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कभी खेलने के लिए जूते नहीं थे, बिहार की बेटी मोनिका ने विश्व भर में लहराया भारत का परचम

  • दिल्ली में 13 से 19 जनवरी 2025 तक चले खो-खो वर्ल्ड प्रतियोगिता में बिहार की मोनिका कुमारी ने फाइनल में शानदार प्रदर्शन कर नेपाल को हराकर गोल्ड मेडल जीता। एक समय ऐसा भी था जब मोनिका के पास खेलने के लिए जूते का इंतजाम भी नहीं था।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, नवगछिया, निज संवाददाताMon, 20 Jan 2025 03:02 PM
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कभी खेलने के लिए जूते नहीं थे, बिहार की बेटी मोनिका ने विश्व भर में लहराया भारत का परचम

केला, कलाई और अपराध के कारण सुर्खियों में रहने वाले बिहार के नवगछिया के दियारा की बेटियों ने भी अपने कारनामे से बिहार ही नहीं बल्कि भारतवर्ष का गौरव पूरी दुनिया में स्थापित कर दिया है। इस बेटी ने यह साबित कर दिया है कि नवगछिया में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। दिल्ली में 13 से 19 जनवरी 2025 तक चले खो-खो वर्ल्ड प्रतियोगिता में मोनिका कुमारी ने फाइनल में शानदार प्रदर्शन कर नेपाल को हराकर गोल्ड मेडल जीता। एक समय ऐसा भी था जब मोनिका के पास खेलने के लिए जूते का इंतजाम भी नहीं था।

मोनिका भागलपुर जिले के गोपालपुर प्रखंड के डिमाहा गांव की रहने वाली है। इनके पिता विनोद शाह और माता जूडा देवी हैं। ये लोग खेतिहर मजदूर लोग हैं। मोनिका अपने पांच भाइयों भाई बहनों में तीसरे नंबर की है। इस जीत को लेकर के पंचायत के पैक्स अध्यक्ष अजय चौधरी गोपालपुर प्रखंड के मुखिया संघ की अध्यक्ष सरिता चौधरी ने काफी खुशी जाहिर की और मोनिका को बधाई दी। मोनिका को वर्ल्ड कप खेलाने में खो-खो एसोसिएशन ऑफ बिहार के महासचिव सचिव नीरज कुमार और खो-खो प्रशिक्षक मानस कुमार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

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कोच मानस की ने कहा कि मोनिका बहुत ही गरीब परिवार से है। खेल के जूते के लिए उसे सोचना पड़ता था। मोनिका बिहार खो-खो टीम की तीन साल कैप्टन रही। विश्व कप में मोनिका ने शानदार प्रदर्शन किया। उसके प्रदर्शन के कारण ही भारत विजेता बन पाया। इस जीत को लेकर पूरे गांव से शहर तक खुशी की लहर है। मोनिका ने कहा कि खो-खो का वर्ल्ड कप मेरे सपने जैसा था। दस वर्ष पहले सब कहते थे कि खो-खो में क्या रखा है, कोई दूसरा खेल खेलो। लेकिन मैं दिनरात मेहनत कर अपने कोच मानस और गुरु मां सुशीला के बताए खेल की टिप्स के बदौलत आज इस मुकाम पर पहुंची।

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बेटी की उपलब्धि से मोनिका के माता पिता काफी प्रसन्न हैं। मुफलिसी के दिनों को याद करते हुए पिता कहते हैं कि बेटी से कहा कि हम गरीब लोग हैं। तुम्हारी शादी कर देते हैं। लेकिन बेटी ने मना कर दिया और कहा कि खेल की दुनिया में अपना नाम करेंगे। मोनिका ने अपना वादा पूरा कर दिया। मां का कहना है कि बेटी ने हमारा मस्तक गर्व से ऊंचा कर दिया। बताते चलें कि मोनिका की मां आज भी लकड़ी के चूल्हे पर खाना पकाती हैं और घर की माली हालत बहुत खराब है।

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