों को अपना पक्ष रखने का मिले अवसर
3. बढ़ती महंगाई के अनुरूप वेतन बढ़ोतरी के प्रतिशत का हो निर्धारण
4. आउटसोर्स कर्मियों को वृद्धावस्था में गुजारे के लिए पेंशन आदि योजना का मिले लाभ
5. नौकरी छोड़ने अथवा सेवा वापसी की स्थिति में वित्तीय लाभ मिलने की हो व्यवस्था
विभाग पत्र जारी करे तो सभी दफ्तरों में मिलेगी विशेष अवकाश की सुविधा
महिला आउटसोर्स कर्मी सुरुचि कुमारी और शालू प्रिया कहती हैं कि महिला आउटसोर्स कर्मियों को अन्य महिला कर्मियों की तरह समान रूप से विशेष अवकाश भी नहीं दिया जाता है। इसके कारण असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। वह बताती हैं कि कुछ कार्यालयों में तो यह अवकाश दिया जा रहा लेकिन कुछ में यह सुविधा नहीं है। सूचना प्रावैधिकी विभाग अथवा बेल्ट्रॉन के स्तर से हमारे सभी सेवा शर्तों का निर्धारण किया जाता है, लेकिन इनके स्तर से विशेष अवकाश से सम्बन्धित पत्र जारी नहीं होने के कारण हम जैसी महिलाओं को ये सुविधा प्रदान नहीं हो पा रही। यदि बेल्ट्रॉन या सूचना प्रावैधिकी विभाग के स्तर से इस सम्बन्ध में पत्र जारी किया जाता तो सभी महिलाओं को यह सुविधा उपलब्ध हो सकती है।
बेल्ट्रॉन के माध्यम से सरकारी विभागों में आउटसोर्स के आधार पर लगे कर्मियों की सेवा वापसी समेत अन्य समस्याओं को लेकर ज्ञापन मेरे पास है। जहां तक सेवा वापसी को लेकर उनकी अपीलीय प्राधिकरण का मामला है तो बेल्ट्रॉन भी उन्हें दूसरे सेवा प्रदाता को आउटसोर्स कर देता है। ऐसे में सेवा वापसी को लेकर उनके लिए अपीलीय प्राधिकरण की कोई व्यवस्था नहीं है। आउटसोर्स कर्मियों की समस्याओं का मामला विधानसभा में भी उठ चुका है। उनकी समस्याओं पर विचार कर कोई रास्ता निकाला जाएगा।
- संतोष कुमार सुमन, मंत्री, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, बिहार सरकार
सरकारी महकमों से लेकर बोर्ड-निगम में भी हैं आउटसोर्स कर्मचारी
भारत में 90 के दशक की शुरुआत में आउटसोर्सिंग का उदय हुआ। सबसे पहले कुछ बहुराष्ट्रीय एयरलाइन कंपनियों ने अपने बैक ऑफिस का काम भारत में आउटसोर्स करना शुरू किया और फिर आईटी कंपनियों ने इस तरफ रुख किया। भारतीय आउटसोर्सिंग बाजार में शुरुआती दौर में कई विदेशी कंपनियों ने यहां अपनी इकाइयां शुरू कीं। धीरे-धीरे सरकारी महकमों में भी आउटसोर्स के आधार पर कर्मियों को रखे जाने की परिपाटी शुरू हुई।
बिहार में साल 1997 से बेल्ट्रॉन के माध्यम से विभिन्न सरकारी विभागों में आईटी कर्मियों की सेवा ली जा रही है। विभिन्न विभागों और कार्यालयों से प्राप्त मांग के अनुसार सेवा प्रदाता के माध्यम से निर्धारित सेवा शर्त के अनुसार आईटी कर्मियों की सेवा उपलब्ध करायी जाती है। हालांकि ये न तो बेल्ट्रॉन के कर्मचारी हैं और न ही सरकार के। इन कर्मियों का संबंध चयनित सर्विस प्रोवाइडर से है और इनकी ईपीएफ और ईएसआई आदि वौधानिक कटौतियों तथा सभी प्रभावी वैधानिक प्रावधानों के अनुपालन की जिम्मेदारी सेवा प्रदाता की होती है। जनवरी, 2024 में सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में बताया गया था कि आउटसोर्स कर्मियों की संख्या लगभग 18,091 है। वैसे अनुमान के आधार पर इनकी संख्या अब 20 हजार के आसपास हो गई है। आउटसोर्स कर्मी हर विभाग में हैं। यहां तक कि पटना नगर निगम में सफाईकर्मी भी आउटसोर्स पर निजी एजेंसी के माध्यम से रखे गए हैं। पटना विश्वविद्यालय में भी ऐसे कई कर्मी हैं।
पूर्व में कई वर्षों तक ऐसे कर्मियों को वेतन मिलने में देर होती थी। हालांकि हाल के वर्षों में इसे दुरुस्त किया गया है। दिक्कत उन्हीं महकमों में होती है, जहां निजी एजेंसी के जरिए आउटसोर्स कर्मी रखे गए हैं।
उम्मीद: संविदा आधारित पदों पर नियुक्ति में छूट देने की हो रही तैयारी
राज्य के आउटसोर्स कर्मियों को संविदा आधारित पदों पर नियुक्ति में छूट मिल सकती है। राज्य सरकार की ओर से ऐसी तैयारी की जा रही है। पिछले माह वित्त विभाग, श्रम संसाधन विभाग सहित कई अन्य विभागों ने संविदा आधारित पदों के सृजन के लिए अपने-अपने अधीनस्थ कार्यालयों को निर्देश दिया है। यदि यह तैयारी अमल में आई तो बेल्ट्रॉन के माध्यम से नियुक्त आउटसोर्स कर्मियों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। यानी जब संविदा आधारित पदों का सृजन कर उनपर नियुक्तियां होंगी तो आउटसोर्स कर्मियों को योग्यता में छूट मिलेगी। इसके पहले सितंबर, 2024 में सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस संबंध में फैसला हुआ था। इसके तहत सूचना प्रावैधिकी विभाग द्वारा डाटा इंट्री ऑपरेटर, आईटी मैनेजर, प्रोग्रामर के पदों हेतु प्रस्तावित सेवाशर्त/नियमावली में बेल्ट्रॉन द्वारा आउटसोर्स के माध्यम से संविदा पर नियोजित डाटा इंट्री ऑपरेटर एवं प्रोग्रामर, स्टेनोग्राफर, आईटी ब्यॉय एवं गर्ल्स को भी लाभ देने एवं नियमित नियुक्ति प्रक्रिया में उम्र सीमा में छूट तथा सेवा अनुभव के आधार पर मान्यता दिए जाने को लेकर निर्णय लिया गया था।
कितनी संख्या
जनवरी 2024 में आरटीआई के हवाले से मांगी गई सूचना के आलोक में बेल्ट्रॉन द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार आउटसोर्स कर्मियों की संख्या लगभग 18,091 है।
प्रस्तुति: नियाज आलम, फोटो: सुनील सिंह
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।