बिहार की 7 विभूतियों को पद्म पुरस्कार; शारदा सिन्हा, सुशील मोदी और किशोर कुणाल को मरणोपरांत सम्मान
बिहार की 7 विभूतियों को पद्म पुरस्कार 2025 के लिए चुना गया है। जिसमें तीन शख्सियतों को मरणोपरांत सम्मान मिला है। जिसमें शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण, सुशील मोदी को पद्म भूषण और किशोर कुणाल को पद्म श्री अवॉर्ड दिया गया है। जिसके अलावा 4 और लोगों को पद्म श्री पुरस्कार मिला है।
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बिहार की सात शख्सियतों को पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। भारत सरकार ने मरणोपरांत लोकगायिका पद्म भूषण शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण की उपाधि से नवाजा है। वहीं, पिछले वर्ष दिवंगत हुए बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी को सामाजिक प्रक्षेत्र में पद्म भूषण से नवाजा गया है। भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी और महावीर मंदिर न्यास के सचिव रहे आचार्य किशोर कुणाल को भी मरणोपरांत पद्म श्री पुरस्कार दिया गया है। इनके अलावा समाज सेवा में भीम सिंह भवेश, कला क्षेत्र में निर्मला देवी, डॉ हेमंत कुमार और विजय नित्यानंद सुरिश्वर जी महाराज को भी पद्म श्री पुरस्कार देने का निर्णय भारत सरकार ने लिया है। गृह मंत्रालय ने शनिवार की देर रात पद्म पुरस्कारों की सूची जारी की।
नाम पुरस्कार विधा
शारदा सिन्हा(मरणोपरांत) पद्म विभूषण कला
सुशील कुमार मोदी(मरणोपरांत) पद्म भूषण सामाजिक प्रक्षेत्र
किशोर कुणाल (मरणोपरांत) पद्म श्री लोक सेवक
भीम सिंह भवेश पद्म श्री समाज सेवा
हेमंत कुमार पद्म श्री चिकित्सा
निर्मला देवी पद्म श्री कला (सुजनी कला)
विजय नित्यानंद सुरिश्वर जी महाराज पद्म श्री आध्यात्म
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार कोकिला शारदा सिन्हा को कला के क्षेत्र में पद्मविभूषण, सुशील कुमार मोदी को लोक कार्य के क्षेत्र में पद्मभूषण और आचार्य किशोर कुणाल को सिविल सेवा के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित करने की घोषणा पर प्रसन्नता व्यक्त की है। भीम सिंह भवेश को समाज सेवा के क्षेत्र में, डॉ. हेमंत कुमार को मेडिसिन के क्षेत्र में, निर्मला देवी को कला के क्षेत्र में एवं विजय नित्यानंद सुरीश्वर जी महाराज को को अध्यात्मवाद के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित होने की घोषणा पर भी मुख्यमंत्री ने उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं दी है।
शारदा सिन्हा- लोक गायन परंपरा की सशक्त हस्ताक्षर
स्वर कोकिला से नाम से मशहूर स्व. शारदा सिन्हा पांच दशकों से बिहार के लोक गायन परंपरा की सशक्त हस्ताक्षर रहीं। उनका जन्म 1 अक्टूबर 1952 को हुआ था। उन्होंने भारतीय लोक संगीत और शास्त्रीय संगीत की गायिका के रूप में पहचान बनाई। उन्होंने मुख्य रूप से मैथिली, भोजपुरी सहित अन्य स्थानीय लोक भाषाओं के अलावा हिंदी फिल्मों के लिए भी कई यादगार गीत गाये। 1971 में उनका पहला गीत रिकार्ड हुआ था और 1985 में पहला कैसेट आया था। ‘विवाह गीत’, ‘छठ गीत’ सहित कई लोकगीत उनके बेहद लोकप्रिय रहे। उनका निधन 5 नवंबर 2024 को छठ के दौरान हुआ। छठ गीतों के लिए वह दुनियाभर में पर्याय बन गई हैं। उनका खास पहचान छठ गीतों को लेकर है। छठ व्रती उनके गाये गीतों के बीच ही अनुष्ठान करते हैं।
जेपी आंदोलन से उभरे सुशील मोदी बिहार में भाजपा के धुरी रहे
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व तीन दशक तक बिहार भाजपा की धुरी रहे सुशील कुमार मोदी को पद्म भूषण (मरणोपरांत) पुरस्कार दिया गया है। बिहार के तीसरे उपमुख्यमंत्री बने सुशील मोदी का जन्म पांच जनवरी 1952 को हुआ था। गले में कैंसर की वजह से उनका देहावसान 13 मई 2024 को हुआ। वे बिहार के चंद नेताओं में शुमार हैं जो चार सदनों लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य रहे। जेपी आंदोलन से उभरे सुशील मोदी ने राजनीति में अपने संघर्ष के दम पर पहचान बनाई। वर्ष 1968 में वे आरएसएस से जुड़े और आजीवन सदस्य बने। वह पटना विवि छात्र संघ के महासचिव भी रहे थे। नवम्बर 1996 से 2004 तक बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे। वर्ष 2000 में पहली बार सात दिनों की नीतीश सरकार में संसदीय कार्य मंत्री बने। नवम्बर 2005 में जब बिहार में एनडीए सरकार बनी तो उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया।
