रियल टाइम मेडिकल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में होगी देर
बिहार में मेडिकल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट को ऑनलाइन अपलोड करने में देरी हो रही है क्योंकि डॉक्टरों का प्रशिक्षण पूरा नहीं हुआ है। स्वास्थ्य विभाग ने अक्टूबर के अंत तक रिपोर्ट शुरू करने का लक्ष्य रखा था।...
राज्य के अस्पतालों से मेडिकल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट ऑनलाइन अपलोड करने में अभी देर होगी। डॉक्टरों का प्रशिक्षण पूरा नहीं होने के कारण रियल टाइम मेडिकल रिपोर्ट शुरू नहीं हो पा रही है। स्वास्थ्य विभाग का अक्टूबर के अंत तक रियल टाइम मेडिकल रिपोर्ट शुरू करने का लक्ष्य था। अगस्त में ही स्वास्थ्य विभाग ने जिलों से मास्टर ट्रेनर के नाम मांगे थे। मास्टर ट्रेनर के माध्यम से जिलों के अन्य डॉक्टरों को प्रशिक्षित करना है। बिहार में मेडिकल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट रियल टाइम (तत्काल) उपलब्ध कराने की तैयारी पिछले पांच माह से चल रही है। इसके लिए एनआईसी हरियाणा की ओर से विकिसित मेडिलिया पीआर (मेडिको-लीगल रिपोर्ट और पोस्टमार्टम रिपोर्ट) सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाना है। सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम) और मेडलिया पीआर दोनों सॉफ्टवेयर एक दूसरे से जुड़े रहेंगे। मेडलिया पीआर और सीसीटीएनएस संबंधी सभी आवश्यक तकनीकी जानकारी डॉक्टरों को दिया जाना है। डॉक्टरों को बताया जाना है कि मेडिकल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट कैसे सॉफ्टवेयर पर अपलोड करना है। इसमें क्या सावधानियां रखनी है।
अब तक सॉफ्टवेयर पर डेढ़ हजार से अधिक डॉक्टर निबंधित : राज्य में अब तक सभी मेडिकल कॉलेज अस्पताल और जिला अस्पताल सहित लगभग 600 विभिन्न अस्पताल और डेढ़ हजार से अधिक चिकित्सक मेडलिया पीआर सॉफ्टवेयर पर निबंधित हो चुके हैं। इस पर मेडिकल और पोस्टर्मार्टम रिपोर्ट अपलोड करने का ट्रायल भी हो रहा है। राज्य में अब तक 500 से अधिक डेमो ट्रायल के तौर पर अपलोड भी किए जा चुके हैँ।
क्या है मेडलिया पीआर : यह वेब आधारित रिपोर्टिंग सिस्टम है, इसमें मेडिकल लीगल रिपोर्ट (एमएलआर) और पोस्टमार्टम रिपोर्ट (पीएमआर) दर्ज होंगे। इस सॉफ्टवेयर पर अस्पताल से डॉक्टर मेडिकल और पोस्टर्मार्टम रिपोर्ट समय पर अपलोड कर देंगे। इस पर दर्ज रिपोर्ट कहीं भी दिख जाएगी।
इससे सुविधा : मरीजों के बेहतर इलाज में मदद मिलेगी। मेडिकल बीमा मिलने में आसानी होगी। न्याय मिलने में देर नहीं होगी। कार्य में पारदर्शिता होगी। तत्काल ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज होने से बाद में रिपोर्ट में किसी तरह की छेड़छाड़ की संभावना खत्म हो जाएगी। अस्पताल के मरीज खास कर मारपीट या अन्य घटना में घायल की इंज्यूरी रिपोर्ट ऑनलाइन हो दर्ज होगी। पोर्टल पर मेडिकल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट अपलोड होते ही न्यायालय में न्यायाधीश भी इसे तुरंत देख लेंगे। रिपोर्ट के साथ घटना की तस्वीर और चिह्न भी स्पष्ट दिखेगा। चोट या जख्म के निशान चित्र के माध्यम से दर्शाए जाएंगे, ताकि आसानी से पता चल जाएगा कि जख्म कितना गहरा है या सामान्य है।
इन राज्यों में यह व्यवस्था लागू है : पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और मध्य प्रदेश में यह व्यवस्था पिछले कुछ कई वर्षों से लागू है।
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