शारदा सिन्हा को याद करते हुए पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने सेवाओं से संबंधित कठिनाइयां मुझसे साझा की थीं। मैंने उचित प्रक्रिया का पालन किया
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा गुरुवार दोपहर में पटना पहुंच गए। वे सीएम नीतीश के साथ स्टीमर में बैठकर गंगा नदी किनारे बने छठ घाटों का दौरा करेंगे। उनका शारदा सिन्हा के घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देने का भी कार्यक्रम है।
Sharda Sinha Last Rites: शारदा सिन्हा की इच्छा थी कि जहां उनके पति का अंतिम संस्कार हुआ वहीं उन्हें भी अंतिम विदाई दी जाए। इी वजह से उनका अंतिम संस्कार गुलबी घाट पर हुआ। गुलबी घाट पर पहुंचने से पहले शाव यात्री निकाली गई।
शारदा सिन्हा के निधन के बाद उनके बेटे अंशुमान ने इच्छा जताई है कि उनकी मां को मरणोपरांत पद्म विभूषण मिलना चाहिए। यह देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। बता दें कि शारदा सिन्हा को लोक गायन के क्षेत्र मेें अतुलनीय योगदान के लिए पूर्व मेें पद्म भूषण और पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है।
शारदा सिन्हा अनंत यात्रा पर तब निकल गईं जब आस्था रखने वाले लोग देश दुनिया में छठ में त्योहार मना रहे थे। पहले दिन कद्दू भात के साथ श्रद्धालुओं ने नहाए खाए किया। अंत्येष्टि गुरुवार को संझिया अर्घ्य पर किया जाएगा और वह पंच तत्व में विलीन हो जाएंगी।
सीएम नीतीश कुमार शारदा सिन्हा के आवास पर पहुंचे और अंतिम दर्शन के साथ पुष्पांजलि कर दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किए जाने का निर्देश दिया।
Sharda Sinha Latest News: जानकार बताते हैं कि शारदा सिन्हा पढ़ने में होनहार थी। कोई भी पंक्ति उन्हें एक बार पढ़ने से याद हो जाता था। समय पर हर कार्य को करना पसंद करती थीं। चेहरे पर मुस्कुराहहट उनकी पहचान थी।
Sharda Sinha Demise: साल 1978 में लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के प्रसिद्ध गीत 'उग हो सूरज देव' गाकर उन्होंने लोकगायिका के तौर पर अपनी अलग पहचान बनाई। आज दुनियाभर में स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के करोड़ों चाहने वाले हैं।
बिहार की लोकगीतों की मल्लिका शारदा सिन्हा ने छठ के गीतों से लोकसंगीत को अमर बना दिया। उनकी ममतामयी आवाज हर दिल को छू जाती है। उनका संगीत हमारी संस्कृति की धरोहर बना रहेगा।
Sharda Sinha Demise: शारदा सिन्हा अपनी शानदार आवाज में 'सैयां निकस गए…' गीत गुनगुना रही हैं। कहा जा रहा है कि मौत के आगोश में समाने से पहले शारदा सिन्हा ने यह गीत गाया था। हालांकि, लाइव हिन्दुस्तान डॉट कॉम इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।
शारदा सिन्हा के लुक में उनकी मांग और बड़ी सी बिंदी प्रमुखता से दिखती थी। पति के निधन के बाद वह कई बार सोशल मीडिया पर सूनी मांग के बारे में लिख चुकी थीं। पति के निधन के डेढ़ महीने बाद ही वह भी इस दुनिया में नहीं रहीं।
छठ गीतों की आवाज शारदा सिन्हा अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी आवाज हमेशा उनके चाहने वालों के कानों में गूंजती रहेगी। उन्होंने बॉलीवुड डेब्यू मैंने प्यार किया से किया था। जानें गाने के लिए उन्हें कितने रुपये मिले थे।
शारदा सिन्हा एलएस कॉलेज में अंग्रेजी की छात्रा थीं। हिन्दी विभाग की ओर से ‘तुलसी की एक शाम’ का आयोजन किया गया था। उन्होंने जब गाना शुरू किया तो लोग उनके कायल हो गए। यह बात 70 के दशक की है।
बिहार कोकिला का मुजफ्फरपुर में संगीत का कार्यक्रम शाम रात आठ बजे से था, लेकिन उनको सुनने के लिए चार घंटा पहले से ही सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था। घरों की छत के अलावा जगह नहीं मिली तो लोग मुक्तिधाम तक में घुस गए।
मंत्री नितिन नबीन ने कहा है कि शारदा सिन्हा ने विश्व भर में बिहार का मान बढ़ाया। उनके गीतों ने बिहार के महापर्व छठ के लोकल से ग्लोबल बना दिया। बिहार यूपी का एक भी घर ऐसा नहीं है जहां बिहार कोकिला शारदा सिन्हा मौजूद नहीं हों। उन्होंने बिहार की संस्कृति विश्व भर में फैलाया।
Sharda Sinha Death News: राजद परिवार के नेताओं ने लोक गायिका पद्म विभूषण शारदा सिन्हा के निधन पर गहरी शोक संवेदना प्रकट की है। उन्होंने छठ पूजा के गीतों से काफी लोकप्रियता हासिल की है और अलग पहचान स्थापित की है।
बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।