बिहार में फर्जी कागजात पर पासपोर्ट के रैकेट का खुलासा, ऐसे पकड़ में आया गोरखधंधा; टॉप पर गोपालगंज
- अधिकारियों की चौकसी से न सिर्फ ऐसे लोगों को पासपोर्ट बनाने से रोका गया बल्कि इस रैकेट से जुड़े 10 हजार से अधिक दलालों को चिह्नित भी किया गया है। क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने सूबे में सक्रिय दलालों की पहचान करने के बाद बिहार पुलिस से इनकी जानकारी साझा की है।
बिहार में फर्जी कागजात के आधार पर पासपोर्ट बनाने के बड़े रैकेट का खुलासा हुआ है। अधिकारियों की चौकसी से न सिर्फ ऐसे लोगों को पासपोर्ट बनाने से रोका गया बल्कि इस रैकेट से जुड़े 10 हजार से अधिक दलालों को चिह्नित भी किया गया है। क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने सूबे में सक्रिय दलालों की पहचान करने के बाद बिहार पुलिस से इनकी जानकारी साझा की है। पुलिस ने दलालों की गिरफ्तारी और उनके पूरे नेटवर्क को तोड़ने के लिए कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।
अधिकारियों के मुताबिक पासपोर्ट कार्यालय के पास हर सप्ताह दस से बीस आवेदन ऐसे आते हैं जिसमें पासपोर्ट बनाने के लिए फर्जी शैक्षणिक कागजात का इस्तेमाल किया जाता है। जब आवेदन के साथ दिये गये कागजात की जांच होती है तो उसके फर्जी होने की बात सामने आती है। ऐसे आवेदन की क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय द्वारा ट्रेस किया गया। ट्रेस करने के बाद इसके पीछे लिप्त लोगों की जानकारी जमा की गई और उनकी पूरी सूची पुलिस मुख्यालय को भेजी गई है।
गोपालगंज, सीवान, पटना में सबसे ज्यादा दलाल चिह्नित पासपोर्ट के लिए फर्जी कागजात के साथ आवेदन करने वाले सबसे ज्यादा गोपालगंज, सीवान और पटना में मामले आते हैं। इन तीनों जिले को मिलाकर दस हजार आवेदन पकड़ में आए हैं जिनके साथ फर्जी प्रमाण पत्र थे।
क्या कहते हैं पदाधिकारी?
हमारे पास हर दिन दस से 15 ऐसे पासपोर्ट बनाने के लिए आवेदन आते हैं जिनके पास फर्जी शैक्षणिक और अन्य कागजात होते हैं। कागजातों के सत्यापन के दौरान यह पकड़ में आता है। इसके पीछे जो लोग हैं, उनका पता चलने के बाद इसकी सूची पुलिस मुख्यालय को भेज दी गई है। दलालों पर कार्रवाई की जाएगी। -स्वधा रिजवी, क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी, क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय बिहार
11 हजार आवेदन एक साल में पकड़ में आए
सबसे ज्यादा साढ़े चार हजार केवल गोपालगंज जिले में दलाल चिह्नित हुए हैं। गोपालगंज, सीवान और पटना जिले से ग्यारह हजार आवेदन एक साल में पकड़ में आए हैं। इनसे संबंधित दलालों पर जल्द ही कार्रवाई किए जाने की तैयारी है।
तीन से चार गुना लेते हैं रुपये
पासपोर्ट बनाने के लिए 15 सौ शुल्क लगते हैं। लेकिन दलालों द्वारा फर्जी कागजात के साथ आवेदन करने पर तीन से पांच हजार रुपये तक लिये जाते हैं। इसके साथ ही ऑनलाइन आवेदन करने का झांसा भी देते हैं। बता दें कि ग्रामीण इलाके के लोगों को ऑनलाइन आवेदन करने में दिक्कत आती है। ऐसे लोगों को ऑनलाइन आवेदन करने के नाम पर भी हजारों रुपये वसूलते हैं।
अब तक तीस से 40 हजार फर्जी कागजात पर दे चुके हैं झांसा
क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय की माने तो पिछले 1 साल में 30 से 40 हजार आवेदन के साथ फर्जी कागजात पाए गए थे। अब किसी वजह से कागजात की सही जांच नहीं होती है तो ऐसे पासपोर्ट बन जाते हैं। लगातार ऐसे आवेदन पकड़ में आने के बाद अब क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय इसकी पूरी गहन जांच करता है। कागजात जांच प्रक्रिया कई चरणों पर की जाती है। पूछताछ होती है।इससे अब अधिक संख्या में आवेदन पत्र में आ रहे हैं।
सबसे ज्यादा मैट्रिक प्रमाण पत्र में फर्जीवाड़ा
क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के अनुसार मैट्रिक प्रमाण पत्र में सबसे ज्यादा फर्जीगिरी होती है। मैट्रिक प्रमाण पत्र से सही जन्मतिथि और शैक्षणिक पृष्ठभूमि की शुरुआत होती है और सबसे ज्यादा संस्कृत शिक्षा बोर्ड मदरसा बोर्ड ओपन स्कूलिंग का रहता है। इसके अलावा पैन कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड आदि में भी फर्जी कागजात लगाया जाता है।