बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना से 2.98 लाख बेटियां हुईं शिक्षित
राज्य की 2.98 लाख बेटियों को 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' योजना के तहत शिक्षित किया गया है। इसमें वैशाली जिला सबसे आगे है, जहां 34 हजार 543 बेटियों को सुरक्षा देकर शिक्षा से जोड़ा गया है। इस योजना ने...
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना से राज्य की 2.98 लाख बेटियां शिक्षित हुईं। ये बेटियां बीच में पढाई छोड़ दी थीं, लेकिन इस योजना के तहत उन्हें सुरक्षा देकर स्कूल तक पहुंचाया गया है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने दो वर्षों के आंकड़े जारी किये हैं। सूची के तहत राज्य में लगभग तीन लाख बेटियों को सुरक्षा के साथ शिक्षा से जोड़ा गया है। मंत्रालय ने 2022 और 2023 आंकड़े जारी किये हैं। इस सूची में सबसे ऊपर वैशाली जिला है। वैशाली जिले से 34 हजार 543 बेटियों को इस योजना से जोड़ कर शिक्षित किया गया है। गौरततलब है कि वैशाली जिले का 2015 में देश भर में लैंगिक संवेदनशील जिले के तौर पर चयन किया गया था। अब इस जिले में सबसे ज्यादा बेटियां इस योजना से जुड़ी हुई हैं।
- बेटियों के प्रति भेदभाव और लिंग निर्धारण परीक्षण में आई कमी
बेटियों के प्रति भेदभाव और लिंग निर्धारण परीक्षण में कमी आई है। इससे बेटियों को पढ़ाई से जोड़ने के साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाया गया है। बता दें कि अभी राज्य के 17 जिलों में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना चल रही है। इसमें पटना, भागलपुर, लखीसराय, मधुबनी, वैशाली, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, रोहतास, शेखपुरा, भोजपुर, सारण, नवादा, बांका, बेगूसराय, खगड़िया, पूर्वी चंपारण, नालंदा शामिल है। शेष जिलों में भी इस योजाना को शुरू किया गया है।
बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ के तहत उठाए गये कदम :
- आंगनबाड़ी केन्द्रों में गर्भावस्था के पंजीकरण को बढ़ावा देना
- नई महिला उद्यमियों को प्रशिक्षण देना
- बेटी के नाम पर बैंक में खाता खोलना
- बेटियों को संपत्ति में अधिकार देना
- लड़कियों का नामांकन करवाना
- लड़कियों के ड्रापआउट में कमी लाना
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू करना
- लड़कियों के लिए कार्यात्मक शौचालय बनाना
- बेटियों के जन्म पर खुशी व्यक्त करना
- बेटियों को बोझ और दूसरे की संपत्ति समझने की सोच खत्म करना
- लिंग निर्धारण परीक्षण पर रोक लगाना
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