नैक ग्रेडिंग में पटना विश्वविद्यालय के कॉलेज पीछे
शिक्षा विभाग ने सभी कॉलेजों को नैक ग्रेडिंग के लिए जागरूक करने का निर्देश दिया है, लेकिन पटना विश्वविद्यालय के कॉलेज इस मामले में पीछे हैं। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कॉलेज नैक के प्रति जागरूक हैं और...
शिक्षा विभाग ने कई बार विश्वविद्यालयों को निर्देशित किया है सभी कॉलेजों को नैक ग्रेडिंग के लिए जागरूक करें। इसके बाद भी कॉलेज नैक को लेकर ध्यान नहीं दे रहे हैं। खासकर पटना विश्वविद्यालय के कॉलेज नैक मामले में काफी पीछे हैं। दूसरी ओर पाटलिपुत्र विवि के छोटे कॉलेज लगातार नैक के प्रति जागरूक हैं। यहां लगातार नैक की टीम आ रही है। पीयू के वाणिज्य महाविद्यालय और वीमेंस ट्रेनिंग कॉलेज नैक ग्रेडिंग के मामले में काफी पीछे हैं। कला एवं शिल्प महाविद्यालय का दूसरा चक्र अभी होना बाकी है। पीयू के सायंस कॉलेज, पटना लॉ कॉलेज को नैक में बी ग्रेड प्राप्त है। पटना कॉलेज व बीएन कॉलेज को नैक से सी ग्रेड प्राप्त है। नैक के मामले में पीयू के कॉलेज काफी धीमी गति से काम कर रहा है। दूसरी ओर पीपीयू के कॉलेज गंगा देवी महिला कॉलेज को नैक से बी ग्रेड मिल गया। अरविंद महिला कॉलेज भी नैक से ग्रेडिंग के लिए निरीक्षण चल रहा है। एक सप्ताह में कॉलेज को नैक से ग्रेड हासिल हो जाएगा। पीपीयू के कुलपति प्रो. आरके सिंह ने कहा कि सभी कॉलेजों का नैक से ग्रेडिंग कराने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए तेजी से काम हो रहा है। पीपीयू के छोटे-छोटे कॉलेज में अब जल्द ही नैक टीम निरीक्षण करने के लिए आएगी।
कॉलेजों को एक्रेडिटेशन फ्रेमवर्क के दायरे में लाने की कोशिश जारी : देश के सभी विवि और कॉलेजों को ऐक्रेडिटेशन फ्रेमवर्क के दायरे में लाने के मिशन पर तेजी से काम किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति-2020 की अहम सिफारिशों में रैंकिंग, रेटिंग और ऐक्रेडिटेशन शामिल हैं, लेकिन अगर आंकड़े देखें तो देश की 1200 विश्वविद्यालयों में से करीब 40 प्रतिशत ही राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से सर्टिफिकेट हासिल की है। वहीं, कॉलेजों की संख्या तो और भी कम है। 50 हजार से ज्यादा कॉलेजों में से 16 से 17 प्रतिशत ही नैक से मूल्यांकन करवा रहे हैं। नैक एक स्वायत निकाय है, जो भारत में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता का आकलन करता है। यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम जगदीश कुमार ने कहा है कि देश के सभी उच्च शिक्षा संस्थान को ऐक्रेडिटेशन और रैंकिंग फ्रेमवर्क के दायरे में लाना है। इसके लिए सबसे पहले नैक से ग्रेड जरूरी है। शैक्षणिक संस्थान की गुणवत्ता, प्रदर्शन और ताकत को जानना छात्रों और अभिभावकों का अधिकार है।
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