बिहार में सांस लेने पर भी आफत, पलूशन से सर्दी-खांसी और छाती में जकड़न की परेशानी; डॉक्टरों ने दी यह सलाह
पटना समेत राज्य के कई शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर काफी खराब स्तर पर है। प्रदूषण-धूलकण और हल्के ठंड के कारण लोगों में एलर्जी की समस्या बढ़ी है। शुरुआत में नाकों से पानी, छींक और नाक बंद होने की समस्या होती है।
इस मौसम में होनेवाली वायरल सर्दी-खांसी भी पीड़ितों की बड़ी परेशानी बन गई है। दवा और एंटीबायटिक लेने के बावजूद 15-20 दिनों तक ठीक नहीं हो रही है। सर्दी-खांसी के साथ पीड़ितों में नाक बंद, सांस लेने में दिक्कत, गले में कफ और छाती में जकड़न जैसी परेशानियां भी पीड़ितों में हो रही है। पीएमसीएच, आईजीआईएमएस के सामान्य मेडिसिन ओर छाती व सांस रोग विभाग में ऐसे मरीज बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक प्रदूषण की वजह से बीमारी ज्यादा दिनों तक सता रही है। पीएमसीएच के सांस और छाती रोग विभाग के वरीय चिकित्सक डॉ. बीके चौधरी, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि सर्दी-खांसी जल्दी ठीक नहीं होने का बड़ा कारण प्रदूषण है।
पटना समेत राज्य के कई शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर काफी खराब स्तर पर है। प्रदूषण-धूलकण और हल्के ठंड के कारण लोगों में एलर्जी की समस्या बढ़ी है। शुरुआत में नाकों से पानी, छींक और नाक बंद होने की समस्या होती है। धीरे-धीरे सांसों की तकलीफ और खांसी भी होने लगती है। प्रदूषण बढ़ने के कारण दवाइयां भी बेअसर हो रही है। पीड़ित ठीक हो रहे हैं, लेकिन दो-तीन दिन में बीमारी दोबारा वापस आ रही है। डॉ. बीके चौधरी ने बताया कि कई मरीज निमोनिया और छाती में जकड़न की शिकायत लेकर भी पहुंच रहे हैं।
आईजीआईएमएस के मेडिसिन विभाग के वरीय चिकित्सक डॉ. मनोज कुमार, पारस के सांस और छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश सिन्हा ने बताया कि उनके यहां भी ऐसे मरीजों की संख्या बहुत बढ़ी है। दवा से ज्यादा कारगर मरीजों द्वारा बरती जानेवाली सावधानी है। उन्होंने कहा कि गर्म पानी से गरारा करने, नाक-मुंह से भाप लेने पर कुछ राहत मिल सकती है। उन्हें अनावश्यक ठंड में सुबह बाहर निकलने से भी बचना चाहिए। बाहर निकलने पर मास्क का प्रयोग जरूर करना चाहिए। अनावश्यक एंटीबायटिक लेने से भी बचना चाहिए।
सर्दी-खांसी में एंटीबायटिक से बचना चाहिए : डॉ. प्रियंका
पीएमसीएच की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की सहायक प्रो. डॉ. प्रियंका नारायण ने बताया कि मरीजों पर एंटीबायटिक दवाइयां भी बेअसर हो रही हैं। ज्यादातर ऐसे मरीज हैं जो बिना सोचे-समझे दवा-दुकानदारों की सलाह पर या अपने से एंटीबायटिक का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में उनके शरीर में एंटीबायटिक के प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है। सामान्य वायरल सर्दी-खांसी में एंटीबायटिक से बचना चाहिए।
हल्दी-दूध, आयुर्वेदिक पंचकोल और काढ़ा कारगर
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. दिनेश्वर प्रसाद, डॉ. संपूर्णानंद तिवारी और डॉ. मधुरेंदु पांडेय ने बताया कि इस समय प्रदूषण और एलर्जी के कारण सर्दी-खांसी की समस्या ज्यादा बढ़ी है। बचाव के लिए पीड़ित को या जो पीड़ित नहीं हैं, उन्हें भी रात में सोते समय गर्म हल्दी-दूध पीना चाहिए।
सुबह में तुलसी, अदरक, काली मिर्च के काढ़ा का सेवन से भी राहत मिलती है। आयुर्वेद में पंचकोल औषधि को गर्म पानी में खौलाकर चाय की तरह पीने से दो से तीन दिन में मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं।