एक कमरे में दो नहीं एक ही ब्लैकबोर्ड, बिहार के स्कूलों में नए क्लासरूम बनाने का प्लान; इंग्लिश मीडियम में भी पढ़ाई
डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि हमारा प्रयास है कि कक्षा 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को अंग्रेजी में शिक्षा मिले। इसके लिए उन्हें वैकल्पिक रूप से अंग्रेजी भाषा से संबंधित अध्ययन सामग्री उपलब्ध हो सके। विभाग ने इस दिशा में पहल शुरू की है।
बिहारके सभी सरकारी विद्यालयों में अगले साल मार्च तक नया वर्ग कक्ष तैयार हो जाएगा। यह जानकारी शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने दी। वे शनिवार को ‘शिक्षा की बात’ में शिक्षकों के प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि ऐसे तो निर्माण का हमारा लक्ष्य मार्च तक का ही, लेकिन संभावित विलंब को देखते हुए हमने जून तक का समय दिया है। इस दौरान जरूरत के अनुसार सभी विद्यालयों में अतिरिक्त वर्ग का निर्माण हो जाएगा।
डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि इस समय वर्ग कक्ष की कमी बड़ी समस्या है। इसके कारण एक-एक कमरे में कई वर्ग संचालित होते हैं। एक ओर एक वर्ग की पढ़ाई होती है, दूसरी ओर दूसरे वर्ग की। एक ब्लैक बोर्ड एक दीवाल पर है तो दूसरा दूसरी ओर की दीवाल पर। यह कितनी विचित्र बात है। इससे पढ़ाई बाधित होती है। हमारा लक्ष्य है कि किसी सूरत में एक कमरे में दो वर्ग न हों। एक कमरे में केवल एक ही वर्ग संचालित हों। क्योंकि हर कक्षा की पढ़ाई का मैथर्ड अलग है। डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि फिलहाल इस समस्या से निपटने के लिए हमने वर्ग को अलग-अलग शिफ्ट में चलाने का निर्णय लिया है।
10 दिनों में जारी होगा निर्देशों का कम्पोडियम
डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि विद्यालयों के संचालन के लिए और सरकारी निर्देशों में एकरूपता रखने के लिए हम उनका कम्पोडियम तैयार कर रहे हैं। इसमें तमाम विभागीय निर्देशों को एक जगह संग्रहित किया जाएगा। हमने जिलों को भी यह निर्देश दिया है कि मुख्यालय से जो निर्देश भेजे जाते हैं उन्हें पीडीएफ फाइल के रूप में सभी शिक्षकों को अवश्य भेजें। ऐसे विभाग उन्हें संकलित कर रहा है ताकि कोई उलझन न हो। डॉ. सिद्धार्थ से उच्च मध्य विद्यालय दिघवां मसौढ़ी पटना और सारण समेत कई जिलों के शिक्षकों ने सवाल पूछे।
डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि हमारा प्रयास है कि कक्षा 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को अंग्रेजी में शिक्षा मिले। इसके लिए उन्हें वैकल्पिक रूप से अंग्रेजी भाषा से संबंधित अध्ययन सामग्री उपलब्ध हो सके। विभाग ने इस दिशा में पहल शुरू की है। हम द्विभाषीय पुस्तकें तैयार करवा रहे हैं। इसमें एक ही किताब में हिन्दी और अंग्रेजी में सामग्री उपलब्ध हो सके। पहले चरण में इसकी शुरुआत हम विद्यालयों की लाइब्रेरी से कर रहे हैं। वहां ऐसी पुस्तकें भेजी जा रही है।
डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि सरकार ने अभी कम्प्यूटर की किताबें विद्यालयों में भेजी है। वे इसी मानक पर तैयार की गयी है। 6 और 8वीं की किताबें हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में तैयार की गयी हैं। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि अंग्रेजी माध्यम से सभी वर्ग में पढ़ाना उचित नहीं। हमारी योजना तो पहली से बच्चों को मैथिली, भोजपुरी व अंगिका में पढ़ाने की है। ये सुझाव भी हमारे पास आए हैं। पहली में स्थानीय भाषा में बच्चों को पढ़ाने से वे बेहतर ढंग से चीजों को समझ सकेंगे।