Hindi NewsBihar NewsPatna NewsBihar to Use Satellites for Disaster Management and Flood Forecasting

बाढ़-सुखाड़ की सटीक सूचना के लिए इसरो से समझौता जल्द

बिहार में आपदा प्रबंधन और बाढ़ पूर्वानुमान के लिए सेटेलाइट तकनीक का उपयोग किया जाएगा। जनवरी के दूसरे हफ्ते इसरो, मौसम सेवा केंद्र और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के बीच करार होने वाला है। इससे बाढ़ और...

Newswrap हिन्दुस्तान, पटनाThu, 2 Jan 2025 05:28 PM
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राज्य में आपदा पूर्व तैयारी, उसकी निगरानी और प्रबंधन में सेटेलाइट का सहारा लिया जाएगा। इसके लिए जनवरी के दूसरे हफ्ते बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, मौसम सेवा केंद्र और इसरो के बीच करार होगा। करार की प्रक्रिया अंतिम दौर में चल रही है। करार होने के बाद बिहार की नदियों के स्वभाव और बाढ़ के पूर्वानुमान पर इसरो कार्य करेगा। इसरो की ओर से उपलब्ध मानचित्र और डेटा से देखा जाएगा कि कौन सी नदी की धारा बदलने की रफ्तार कितनी है। किस इलाके में कटाव की आशंका बढ़ रही है। इससे पता चल सकेगा कि किसी खास इलाके में बाढ़ आने का प्रमुख कारण क्या है? बाढ़ग्रस्त इलाके में पानी फैलने की रफ्तार क्या है? डेटा और तस्वीर की मदद से बाढ़ के रोकथाम के उपाय किए जाएंगे। जल प्रवाह अनुमान पहले लग जाने से बाढ़ से होने वाली क्षति को कम किया जा सकेगा। इसके अलावा किस नदी में कहां पर कितना गाद जमा है, यह भी सेटेलाइट तस्वरी से पता लगाया जाएगा।

इस तरह तकनीक की मदद से बाढ़ के दौरान नुकसान को कम किया जा सकेगा। बिहार हर वर्ष बाढ़ और सुखाड़ से प्रभावित होता है। उत्तर बिहार, कोसी के जिलों में बाढ़ और दक्षिण बिहार के जिलों में सूखे से नुकसान होता है। इसरो के डेटा की मदद से हरेक मौसम में दोनों इलाके की प्रकृति का अध्ययन होगा। तापमान और हवा के रूख से मौसम का सटीक आकलन होगा। आपदा की स्थिति में खेती में हुए नुकसान का मूल्यांकन हो सकेगा। बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, मौसम सेवा केंद्र और इसरो के बीच करार से पहले इसरो के स्पेश एप्लीकेशन सेंटर की टीम जुलाई में बिहार का दौरा कर चुकी है। इस साल जनवरी के दूसरे सप्ताह में करार के बाद आपदा प्रबंधन के काम में तेजी आएगी।

यह होगा फायदा :

- आपदा पूर्व तैयारी, निगरानी और प्रबंधन में मदद मिलेगी।

- मौसम संबंधी पूर्वानुमान पर और बेहतर निगरानी हो सकेगी।

- तापमान और हवा के रुख का सटीक आकलन होने से खेती में मदद मिलेगी।

- नदी तट, उसकी धारा के मुड़ने और कटाव का अध्ययन होगा।

- बाढ़ के साथ ही सुखाड़ क्षेत्र के लिए आपदा तैयारी में मदद मिलेगी।

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