राहुल और तेजस्वी का हाथ थामेंगे पशुपति पारस? एनडीए छोड़ने के बाद RLJP का प्लान क्या है
एनडीए छोड़ने के बाद पशुपति पारस की रालोजपा महागठबंधन में जा सकती है। चर्चा है कि बिहार चुनाव के मद्देनजर पटना में 17 अप्रैल को होने वाली महागठबंधन की बैठक में पारस भी शामिल हो सकते हैं।

राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वे कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के लीडर तेजस्वी यादव का हाथ थाम सकते हैं। बिहार चुनाव में सीट शेयरिंग और अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए 17 अप्रैल को पटना में महागठबंधन की बैठक बुलाई गई है। पशुपति पारस के भी इसमें शामिल होने की चर्चा है। हालांकि, खुद पारस ने कहा कि उन्हें इस बैठक का न्योता नहीं मिला है। इस बैठक में इंडिया अलायंस के सभी घटक दलों के नेता मौजूद रहेंगे।
पटना में भीमराव अंबेडकर जयंती पर सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पशुपति पारस ने एनडीए छोड़ने की आधिकारिक घोषणा की। लोकसभा चुनाव 2024 में साइडलाइन किए जाने के बाद से वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से नाराज चल रहे थे। बीजेपी ने पिछले आम चुनाव में पारस की पार्टी के बजाय लोजपा के चिराग पासवान वाले गुट को तरजीह दी थी। इस कारण रालोजपा को लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए एक भी सीट नहीं मिल पाई थी।
इसके बाद पशुपति पारस ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए। इससे पूर्व में भी रालोजपा बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव की तैयारी में जुटने का दावा कर चुकी है। सोमवार को पारस ने महागठबंधन में जाने के संकेत भी दिए। उन्होंने कहा कि वह उसी गठबंधन में जाएंगे, जहां उन्हें उचित सम्मान मिलेगा।
अब सियासी गलियारों में चर्चा है कि पशुपति पारस महागठबंधन से जुड़ सकते हैं। सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि 17 अप्रैल (गुरुवार) को पटना में बिहार चुनाव को लेकर महागठबंधन की होने वाली पहली औपचारिक बैठक में पारस भी शामिल होंगे। हालांकि, जब पारस से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इनकार कर दिया।
रालोजपा प्रमुख पशुपति पारस ने मंगलवार को समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि उन्हें अभी तक महागठबंधन की बैठक का न्योता नहीं मिला है। हमने एक दिन पहले ही एनडीए से अलग होने का फैसला लिया। पार्टी से संबंधित निर्णय रालोजपा के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष सूरजभान सिंह, पूर्व सांसद प्रिंस राज एवं चंदन सिंह समेत सभी लोग मिलकर करते हैं।
उन्होंने कहा कि अगस्त महीने तक रालोजपा को मजबूत करने का काम किया जाएगा। फिर समय आने पर परिस्थिति के हिसाब से गठबंधन को लेकर ऐलान किया जाएगा। पारस ने यह भी स्पष्ट किया कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता है। यानी कि रालोजपा अकेले चुनावी मैदान में नहीं उतरेगी।