आचार्य किशोर कुणाल : मंदिर को समाज सेवा से जोड़ा
मुजफ्फरपुर के बरुराज में जन्मे किशोर कुणाल भारतीय पुलिस सेवा (गुजरात कैडर) के अधिकारी थे। उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर आध्यात्म और समाज सेवा की राह पकड़ी। महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव के रूप में उन्होंने पटना में कई अस्पताल खोले। उनका निधन 29 दिसंबर, 2024 को हुआ। वह अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उन्होंने अयोध्या विवाद मे मध्यस्थ की भूमिका भी निभाई थी। अयोध्या रिविजेटेड और दमन तक्षकों का- उनकी चर्चित पुस्तक रही है।
सुजनी कला की पुरोधा निर्मला देवी
निर्मला देवी का जन्म 15 अगस्त 1947 को मुजफ्फरपुर के भुसरा गांव में हुआ। पिता बारूनी प्रसाद सिंह और माता जानकी देवी के घर में जन्मीं निर्मला मां द्वारा बनाई गई सुजनी को निहारती रहतीं। धीरे-धीरे वे इस विद्या में निपुण हो गईं। सारण के मढ़ौरा में कालिका प्रसाद सिंह के साथ शादी हुई लेकिन वह ज्यादा दिन तक नहीं चली। 1989 में अदिति संस्था की सचिव विजी श्रीनिवासन के सहयोग से महिला विकास समिति का गठन किया। गांव में दबी-कुचली, आर्थिक तंगी, असहाय, गरीब, दलित समुदाय की महिलाओं को जोड़ा। चार दशक से काम कर रही निर्मला देवी सुजनी के क्षेत्र में ग्लोबल अम्बासडर के तौर पर पहचानी जाती हैं। 15 गांवों की एक हजार से अधिक महिलाओं को वह सुजनी बनाने की प्रशिक्षण दे चुकी हैं।
किडनी रोग विशेषज्ञ हैं डॉ. हेमंत
जानेमाने किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. हेमंत कुमार को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। 65 वर्षीय डॉ. हेमंत पिछले 38 साल से राज्य में चिकित्सा सेवा कार्य से जुड़े हैं। 35 वर्ष से किडनी रोग विशेषज्ञ के रूप में सेवा दे रहे हैं। वे आईजीआईएमएस और पीएमसीएच में किडनी रोग विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल के निदेशक की जिम्मेवारी भी निभा चुके हैं। मूलरूप से भागलपुर के निवासी हेमंत 1986 से पटना में रह रहे हैं। उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई एमजीएम मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर से तथा एमडी की पढ़ाई पीएमसीएच से की है। सुपर स्पेशियलिटी डीएम नेफ्रोलॉजी कोर्स उन्होंने बीएचयू से पूरा किया है।
भीम सिंह भवेश
समाजसेवी भीम सिंह भवेश आरा सदर प्रखंड के लक्षणपुर गांव के रहने वाले हैं। भवेश ने मुसहर समाज के जीवन की बेहतरी के लिए हमेशा बेहतर करने का प्रयास किया है। खासकर मुसहर समाज के बच्चों को शिक्षा और खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ाने का सार्थक प्रयास किया है। वर्तमान में आरा शहर के मदन जी के हाता मोहल्ले में रह रहे भवेश बीते 22 वर्षों से अपनी संस्था नई आशा के माध्यम से इस वंचित समुदाय की शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के क्षेत्र में सुधार के लिए काम कर रहे हैं। दो सौ से अधिक मुसहर टोलों में शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ खेल के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किये हैं। भोजपुर जिले के सभी प्रखंडों में किये गये उनके कार्यों के परिणामस्वरूप आठ हजार से अधिक मुसहर समुदाय के बच्चों को सरकारी स्कूलों में नामांकन कराया गया है। उन्होंने अपने गांव लक्षणपुर में एक बड़ा पुस्तकालय भी स्थापित किया है, जिससे इस समुदाय के बच्चों को शिक्षा का लाभ मिलता है। भीम सिंह भोजपुर के अलावा बक्सर जिले में 100 से अधिक स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर चुके हैं।